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नेपाली नागरिक केस : अगर किरायेदारों का समय पर होता सत्यापन तो पहले ही पकड़ में आ जाता मामला, 10 महीने से चल रहा था प्रशिक्षण

अगर किरायेदारों का सत्यापन समय पर होता तो खबड़ा में प्रशिक्षण देने का मामला पहले ही पकड़ में आ जाता। करीब 10 महीने से वहां पर प्रशिक्षण देने का काम चल रहा था लेकिन स्थानीय थाने की पुलिस को इसकी भनक नहीं लगी। जब मिलिट्री इंटेलीजेंस तक जानकारी पहुंची तो आइबी व अन्य एजेंसी के साथ स्थानीय पुलिस सक्रिय होकर जांच में जुटी।

By Prem Shankar Mishra Edited By: Mukul Kumar Updated: Mon, 10 Jun 2024 10:26 AM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। अगर किरायेदारों का सत्यापन समय पर होता तो खबड़ा में प्रशिक्षण देने का मामला पहले ही पकड़ में आ जाता। करीब 10 महीने से वहां पर प्रशिक्षण देने का काम चल रहा था, लेकिन स्थानीय थाने की पुलिस को इसकी भनक नहीं लगी।

उन्होंने कहा कि जब मिलिट्री इंटेलीजेंस तक जानकारी पहुंची तो आइबी व अन्य एजेंसी के साथ स्थानीय पुलिस सक्रिय होकर जांच में जुटी। फिलहाल सभी एजेंसियों की जांच चल रही है। वहीं पुलिस की ओर से भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

विदित हो कि पहले से ही वरीय पुलिस अधिकारियों द्वारा शहर के सभी थानाध्यक्षों को किरायेदारों का सत्यापन का आदेश दिया जा चुका है, लेकिन वर्तमान में किरायेदारों का सत्यापन का काम धीमी गति से चल रहा था। पुलिस का कहना है कि चुनाव कार्य के कारण किरायेदारों का सत्यापन का काम धीमी गति से हो रहा था।

पूरे मामले में पुलिस का खुफिया तंत्र फेल रहा

हालांकि, अब किरायेदारों के सत्यापन में तेजी लाया जाएगा। बता दें कि मकान मालिकों को पुलिस की ओर से निर्देश दिया जा चुका है कि किरायेदारों को रखने से पहले उसका सत्यापन कराएं।

बावजूद इस मामले में मकान मालिक ने सत्यापन नहीं कराया। पूरे मामले में पुलिस का खुफिया तंत्र फेल रहा। अगर मिलिट्री इंटेलीजेंस के द्वारा सूचना नहीं मिलती तो प्रशिक्षण का कार्य चलता रहता।

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