पेंसिल से लिखा सुसाइड नोट, इसी में छिपा है गार्ड की मौत का राज; स्वजन से लेकर ग्रामीणों तक के ये सवाल
Paroo News गार्ड ऋषिकेश रंजन की मौत के मामले की गुत्थी हत्या और आत्महत्या में उलझी हुई है। स्वजन से लेकर ग्रामीण तक सवाल कर रहे हैं कि अगर रंजन ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की होती तो गोली लगने की आवाज पड़ोसियों को तो आती। मृतक ऋषिकेश रंजन मुजफ्फरपुर एफडीएफसी बैंक में निजी गार्ड की नौकरी करते थे।
By Sanjiv Kr SinhaEdited By: Aysha SheikhUpdated: Sat, 30 Sep 2023 01:27 PM (IST)
संवाद सहयोगी, पारू : देवरिया थाना क्षेत्र के देवरिया चौधरी टोला गांव निवासी बैंक के निजी गार्ड ऋषिकेश रंजन उर्फ पप्पू चौधरी की मौत के मामले की गुत्थी हत्या और आत्महत्या में उलझी हुई है।
वहीं, उनका शव मिलने के बाद की परिस्थितियां हत्या की साजिश की ओर इशारा कर रहीं हैं। इस बीच उनके पुत्र सौरभ कुमार ने देवरिया थाने में हत्या की प्राथमिकी कराई है। इसमें अज्ञात लोगों को आरोपित किया गया है।
सुसाइड नोट पर पेंसिल से लिखावट उठा रहे कई सवाल
गार्ड की पत्नी अपराजिता देवी और पुत्र सौरभ कुमार ने पारिवार में किसी तरह के कलह से इनकार किया है। साथ ही कहा कि सुसाइड नोट पर लिखावट उनका नहीं है।जहां तक हस्ताक्षर की बात है तो संभव है कि पूर्व में ही किसी ने कागज पर हस्ताक्षर करवा रखे हों। पेंसिल से लिखे सुसाइट नोट पर भी सवाल पैदा हो रहे हैं। गार्ड के पुत्र ने यह भी कहा कि पेंसिल का इस्तेमाल वह नहीं करते थे।
बुधवार को घर नहीं लौटे, मोबाइल भी था बंद
प्राथमिकी के आवेदन में कहा गया है कि ऋषिकेश रंजन चौधरी उर्फ पप्पू चौधरी मुजफ्फरपुर एफडीएफसी बैंक में निजी गार्ड की नौकरी करते थे। बुधवार की सुबह नौ बजे वे ड्यूटी करने घर से बैंक गए, लेकिन देर रात तक घर वापस नहीं लौटे। उनका मोबाइल भी बंद बता रहा था।गुरुवार की सुबह पड़ोसी ने फोन कर बताया कि उनका शव सीढ़ी पर पड़ा हुआ है। उनके सीने में गोली लगी हुई थी। पुत्र का कहना है कि उनके पिता की किसी ने हत्या करने के बाद शव को दरवाजे पर रख दिया था। गार्ड का मोबाइल गायब हो चुका है। इससे आखिरी बार बात करने वाले व्यक्ति के नाम का पता नहीं चल पा रहा है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।मुंबई से शुरू की थी गार्ड की नौकरी
ऋषिकेश रंजन ने आठ साल पूर्व मुंबई से निजी गार्ड की नौकरी की शुरुआत की थी। आठ वर्षो तक लगातार नौकरी करने के बाद वह मुजफ्फरपुर वापस लौट आ गए और पत्नी बच्चे के साथ रहने लगे। यहां एफडीएफसी बैंक में गार्ड की नौकरी करते थे।दो बेटे करते पढ़ाई, गांव में मातम
गार्ड ऋषिकेश रंजन की मौत के बाद गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। पत्नी और बच्चों का रोते-रोते बुरा हाल हो गया है। उनके दोनों बेटे अभी पढ़ाई ही कर रहे है। घटना की खबर पर छोटे भाई राकेश कुमार और उनके बाहर रह रहे रिश्तेदार भी घर पहुंच गए हैं।सुसाइड नोट की बरामदगी प्रथमदृष्टया यह साबित करता है कि ऋषिकेश रंजन ने अपनी ही बंदूक से गोली मार ली। इससे मौत हो गई है। हालांकि, पुलिस हत्या व आत्महत्या की दोनों बिंदुओं पर जांच कर रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद कुछ स्पष्ट हो पाएगा। - सरोज कुमार, देवरिया थानाध्यक्ष
जांच की जद में सवाल
- स्वजन से लेकर ग्रामीण तक यह सवाल कर रहे हैं कि अगर ऋषिकेश रंजन ने दरवाजे पर गोली मारकर आत्महत्या की होती तो गोली लगने वाली जगह पर रुई स्वयं कैसे डाल सकते थे?
- बंदूक कंधे से कैसे लटकी पाई गई? अगर दरवाजे पर ही गोली मार ली तो खून क्यों नहीं गिरा? इस हालात को देखने से स्पष्ट हो रहा है कि कोई हत्या कर बाहर से लाकर शव को सीढ़ी पर रख फरार हो गया।
- पड़ोसियों ने गोली की आवाज नहीं सुनी। अगर गोली चलाई जाती तो उसकी आवाज पर लोग जरूर जाते। संभव है तत्काल मौत नहीं होने पर लोग उन्हें अस्पताल ले जाने का प्रयास करते।