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क्या और कंपकंपाएगी ठंड या मिलेगी राहत? जानें, मौसम विभाग ने पूर्वानुमान ने क्या कहा?

Muzaffarpur Weather Today मौसम विभाग ने कहा है कि औसतन 10 से 12 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चलने की संभावना है। पूर्वानुमानित अवधि में सर्द वाली पछिया हवा चलने से ठंढ़ और कनकनी बरकरार रहने का अनुमान है।

By Ajit KumarEdited By: Updated: Sat, 18 Dec 2021 06:34 AM (IST)
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पछिया हवा चलने के कारण ठंड व कनकनी रहेगी बरकरार। फाइल फोटो
मुजफ्फरपुर/समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। दिन और रात के तापमान में बहुत बड़ा अंतर रहता है। दिन में तापमान जहां 24 डिग्री के आसपास रहता है। वहीं रात का तापमान करीब 7 डिग्री तक पहुंज जाता है। ऐसे में ज्यादा सर्तकता बरतने की जरूरत है। 20 दिसंबर के तापमान और नीचे गिरेगा। जिससे ठंड और कनकनी बढ जाएगी। यह कहना है मौसम विभाग का। डा.राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के मौसम विभाग ने उत्तर बिहार के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान में कहा गया है कि पूर्वानुमान की अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान प्राय: साफ तथा मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है। सुबह में हल्का कुहासा देखे जा सकते हैं। इस दौरान अधिकतम तापमान 22 से 24 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 7 से 9 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है। 20 दिसंबर से तापमान में और गिरावट आ सकती है।

मौसम विभाग ने कहा है कि औसतन 10 से 12 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चलने की संभावना है। पूर्वानुमानित अवधि में सर्द वाली पछिया हवा चलने से ठंढ़ और कनकनी बरकरार रहने का अनुमान है। रात्रि एवं सुबह में हल्के से मध्यम कुहासे छाए रह सकते हैं। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 75 से 85 प्रतिशत तथा दोपहर में 45 से 55 प्रतिशत रहने की संभावना है। शुक्रवार का अधिकतम तापमान 24.9 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से 0.6 डिग्री सेल्सियस अधिक है। जबकि न्यूनतम तापमान : 7.8 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से 1.3 डिग्री सेल्सियस कम है। 

किसानों को दिए गए ये सुझाव

- गेहूं की 21-25 दिनों की फसल में प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नेत्रजन उर्वरक का व्यवहार करें। पहली ङ्क्षसचाई के बाद गेहूं की फसल में कई प्रकार के खर-पतवार उग आते हैं। इसके लिए उचित दवा का व्यवहार करना चाहिए।

- गेहूं की जो फसल 21-25 दिनों की हो गई हो, उसमें ङ्क्षसचाई कर प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नेत्रजन उर्वरक का व्यवहार करें।

-गेहूं की पिछात किस्मों की बोआई 25 दिसंबर से पहले संपन्न कर लें। इसके बाद बोआई करने पर उपज में कमी आ सकती है।

- आलू की फसल में प्रति हेक्टेयर 75 किलोग्राम नेत्रजन उर्वरक का उपरिवेषन कर मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें। आलू में नियमित रूप से झुलसा रोग की निगरानी करें।

-ठंड के मौसम में दुधारू पशुओं के देख-भाल एवं पोषण का प्रबंधन सावधानी और उचित तरीके से करना चाहिए। खाने में तेलहन अनाज की मात्रा बढ़ा दें। पौष्टिक हरा चारा, जैसे जई एवं बरसीम पर्याप्त मात्रा में दें।

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