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मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन परिसर में गाड़ी से आने पर प्राइवेट लोग मांगते पैसा

स्टेशन मास्टर आरपीएफ और जीआरपी के पास जाने पर इनकी शिकायतों का ध्यान नहीं दिया जाता है। रेल यात्रियों से बदसलूकी करके पैसा ऐंठा जा रहा। वाणिज्य विभाग के अधिकारी आरपीएफ को एरिया के जानकारी नहीं देते। इसके कारण आरपीएफ अधिकारी पैसा ऐंठने वालों पर कार्रवाई नहीं कर पाते।

By Ajit kumarEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 09:36 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 09:36 AM (IST)
प्राइवेट ठेकेदार पूरे परिसर के पार्किंग पर अधिकार जमा कर वसूली करते नजर जाते हैं। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, जासं। मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन परिसर में गाड़ी से स्टेशन जाने पर प्राइवेट लोगों द्वारा पैसा मांगा जाता है। वाहन मालिकों से वह व्यक्ति स्टेशन के पूरे एरिया का ठेकेदार बताता है। इसको लेकर प्रतिदिन रेल यात्रियों से झगड़ा होता है। कभी-कभी मारपीट तक की नौबत आ जाती है। इनकी शिकायत भी नहीं सुनी जाती। स्टेशन मास्टर, आरपीएफ और जीआरपी के पास जाने पर इनकी शिकायतों का ध्यान नहीं दिया जाता है। इसके कारण रेल यात्रियों से बदसलूकी करके पैसा ऐंठा जा रहा है। वाणिज्य विभाग के अधिकारी आरपीएफ को एरिया के जानकारी नहीं देते। इसके कारण आरपीएफ अधिकारी पैसा ऐंठने वालों पर कार्रवाई नहीं कर पाते। आरपीएफ इंस्पेक्टर वेद प्रकाश वर्मा ने बताया कि कुछ लोग स्टेशन के पूर्वी और पश्चिमी साइड में रेलवे से वाहन लगाने का ठेका ले रखा है। वहीं लोग वाहन से स्टेशन आने वाले रेल यात्रियों के साथ ऐसा करते हैं। प्राइवेट ठेकेदार का कितना एरिया स्टेशन पर वाहन लगाने के लिए मिला हुआ है। इसका जानकारी डीसीआई से बार-बार मांगी जा रही है, लेकिन वे लोग नहीं दे रहे, इसके कारण कार्रवाई करने में परेशानी हो रही है। 

रेलवे देती प्राइवेट लोगों को ठेका

रेलवे द्वारा स्टेशन पर वाहन लगाने का स्टैंड दिया गया है। बजाप्ते उसका सोनपुर रेलमंडल के मुख्य वाणिज्य प्रबंधक के यहां से सारा काम होता है। रेलवे का रेवेन्यू जमा करने पर तीन महीना, छह महीना और एक साल के लिए वाहन स्टैंड दिया जाता है। इस बीच अगर रेलवे को पैसा नहीं मिला तो ठेका कैंसिल भी कर दिया जाता है। इसके पूर्व कई ठेकेदारों को पैसा जमा नहीं करने पर ब्लैकलिस्टेड भी कर चुका है।

निरीक्षण में दौरान स्टेशन परिसर से गायब हो जाते वाहन

जब भी पूर्व मध्य रेल या सोनपुर रेल मंडल के बड़े अधिकारियों का निरीक्षण होता है। तब स्टेशन से सारी गाडिय़ां अचानक गायब हो जाती हैं। केवल वहीं गाडिय़ां नजर आती हैं, जहां तक ठेकेदार को आवंटित किया गया है। लेकिन जब अधिकारी चले जाते हैं, तो फिर से प्राइवेट ठेकेदार अधिकार पूरे परिसर के पार्किंग पर अधिकार जमा कर वसूली करते नजर जाते हैं। लेकिन इसे रोकने के लिए कोई अधिकारी नहीं आ रहे आगे। 


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