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Chandra Grahan Date & Time: ग्रहणकाल के दौरान कतई न करें ये भूल, यहां देखें इसकी पूरी जानकारी

Chandra Grahan Date Time चंद्रग्रहण को आध्यात्मिक तौर पर सही नहीं कहा गया है। कुप्रभावों को कम करने के लिए सूतक का पालन करने का निर्देश पुराणों में दिया गया है। सबसे कठिन गर्भवती महिलाओं के लिए कहा गया है। उन्हें देखने से बचने की सलाह दी गई है।

By Ajit KumarEdited By: Updated: Fri, 21 May 2021 02:22 PM (IST)
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पूर्ण चंद्रग्रहण को ब्लड मून या रेड मून (Red Moon 2021) भी कहा जाता है। प्रतीकात्‍मक फोटो
मुजफ्फरपुर, ऑनलाइन डेस्क। Red Moon 2021: यूं तो चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, किंतु हिंदू धर्म में इससे जुड़ी कई प्रकार की मान्यताएं हैं। ग्रहण काल को कठिन काल करार देते हुए इसे नहीं देखने की सलाह दी जाती है। माना जाता है इसके कई प्रकार के कुप्रभाव होते हैं। इसलिए कुछ सूतक का पालन करना अनिवार्य किया गया है। यह ग्रहण आरंभ होने के नौ घंटा पहले ही शुरू हो जाता है। गर्भवती स्त्रियों को तो इसे देखने से सख्ती से मना किया गया है। कहा तो यहां तक गया है कि इसके कुप्रभावों के कारण गर्भपात तक हो सकता है। 

इस वर्ष वैशाख की पूर्णिमा यानी 26 मई 2021 को चंद्रग्रहण है। पूर्ण चंद्रग्रहण को ब्लड मून या रेड मून (Red Moon 2021) भी कहा जाता है। यह भारत के केवल पूर्वोत्तर के राज्यों में ही दिखेगा। इसलिए सूतक भी उन्हीं जगहों के लिए मान्य होगा। कहा गया है सूतक काल में भोजन, शयन, मैथुन, संगीत, गीत, नृत्य, मनोविनोद, मूर्ति स्पर्श जैसी चीजों का पूरी तरह से परित्याग कर देना चाहिए। इस दौरान गर्भवती महिलाों को चाकू, कैंची या किसी भी प्रकार की नुकीली चीजों से बचना चाहिए। यहां तक कि सब्जी भी नहीं काटें तो बेहतर। ऐसी महिलाओं को ग्रहण आरंभ होने के चार घंटे पहले ही सात्विक भोजन कर लेना चाहिए। उन्हें भूलकर भी ग्रहण नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने पर इसका दुष्प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर हो सकता है। उसके अंगहीन होने का खतरा रहता है। गर्भपात की आशंका भी रहती है। ऐसी मान्यता है कि गर्भवती को पेट पर गोबर व तुलसी का लेप लगा लेना चाहिए। जिससे राहु व केतु का कुप्रभाव वहां तक नहीं पहुंचे।

ग्रहण का प्रारंभ दिवा 02:18,

स्पर्श,दिवा 03:14,

मध्य,दिवा 04:56,

* मोक्ष सायं, 06:22 पर

* ग्रहण का पूर्ण मोक्ष, रात्रि 07:20 पर

ग्रासमान रात्रि 01:09

ग्रहण काल के लिए जप व ध्यान की सलाह दी जाती है। यह खराब प्रभावों को कम से कम करता है। भोजन करने से मना किया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि इस दौरान कोई भोजन करता है तो ग्रहण के प्रभाव से वह दूषित हो जाता है। जिससे कई प्रकार की पेट से जुड़ी बीमारियां होने की आशंका रहती है। पाचनशक्ति कमजोर हो जाती है। इसके बाद अपच की शिकायत रह सकती है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि सूतक काल में भोजन करने से 12 वर्षों के दौरान जमा पुण्यों का नाश हो जाता है। देवी भागवत में तो इसके और दुष्प्रभाव की चर्चा की गई है। इसके अनुसार ग्रहण काल में भोजन करने पर कोई जितने अन्न के दाने खाता है वह उतने दिनों तक तो अरुतुंद नरक में निवास करता है। इसी तरह से श्रृंगार प्रसाधन के प्रयोग से चर्म रोग की आशंका व्यक्त की गई है। 

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