ट्रेनों की बढ़ेगी रफ्तार और नहीं लगेंगे झटके, रेल मंत्रालय ने निकाली गजब की स्कीम; पटरियों पर काम शुरू
भारतीय रेल ने ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए नई तरकीब पर काम करना शुरू कर दिया है। रेल पटरियों में आरजीएम जान भर रही है। इससे पटरियों में चिकनाहट लाई जा रही है। रेल पटरियों में चिकनाहट कम होने से ट्रेनों में पहिये का शोर भी कम हो जाएगा। यात्रियों को झटके भी कम महसूस होंगे और पटरियों का शोर भी कम हो जाएगा।
गोपाल तिवारी, मुजफ्फरपुर। देश भर में सवा लाख किलोमीटर में फैली रेल पटरियों में एक बार फिर से जान भरने की कवायद शुरू हो गई है। रेल ग्राइंडिंग मशीन (आरजीएम) से पटरियों में चिकनाहट लाई जा रही है। इससे ट्रेनों की स्पीड बढ़ने के साथ पहिये की भी सुरक्षा होगी। घर्षण कम होने से ट्रेनों में झटके महसूस नहीं होंगे और पटरियों का शोर भी कम हो जाएगा।
इससे रेल सफर और भी आरामदायक हो जाएगा। रेल मंत्रालय के आदेश पर पूर्व मध्य रेल के सभी डिवीजन से गुजरने वाली रेल लाइनों में चिकनाहट लाने के लिए रेल ग्राइंडिंग मशीन (आरजीएम) का प्रयोग किया जा रहा है। सोनपुर रेलमंडल के छपरा से लेकर हाजीपुर तक रेल पटरियों की ग्राइंडिंग कर दी गई है।
बुधवार को हाजीपुर से लेकर मुजफ्फरपुर के बीच डबल लाइन पर काम शुरू कर दिया गया है। मॉनिटरिंग के लिए पीडब्लूआई, टीआई के साथ सिग्नल के अधिकारियों को लगाया गया है। बुधवार को घोसवर से लेकर गोरौल तक डाउन लाइन में ट्रेन पटरी की ग्राइंडिंग की गई।
बरौनी-बछवारा रेलखंड पर कार्य पूर्ण:
पूर्व मध्य रेल में पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलमंडल इलाके में पटरियों को चिकना करने के बाद सोनपुर रेलमंडल में बरौनी-बछवारा रेलखंड पर कार्य पूरा कर लिया गया है। अब समस्तीपुर रेलमंडल में रेल पटरियों को सुदृढ़ किया जाएगा। उसके बाद मशीन दूसरे डिवीजन में चली जाएगी।
बता दें कि रेल पटरियों की जरूरतों को पूरी करने के लिए 13 वर्ष पहले फरवरी 2011 में रेल मंत्रालय के आदेश पर 190 करोड़ रुपये की लागत से दो आरजीएम खरीदी गई थी। रेल ग्राइंडिंग मशीन ट्रैक रखरखाव के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह मशीन ग्राइंडिंग ह्वील को घुमाकर रेलहेड की सतह से धातु (0.1-0.2 मिमी) को हटाती है। उसके बाद पटरी पर रेल के पहिये आसानी से दौड़ते हैं। इससे बोगियों में झटके कम हो जाते हैं।
रेल पटरियों की सूक्ष्म दरारें होतीं खत्म
आरजीएम रेल पटरियों की सतह पर सूक्ष्म दरारें खत्म करती हैं। ग्राइंडर खुले ट्रैक, स्विच और चेकरेल में आने वाली खराबी से भी बचाता है। ट्रैक पर लगातार ट्रेनों के दौड़ने से पटरियां थक जाती हैं और उनमें छोटी-छोटी दरारें पड़ जाती हैं। अगर समय रहते नहीं हटाया गया तो वे खतरनाक दरारें बन सकती हैं। इसी तरह कुछ डेंटिंग भी हो जाती है। इसलिए पटरियों को फिर से चिकना करने के लिए ग्राइंडिंग मशीन हर बार दो मिमी तक की परत काटती है, ताकि घर्षण कम हो और ट्रेन की आवाजाही के दौरान पटरियों पर शोर कम हो।
ब्लॉक लेकर कराया गया काम:
पटरियों में चिकनाहट के लिए घोसवर से लेकर रामदयालु तक अलग-अलग समय में ब्लाक लिया गया था। घोसवर-सराय और भगवानपुर के बीच सुबह में ब्लाक लिया गया था। उसके बाद गोरौल, तुर्की, रामदयालु तक दोपहर 12 बजे से दो-दो घंटे का ब्लाक लेकर शाम चार बजे तक कार्य किया गया। इस दौरान जयनगर-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस रामदयालु स्टेशन पर आधे घंटे तक फंसी रही।
उधर, डाउन लाइन से आ रही ग्वालियर-बरौनी के साथ वैशाली एक्सप्रेस सहित कई अन्य ट्रेनें एक से दो घंटे तक विलंब हो गई। गुरुवार को गोरौल से कुढ़नी-तुर्की-रामदयालु तक रेल पटरी की ग्राइंडिंग होगी। इसके लिए अलग-अलग समय में फिर से ब्लॉक लिया जाएगा।
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