'बिहार में नीतीश का नहीं; लालू राज', प्रशांत किशोर ने 'कुर्सी फर्स्ट' के एजेंडे पर जमकर घेरा
प्रशांत किशोर ने मुजफ्फरपुर में अपनी जन सुराज पदयात्रा के क्रम में सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर लालू यादव पर निशाना साधा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी परोक्ष रूप से घेरा। पीके ने प्रदेश की सड़कों की खराब हालत को लेकर अपनी बात कही। उन्होंने मीडिया के सामने बिहार से जुड़े प्रमुख मुद्दों की भी चर्चा की।
By Amrendra TiwariEdited By: Yogesh SahuUpdated: Mon, 04 Sep 2023 08:06 PM (IST)
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। जन सुराज यात्रा पर निकले प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कहा कि मुख्यमंत्री जिस विकास व भ्रष्टाचार के एजेंडा पर सरकार में आए, वह पीछे छूट गया।
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का अब एक ही एजेंडा है, कुर्सी पर कब्जा। इसके लिए कभी लालटेन पकड़ रहे तो कभी कमल की सवारी कर रहे। गांव की सड़कें लालू राज (Lalu Yadav) की याद दिला रहीं।आरडीएस कालेज परिसर में मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए प्रशांत किशोर ने अपनी 11 माह की पदयात्रा के अनुभव को साझा किया। कहा, पदयात्रा में कहीं उनका फोटो नहीं है।
वह सीएम फेस है ना कोई आंदोलन कर रहे हैं। यह यात्रा (Jan Suraj Padayatra) जनता को अपने मुद्दे पर सजग करना है, ताकि वह अपने सवाल पर वोट करे।गांव-गांव जाने पर यह पता चला कि गांव में पलायन का यह हाल है कि गरीब तो गरीब मध्यमवर्गीय परिवार के नौजवान दस माह भी अपने घर परिवार के साथ नहीं रहते।
छठ दीपावली, होली, ईद, बकरीद के मौके पर आ जाए यहीं गनीमत। बेरोजगारी भत्ता देने तथा छात्र क्रेडिड कार्ड दिखावा है। इस पर ईमानदारी से काम होता तो पलायन को रोका जाता। दारू व बालू का अवैध धंधा चल रहा है।
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- जनता की तबाही का जवाब न रोकने का सरकार के पास इंतजाम
- अफसरशाही से जनता परेशान, दाखिल खारिज या कोई काम सबका दाम तय
- 2005 में सरकारी भ्रष्टाचार पर लगाम लगा था, अब परवान पर। हर योजना में काटा जा रहा पीसी (परसेंट)
- बिजली बिल काे लेकर जनता परेशान, सुधार के बदले उलटे प्राथमिकी कर रहा विभाग। आने वाले दिन में समाजिक व राजनीतिक आंदोलन का सबसे बड़ा बनेगा कारण
- महागठबंधन के साथ गए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भ्रष्टाचार व अपराध का बढ़ा ग्राफ
- बेरोजगारी भत्ता, छात्र क्रेडिड कार्ड केवल दिखावा, पलायन कर रहे छात्र नौजवान
- स्कूल खिचड़ी बांटने तो कालेज डिग्री बांटने का बन गया केन्द्र, शिक्ष का नहीं मतलब