बिहार की मधुबनी पेंटिंग (मिथिला पेंटिंग) को विश्व स्तर पर पहचान मिल रही है। जी-20 के वैश्विक मंच ने इसे नई ऊंचाई तक पहुंचाया है। यह पेंटिंग नए संसद भवन के गलियारे की शोभा बढ़ा रही है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले उपहारों में बड़ी संख्या में यह पेंटिंग शामिल है। पीएम ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की तो उसने इसके कारोबार को बदलकर रख दिया।
By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Wed, 04 Oct 2023 06:09 PM (IST)
अजय पांडेय, मुजफ्फरपुर। जी-20 के वैश्विक मंच पर देश-दुनिया के सामने प्रस्तुति, नए संसद भवन के गलियारे की शोभा बनने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले उपहारों में बड़ी संख्या में मधुबनी पेंटिंग (मिथिला पेंटिंग) से इसके आर्थिक फलक को और विस्तार मिला है।
बिहार के मिथिलांचल की यह सांस्कृतिक विरासत रोजगार देने के साथ क्षेत्रीय आर्थिकी बदल रही है। यहां के गांवों में 15 से 80 वर्ष तक के कलाकार घर बैठे पेंटिंग बनाकर स्वतंत्र कारोबार कर रहे हैं। खासतौर से मधुबनी जिला इसमें सबसे आगे है।
यहां के कई गांवों में घर-घर इसके कलाकार हैं। वे महीने में 10 से 15 हजार घर बैठे कमा रहे हैं। बीते पांच वर्षों में इसका कारोबार दोगुना हो गया है। मधुबनी में 15 हजार से अधिक ऐसे कलाकार हैं, जो संस्थागत प्रशिक्षण लेकर काम कर रहे हैं।
इनके अलावा गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से भी काम हो रहा है। रांटी और जितवारपुर गांव के तो हर घर में कलाकार हैं। घर दीवारों से निकलकर मधुबनी पेंटिंग कपड़े, कागज, मूर्तियों, टेराकोटा, सजावटी सामान, आभूषण सहित अन्य तक पहुंच गई है।
मधुबनी फोक पेंटिंग प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक रवींद्र कुमार बताते हैं कि बीते पांच-छह वर्षों में बदलाव देखा गया है। मधुबनी पेंटिंग युक्त विविध उत्पादों का देश-विदेश मिलाकर वार्षिक कारोबार करीब 100 करोड़ का है। 2018-19 तक इसका कारोबार 55 से 60 करोड़ था।
पेंटिंग युक्त मास्क ने दिखाई राह
मिथिला चित्रकला संस्थान, सौराठ के कनीय आचार्य प्रतीक प्रभाकर कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिले उपहारों की नीलामी (पीएम मेमेंटो ई-आक्शन) में मधुबनी कलाकृतियों की बढ़-चढ़कर बोली कलाकारों का हौसला बढ़ाने वाला है।
वर्ष 2020 में जब कोरोना संक्रमण में वैश्विक मंदी आई तो पूरा कारोबार प्रभावित हुआ, इस बीच मधुबनी पेंटिंग युक्त मास्क ने कलाकारों को संभाल लिया। इस दौरान आनलाइन आर्डर और सप्लाई इसके कारोबार का बड़ा माध्यम बना।प्रधानमंत्री ने जब एक्स (ट्विटर) पर मधुबनी पेंटिंग से सजे मास्क वाली तस्वीर साझा की तो देशभर से इसकी मांग आने लगी थी। करीब डेढ़ वर्ष में इस तरह के मास्क का 50 करोड़ का कारोबार हुआ था।
70 प्रतिशत कलाकार स्वयं कर रहे कारोबार
मिथिला पेंटिंग ग्राम विकास परिषद के संचालक षष्ठिनाथ झा का कहना है कि 70 प्रतिशत कलाकार व्यक्तिगत कारोबार कर रहे हैं। इंटरनेट मीडिया पर प्रचार होने से उन्हें काम मिल रहा है। कालेज जाने वाली गांवों की लड़कियां अब आर्ट, डिजाइनिंग और मार्केटिंग का प्रशिक्षण ले रही हैं।
पीएम मेमेंटो ई-आक्शन 2023 में नीलामी के लिए उपलब्ध सीता स्वयंवर की पेंटिंग।यह भी पढ़ें : Darbhanga AIIMS Row: नीतीश सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठे BJP कार्यकर्ता की हालत बिगड़ी, मंत्री भी थे मौजूद
उनका पूरा कारोबार मोबाइल और लैपटाप से हो रहा है। जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री को चंद्रयान पेंटिंग भेंट करने वाली लहेरियागंज की नेशनल अवार्डी कलाकार शांति देवी कहती हैं, मधुबनी पेंटिंग ने ग्रामीण महिलाओं को सबल बनाया है।आज हमारी कलाकृतियों को फ्रांस, अमेरिका, जापान, डेनमार्क, लंदन, चीन, मलेशिया के लोग न सिर्फ पहचान रहे, बल्कि अच्छी कीमत देकर खरीद रहे हैं। यह बदलती आर्थिकी का ही सकारात्मक पक्ष है कि 2019 में पीएम मेमेंटो ई-आक्शन में भगवान कृष्ण की पेंटिंग 25 हजार से शुरू होकर चार लाख में बिकी थी।
मधुबनी पेंटिंग के प्रचार-प्रसार और इसकी आनलाइन बिक्री में इजाफा के लिए हस्तशिल्प विभाग ने कलाकारों को निशुल्क पोर्टल की सुविधा उपलब्ध कराई है। इससे कलाकारों की आमदनी बढ़ी है। - बीके झा, सहायक निदेशक, हस्तशिल्प विकास कार्यालय, मधुबनी
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