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Bihar News: लाल खून के काले खेल का पर्दाफाश! 1 यूनिट की कीमत 8 से 12 हजार; पुलिस ने की कार्रवाई तो मचा हड़कंप

एसकेएमसीएच ओपी की पुलिस गिरफ्त में आए खून के धंधेबाज से जांच व पूछताछ में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जब पुलिस ने आरोपित का मोबाइल खंंगाला तो पता चला की खून के कारोबार करने वाले गिरोह की सांठगांठ एसकेएमसीएच के अंदर तक है और गिरोह जरूरतमंद मरीजों को प्रति यूनिट 8 से 12 हजार रुपये में खून उपलब्ध कराता है।

By Amrendra Tiwari Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Tue, 28 May 2024 04:14 PM (IST)
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मुजफ्फरपुर में लाल खून के काले खेल का पर्दाफाश

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। एसकेएमसीएच ओपी की पुलिस गिरफ्त में आए खून के धंधेबाज का मोबाइल जब पुलिस ने खंगाला, तो जांच व पूछताछ में यह बात सामने आई कि खून के कारोबार करने वाले गिरोह की सांठगांठ एसकेएमसीएच के अंदर तक है।

वह अस्पताल में भर्ती जरूरतमंद मरीजों को प्रति यूनिट 8 से 12 हजार रुपये लेकर खून की आपूर्ति करता है। कारोबारी से मिले नंबरों का डिटेल निकालकर आगे की कार्रवाई की जा रही है। पुलिस को मास्टरमाइंड के मोबाइल में शहर के कई चिकित्सक के साथ एसकेएमसीएच के चिकित्सक कई नर्सिंग स्टाफ और कर्मी के नंबर मिले हैं।

पुलिस की कार्रवाई के बाद एसकेएमसीएच में भी हड़कंप मच गया है। एसकेएमसीएच के ब्लड बैंक के कर्मियों की मिलीभगत होने की जांच के लिए एसकेएमसीएच अधीक्षक ने जांच कमेटी का गठन की हैं।

पुलिस ने मोबाइल पर मरीज के स्वजन को बुलाया, तो खुली पोल

एसकेएमसीएच थानाध्यक्ष ललन पासवान ने कारोबारी से पूछताछ के बाद दो मरीज के स्वजन को बुला कर पूछताछ की। स्वजन ने बताया कि एसकेएमसीएच के एक कर्मी ने मास्टरमाइंड से संपर्क कराया था। इसमें पता चला कि आठ हजार रुपये में एक यूनिट ब्लड का सौदा हुआ था।

एडवांस के तौर पर मास्टरमाइंड ने एक हजार रुपये लिए थे। उसके बाद ब्लड देने की बात की। आज ब्लड के लिए उसे कॉल किया था, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। पुलिस मरीज के स्वजन से पूछताछ के बाद इस कारोबार में संलिप्त कर्मियों की तलाश में जुट गई है। पहचान होने के बाद साक्ष्य के आधार पर सभी पर कार्रवाई की जाएगी।

एसकेएमसी की प्राचार्य डॉ. आभा रानी सिन्हा ने कहा कि ब्लड बैंक के कर्मी का पैसा लेकर खून देने का मामला पहले आया था, उसे ब्लड बैंक से हटा दिया गया है। व्यवस्था को सुधारने के लिए वहां तैनात सभी कर्मी को हटाने की जरूरत है। अधीक्षक की ओर से गठित जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी।

इस तरह से चल रहा कारोबार

पुलिस को जो जानकारी मिली है कि इस कारोबार में एक दो संगठन का सहयेाग रहता है। यह वैसे डोनर को तलाशते हैं जिनको खून बेंचकर नशा सेवन की लत लगी है। जानकारों की माने तो इसके लिए डोनर को पांच सौ दिया जाता हैं। उसका कार्ड वह रख लेते हैं।

उसके बाद जब जरूरतमंद जिनको बिना खून दिए खून की जरूरत होती। उनसे 2 हजार से दस हजार तक में बेंचते हैं। ए, बी, ओ व एबी समूह के निगेटिव ग्रुप वाले खून के जरूरतमंद ही ज्यादा धन देते है।

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