बिहार खादी ग्रामोद्योग संघ पर दावा करने वाले दोनों गुट के नियामक मंडल वैध नहीं
Muzaffarpur news अपर समाहर्ता की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी ने डीएम को भेजी रिपोर्ट- 15 सितंबर 2020 को दोनों गुटों की बैठक की कार्यवाही अवैध मानी गई। रामाशंकर सिंह ने एक माह में की दो बैठकें सत्येंद्र गुट ने उन्हें मंत्री पद से हटा दिया था।
By Prem Shankar MishraEdited By: Dharmendra Kumar SinghUpdated: Tue, 11 Oct 2022 11:27 AM (IST)
मुजफ्फरपुर, जासं। बिहार खादी ग्रामोद्योग संघ पर दावा करने वाले दोनों गुटों के नियामक मंडल वैध नहीं माने गए हैं। डीएम प्रणव कुमार द्वारा गठित जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में रामाशंकर सिंह और सत्येंद्र प्रकाश सिंह के दावे को सही नहीं पाया। अपर समाहर्ता संजीव कुमार की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय टीम ने डीएम को रिपोर्ट सौंप दी है। जांच रिपोर्ट के बाद दोनों गुटों के दावे कमजोर हो गए हैं। विदित हो कि सहायक निबंधन महानिरीक्षक काशी कुमार ने समाहर्ता से मामले की जांच कराने को कहा था। इसमें कहा गया था कि बिहार खादी ग्रामोद्योग संघ का संचालन वैध समिति कर रही या नहीं इसकी जांच जरूरी है। इसके बाद डीएम ने जांच टीम में अपर समाहर्ता के साथ डीसीएलआर पूर्वी एवं बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक को शामिल किया था।
रामाशंकर गुट ने मनोनुकूल चार सदस्यों को किया था मनोनीत
रामाशंकर प्रसाद गुट के दावे की जांच में कहा गया कि नियामक मंडल की पूर्व निर्धारित तिथि पर 15 सितंबर 2020 को पूसा रोड समस्तीपुर में बैठक हुई। इसमें तत्कालीन सात में से पांच सदस्य उपस्थित हुए थे। यह मूल कार्यवाही पंजी में दर्ज है। नियामक मंडल के वास्तविक अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी के जेल में बंद रहने के कारण मंडल के सदस्य सत्येन्द्र प्रकाश सिंह ने अध्यक्षता की थी। मंत्री रामाशंकर प्रसाद द्वारा बैठक की कार्यवाही मूल पंजी में दर्ज कराई गई थी। मंत्री को छोड़कर सभी अन्य चार सदस्यों (अध्यक्षता कर रहे सत्येन्द्र प्रकाश सिंह भी शामिल) के द्वारा यह आरोप लगाना कि रामाशंकर सिंह ने बैठक की कार्यवाही पंजी में अपने मनोनुकूल चार नए सदस्यों को नियामक मंडल में मनोनीत कर लिया। इसकी स्वीकृति बैठक की चर्चा के दौरान नियामक मंडल द्वारा नहीं दिया गया था। यह काफी गंभीर है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए बैठक में लिए गए निर्णय जो मूल पंजी में अभिलिखित कार्यवाही में दर्ज है कि मान्यता नहीं दी जा सकती। आगे रामाशंकर सिंह ने इन्हीं चार नए सदस्यों के साथ पांच अक्टूबर 2020 को बैठक कर पूर्व के सभी छह सदस्यों की सदस्यता समाप्त करते हुए इतने ही सदस्यों को मनोनीत किया गया। यह कार्यवाही स्वयं निष्फल हो जाता है। इस कारण रामाशंकर प्रसाद गुट के द्वारा कार्यरत नियामक मंडल वैध नहीं है।
सत्येंद्र प्रकाश गुट ने रात में की थी बैठक
जांच रिपोर्ट के अनुसार सत्येन्द्र प्रकाश सिंह गुट की भी 15 सितंबर 2020 को खादी ग्रामोद्योग समीति, पूसा रोड में ही बैठक रात दस बजे हुई। इसमें मंत्री रामाशंकर प्रसाद को छोड़कर पूर्व की बैठक में उपस्थित सभी चार सदस्य थे।अध्यक्षता भी सत्येन्द्र प्रकाश सिंह ने की। यह बैठक पूर्व नियोजित थी न इसकी विधिवत सूचना सदस्यों को दी गई थी। पूर्व की बैठक में मंत्री रामाशंकर प्रसाद ने कार्यवाही मूल पंजी में दर्ज कर दी थी। अपने मनोनुकूल चार नए सदस्यों को मनोनीत कर लिया गया था। दूसरे गुट ने रात की बैठक में चार नए सदस्य का मनोनयन नियामक मंडल में कर दिया। उसमें से एक सदस्य धीरेन्द्र कार्यी ने अपनी सहमति नहीं दी। क्योंकि उनका मनोनयन रामाशंकर प्रसाद गुट ने भी नियामक मंडल के सदस्य के रूप में किया था। आगे की बैठकों में उन्होंने मंत्री रामाशंकर प्रसाद को मंत्री पद से मुक्त कर दिया। उनकी सदस्यता भी नियामक मंडल से समाप्त करते हुए एक नए सदस्य राम विनोद चौबे को मनोनीत कर लिया। इस प्रकार इस गुट ने भी अपनी नयी नियामक मंडल बना लिया, मगर रात्रि 10 बजे की बैठक को भी वैध नहीं कहा जा सकता।यह इसलिए कि यह पूर्व नियोजित था न इसकी विधिवत सूचना निर्गत की गई थी।दोनों बैठकों की कार्यवाही वैध नहीं
रिपोर्ट के अनुसार चूंकि दोनों ही गुटों की 15 सितंबर 2020 की बैठक की कार्यवाही वैध नहीं है। इसलिए दोनों गुटों द्वारा गठित नियामक मंडल एवं उनके द्वारा की गई सभी कार्यवाही भी वैध नहीं मानी जा सकती।अधिकांश कागजात मुख्य कार्यालय में उपलब्ध :
जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अधिकांश कागजात संघ के मुख्य कार्यालय में उपलब्ध हैं। इसे आज भी रामाशंकर प्रसाद गुट द्वारा ही संचालित किया जाता है। क्योंकि रामाशंकर प्रसाद विवाद उत्पन्न होने के पूर्व से ही संघ के मंत्री पद पर काबिज थे। अपने गुट के नियामक मंडल के मंत्री है। इसके अलावा कुछ कागजात में वर्ष 1955 से 2003 तक की बैठक पंजी एवं संघ का मूल निबंधन प्रमाण-पत्र आदि दूसरे गुट सत्येन्द्र प्रकाश सिंह के कार्यालय में है। यह मुख्य कार्यालय के पास ही रामचन्द्र चौधरी (सहायक मंत्री) के आवास पर कार्यरत है।
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