लीलाओं के माध्यम से शिक्षा देते भगवान : साध्वी रूपम
भगवान अपने भक्तों को आनंदित करने के लिए लीलाएं करते हैं।
मुजफ्फरपुर। भगवान अपने भक्तों को आनंदित करने के लिए लीलाएं करते हैं। साथ ही इसके माध्यम से संसार को शिक्षा भी देते हैं। ये बातें ब्रह्मपुरा स्थित बाबा सर्वेश्वरनाथ मंदिर सह महामाया स्थान में चल रहे झूलन महोत्सव के चौथे दिन साध्वी रूपम प्रियदर्शिनी ने कहीं। प्रभु श्रीकृष्ण की लीलाओं की चर्चा करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण के चरित्र से शिक्षा मिलती है कि अहंकार का त्याग करके ही संसार में उच्चतम स्थान पाया जा सकता है। खुद को महान दिखाने का अर्थ यह नहीं कि खुद के सामने किसी को झुकने पर विवश किया जाए। श्रीकृष्ण पूरी सृष्टि के मालिक हैं, लेकिन महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बन उनसे नीचे बैठे। ये श्रीकृष्ण की उदारता है, जो उन्हें श्रेष्ठ बनाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में कर्म को श्रेष्ठ बताया है। उन्होंने केवल कहा ही नहीं, बल्कि गोमाता की सेवा का महान कर्म करके दिखाया भी। जबकि वे तो भगवान हैं, उन्हें कुछ करने की क्या जरूरत। लेकिन, फिर भी कर्म को अपने जीवन में महत्व दिया, ताकि संसार को शिक्षा मिले। साध्वी ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला, माखन चोरी, गौ चारण व गोवर्द्धन लीला आदि की विस्तार से चर्चा की। इसके पूर्व पं.हरिशंकर पाठक ने व्यास पीठ का पूजन कराया। वार्ड पार्षद गायत्री चौधरी ने साध्वी रूपम प्रियदर्शिनी को माला पहना और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। मौके पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष हरिमोहन चौधरी, महंत संजय ओझा, पं.सुनील तिवारी, चाणक्य विद्यापति सोसाइटी के संरक्षक पं.शंभूनाथ चौबे, रविकांत कुशवाहा, सुमित कुमार, रंजीत शर्मा, पं.जयकिशोर मिश्र, पं.पवन तिवारी आदि थे।