Chhotan Shukla Murder Case: 26 साल के बाद भी छोटन शुक्ला के हत्यारे को ढूढ़ नहीं सकी पुलिस, जांच बंद
Chhotan Shukla Murder Case पुलिस जांच बंद करने की कोर्ट में दाखिल की फाइनल रिपोर्ट। 26 साल पहले चांदनी चौक के समीप गोलियो से भून दिया गया। घटना में उनके चार अन्य साथी भी मारे गए प्रतिशोध में चला हत्याओं का दौर।
By Murari KumarEdited By: Updated: Fri, 02 Oct 2020 11:28 AM (IST)
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Chhotan Shukla Murder Case: बिहार पीपुल्स पार्टी के तत्कालीन नेता कौशलेंद्र कुमार शुक्ला उर्फ छोटन शुक्ला के हत्यारे को ढूढने में पुलिस नाकाम रही। घटना के 26 साल बाद हाथ खड़े करते हुए पुलिस ने जांच बंद कर दी है। पुलिस की ओर से सीजेएम कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट दाखिल की गई है। इस रिपोर्ट में पुलिस ने घटना सत्य लेकिन सूत्रहीन बताया है।
पुलिस ने कहा साक्ष्य मिला तो फिर से होगी जांच मामले के वर्तमान आइओ कैलाश यादव ने सीजेएम कोर्ट में दाखिल फइनल रिपोर्ट में कहा है कि वरीय अधिकारियों के पर्यवेक्षण व निर्देश के आलोक में इस केस की जांच बंद करने का निर्णय लिया गया है। अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि अपराधियों ने छोटन शुक्ला को गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले की जांच में हत्या करने वाले के विरुद्ध साक्ष्य नहीं मिला है। भविष्य में अगर साक्ष्य मिलता है तो फिर से जांच शुरू की जाएगी। फाइनल रिपोर्ट में केस डायरी बंद करने की बात कही गई है।
यह है मामलाचार दिसंबर 1994 की रात केसरिया से लौट रहे कौशलेंद्र कुमार शुक्ला उर्फ छोटन शुक्ला की कार को रोक कर अंधाधुंध फायरिंग कर छोटन शुक्ला व उनके चार समर्थकों की हत्या कर दी गई थी। वे केेसरिया से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे थे। इसी क्रम में वहां से जनसंपर्क कर साथियों के साथ कार से लौट रहे थे। उनके साथ मरने वालों में लालगंज के जलालपुर निवासी रेवती रमण शुक्ला उर्फ चिकरू शुक्ला, समस्तीपुर के कल्याणपुर निवासी नारायण झा, पूर्वी चंपारण के केसरिया निवासी ओमप्रकाश सिंह थे। जबकि एक मृतक की पहचान नहीं हो सकी थी। ब्रह्मपुरा थाना के तत्कालीन सहायक अवर निरीक्षक रवींद्र कुमार के बयान पर अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में कुछ नामजद आरोपितों के विरुद्ध परिवाद दाखिल किया गया था। घटना के 26 साल बाद भी अपराधियों की पहचान व कार्रवाई नहीं होने पर पूर्व विधायक के अधिवक्ता सुशील कुमार सिंह ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया है।
प्रतिशोध में चला हत्याओं का दौर, सड़क पर मारे गए गोपालगंज के डीएम छोटन शुक्ला की हत्या के अगले ही दिन प्रतिशोध की ज्वाला भडक उठी। उनकी शवयात्रा के दौरान सदर थाना के खबड़ा गांव के निकट पटना से गोपालगंज लौट रहे गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की गोली मारकर व पीटपीट कर हत्या कर दी गई। इस प्रतिशोध में अहियापुर के जीरोमाइल चौक गोलंबर के निकट ओंकार सिंह सहित सात लोगों को एके-47 से भून दिया गया। जून 1998 में राज्य सरकार के विज्ञान व प्राविधिकी मंत्री बृज बिहारी प्रसाद को पटना के इदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान परिसर में गोलियों से भून दिया गया। वे उस समय मेधा घोटाला में न्यायिक हिरासत में वहां इलाज के लिए भर्ती थे। घटना के समय वे भारी सुरक्षा के बीच परिसर में टहल रहे थे।
इस बारे में उपमेयर व कौशलेंद्र शुक्ला उर्फ छोटन शुक्ला के भाई मानमर्दन शुक्ला ने कहा कि हमलोग न्याय का इंतजार कर रहे थे। न्याय नहीं मिला। पुलिस प्रशासन ने ठीक से जांच नहीं किया। तथ्यों व साक्ष्यों को एकत्र करने में गंभीरता नहीं दिखाई। वैसे वे अभी तक रिपोर्ट नहीं देखे हैं । अन्य सूत्रों से ही जानकारी मिल रही है।
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