Prashant Kishore: लालू यादव अब सिर्फ यादवों के नेता, नीतीश की घटी लोकप्रियता, महागठबंधन पर PK का तंज
जन सुराज पदयात्रा कर रहे प्रशांत किशोर ने मुजफ्परपुर में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधा। किशोर ने लालू की लोकप्रियता में गिरावट आने की बात कहकर उन्हें सिर्फ यादव जाति का नेता बताया। किशोर ने जन संवाद में कहा कि बिहार की तस्वीर बदलने के लिए लोगों को जाति और धर्म से ऊपर उठाकर मतदान करना होगा।
कुढ़नी (मुजफ्फरपुर) संवाद सहयोगी: प्रशांत किशोर ने राजद सुप्रीमो लालू यादव पर निशाना साधा है, जन सुराज पदयात्रा पर निकले किशोर ने लालू को सिर्फ यादवों का नेता बताया। उन्होंने लालू की लोकप्रियता और प्रभाव भी अब पहले जैसी नहीं होने की बात कही।
दरअसल, प्रशांत किशोर अपनी जन सुराज पदयात्रा करते हुए बुधवार को मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड पहुंचे। यहां उन्होंने तुर्की में जन संवाद किया। इस दौरान किशोर ने कहा, 'बिहार की बदहाली का सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां के लोग जाति एवं धर्म के नाम पर वोट डालते है।'
परिवारवाद से कोई भी राजनीतिक दल अछूता नहीं
जन संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि परिवारवाद से कोई भी राजनीतिक दल अछूता नहीं है। विगत 30 वर्षों का रिकॉर्ड बताता है कि बिहार में 1250 परिवार से विधायक और सांसद हमेशा से बनते आ रहे है।
उन्होंने ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता पहले से घटी है। लालू पहले गरीबों के नेता थे। फिर पिछड़ों के नेता बने। उसके बाद वो यादव के नेता बन गए।
जाति और धर्म से ऊपर उठाकर करना होगा मतदान
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि बिहार की बदहाली की तस्वीर बदलने के लिए लोगों को आगे आना होगा और जाति एवं धर्म से ऊपर उठाकर मतदान करना होगा।
किशोर ने आगे कहा कि जिन लोगों ने किसी कारण से राजनीति से अपना मुंह फेर लिया है लेकिन सामाजिक कार्यों में अपना ध्यान केंद्रित किए है। ऐसे लोगों को जन सुराज से जोड़ना हमारा लक्ष्य है। केवल विधायक और एमपी बनाना हमारा उद्देश्य नहीं है।
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बिहार की शिक्षा व्यवस्था चौपट
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था चौपट है। युवा वर्ग रोजगार को तलाश में पलायन कर रहे है। यहां की कृषि चौपट है। इसमें सुधार किए बगैर बिहार विकास की पटरी पर नहीं दौड़ सकता है।
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इस मौके पर समाजवादी नेता लक्षणदेव सिंह, महेश राय, उषा सिंह, सुनील यादव, शंभू पासवान, भोला राय, फूलदेव भगत, शिवनाथ पासवान, बसंत मांझी, अलबेला राय समेत अन्य मौजूद थे।