अब बिहार में संपत्ति पर कब्जा करने वालों की खैर नहीं, ऑन द स्पॉट होगा एक्शन; CO और थानाध्यक्ष को मिल गया नया टास्क
झारखंड में जमीन विवाद के मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए राजस्व विभाग ने गृह विभाग को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि अनधिकृत कब्जे के मामलों में भारतीय न्याय संहिता की धारा 329 के तहत प्राथमिकी की जाएगी। बलपूर्वक अतिक्रमण या बेदखली के मामलों में थाना स्तर से अनुसंधान कर वास्तविक रैयत को फौरी राहत दी जाएगी।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। अगर किसी वास्तविक रैयत की जमीन या संपत्ति पर कोई अनधिकृत रूप से कब्जा करता है तो इस मामले में अंचल और थाना स्तर से त्वरित कार्रवाई की जाएगी। इन मामलों में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 329 के तहत प्राथमिकी की जाएगी।
वहीं, बलपूर्वक अतिक्रमण या बेदखली के मामलों का थाना स्तर से अनुसंधान कर वास्तविक रैयत को फौरी राहत दी जाएगी। इस व्यवस्था को प्रभावी तरीके से लागू किया जाएगा। इसके लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने गृह विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है।
पदाधिकारियों को ये निर्देश देने का आग्रह
इसमें उन्होंने भूमि विवाद से संबंधित मामलों में विधि विरुद्ध कार्रवाई करने वालों के खिलाफ बीएनएस के प्रविधानों के अनुसार थाना स्तर पर प्रभावशाली कार्रवाई करने के लिए पदाधिकारियों को निर्देशित करने का आग्रह किया है।गृह विभाग के प्रधान सचिव को लिखे पत्र में राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कहा कि थाना और अंचल स्तर पर जमीन विवाद के मामले के त्वरित समाधान के लिए साप्ताहिक बैठकें होती हैं, मगर कार्रवाई कारगर नहीं होती।
भूमि विवाद के मामलों को भी अन्य आपराधिक मामलों की तरह बीएनएस के प्रविधानों के अनुसार कार्रवाई की जानी है। बीएनएस की धारा 329 एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 126 के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। इन धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की जा रही न प्रीवेंशन एक्शन हो रहा है।
ऐसे में किसी की संपत्ति पर कब्जा करने, धमकाने, अपमानित करने के मामले में धारा 329 के तहत तत्काल प्राथमिकी की जाए। वहीं लोक शांति भंग करने तथा अपराध रोकने से संबंधित कार्रवाई नहीं की जा रही है।
हथियार के बलपर कब्जा करने के मामले में भारतीय नागरिक संहिता की धारा 126 के तहत आरोपितों की अविलंब गिरफ्तारी हो। इन लोगों को जमानत पाने का भी अधिकार नहीं है। ये लोग जमानत पर बाहर आने के बाद फिर शांति भंग कर सकते हैं। ऐसे लोगों को तीन साल के लिए बांड भरने का आदेश दिया जा सकता है।
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