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Ram Mandir : इस 'अयोध्या' में शंखध्वनि से दिन आरंभ, बच्चे लोरी नहीं हनुमान चालीसा सुनकर सोते

Ram Mandir बिहार में एक ऐसा गांव है जहां राम नाम की धुन चढ़ी हुई है। यहां क्या बच्चा और क्या बूढ़ा सभी राम धुन में रमे हुए हैं। एक ओर अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन रहा है और प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इधर दूसरी ओर यह गांव अपने नाम को लेकर सुर्खियां बटोर रहा है।

By Ajay Kumar Pandey Edited By: Yogesh Sahu Updated: Wed, 27 Dec 2023 07:08 PM (IST)
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Ram Mandir : इस 'अयोध्या' में शंखध्वनि से दिन आरंभ, बच्चे लोरी नहीं हनुमान चालीसा सुनकर सोते
अजय पांडेय, मुजफ्फरपुर। पग-पग राम, मन-मन राम। राम ही गाते, राम की खाते। सोते-जगते भी राम नाम। बुजुर्गों के रघुपति राघव राजा राम, महिलाओं के सियावर राम। बिहार के समस्तीपुर जिले के पूसा प्रखंड का एक गांव, जहां दिन शंख वादन से प्रारंभ होता है और बच्चे लोरी नहीं हनुमान चालीसा सुनकर सोते हैं।

इसका नाम है श्रीरामपुर अयोध्या। यहां घरों से पहला ग्रास गोमाता को अर्पित होता है। इस अयोध्या में भी प्रभु श्रीराम 32 वर्षों तक ताले में रहे थे और ग्रामीणों के संघर्ष से 2021 में मुक्त हुए थे।

गांव के बाहर लगा श्रीरामपुर अयोध्या का बोर्ड। जागरण

आज देश जब राममय है और प्रभु की अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही तो श्रीरामपुर अयोध्यावासियों में भी उल्लास है।

ग्रामीण संजीव रंजन कहते हैं, 14 वर्ष के वनवास के बाद प्रभु श्रीराम लौटे थे तो अवध में दीपावली मनी थी। यह तो सैकड़ों वर्षों की प्रतीक्षा के बाद शुभ दिवस है।

अयोध्यावासी होना सुखद संयोग

डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के विज्ञानी डा. नवल किशोर चौधरी बताते हैं कि गांव का नाम श्रीरामपुर अयोध्या होना सुखद संयोग है। यद्यपि नाम का प्रमाणिक पक्ष नहीं है।

समस्तीपुर से पहले जब दरभंगा जिला था, तब अंग्रेजी दस्तावेज में गांव का नाम 'सिरीरामपुर अजोध्या' था। बाद के वर्षों में इसे 'श्रीरामपुर अयोध्या' मुद्रित किया गया।

श्रीरामपुर अयोध्या गांव के श्रीरामजानकी मंदिर में स्थापित राम दरबार। जागरण

गांव में दो सरकारी स्कूल हैं, जिनका नाम भी श्रीरामपुर अयोध्या मध्य और प्राथमिक विद्यालय है। कृषि और बागवानी प्रधान गांव शांतिप्रिय है। नई पीढ़ी शिक्षा लेकर निजी व सरकारी नौकरी भी कर रही है। अपराध का ग्राफ बड़ा नहीं है।

मंदिर की भूमि के लिए चला लंबा संघर्ष

डा. नवल किशोर बताते हैं कि गांव में स्थापित श्रीरामजानकी मंदिर का इतिहास भी अयोध्या से मिलता-जुलता है। ग्रामीण रक्खन चौधरी के निधन के बाद नि:संतान विधवा लीलावती कुंवर ने 1951 में मंदिर निर्माण के लिए आठ एकड़ भूमि दान दी थी।

उसी वर्ष मंदिर बना और रामदरबार स्थापित हुआ। 1988 में कुछ लोगों ने भूमि पर स्वामित्व का दावा कर दिया। भूमि विवादित होने के कारण मंदिर में पूजा-पाठ बंद हो गया।

श्रीरामपुर अयोध्या स्थित श्रीरामजानकी मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करते ग्रामीण। जागरण

ग्रामीण इसके विरुद्ध समस्तीपुर कोर्ट में गए। ग्रामीणों के पक्ष में निर्णय आने के बाद 20 अप्रैल, 2021 को ताला खुला। अब यहां पुजारी नुनू झा के नेतृत्व में दैनिक पूजा होती है।

प्रत्येक दिन रामचरितमानस और मंगलवार को ग्रामीण हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। रामनवमी और विवाह पंचमी पर चार दिनों का उत्सव होता है।

श्रीरामपुर अयोध्या गांव स्थित श्रीरामजानकी मंदिर में सायंकालीन आरती करते ग्रामीण। जागरण

धन एकत्र करने में बढ़-चढ़कर दिखाई थी भागीदारी

डा. नवल किशोर को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या की ओर से वर्ष 2021 में मंदिर निर्माण के लिए ऐच्छिक समर्पण राशि एकत्र करने का दायित्व सौंपा गया था।

पूसा प्रखंड की 13 पंचायतों को चार मंडल पूसा, दीघरा, वैनी और कुबौलीराम में विभक्त किया गया था। गंगापुर पंचायत का श्रीरामपुर अयोध्या गांव कुबौलीराम मंडल के अधीन था।

करीब एक मास में यहां दो लाख 76 हजार रुपये एकत्र हुए थे। धन संग्रह समिति में शामिल भोला प्रसाद चौधरी बताते हैं कि मंदिर निर्माण की राशि देने में लोगों का खूब उत्साह दिखा था। मुस्लिमों ने भी सहयोग राशि दी थी।

श्रीरामपुर अयोध्या गांव स्थित श्रीरामजानकी मंदिर में आरती गाते पुजारी नुनू झा। जागरण

22 जनवरी से प्रारंभ होगा सुंदरकांड का पाठ

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर गांव में अक्षत वितरण की तैयारी चल रही है। 31 दिसंबर को अक्षत कलश रामजानकी मंदिर, पूसा रोड में रखा जाएगा।

इसके बाद पंचायत में शोभायात्रा निकाली जाएगी। ग्रामीण राजीव नयन कश्यप बताते हैं कि एक से 15 दिसंबर तक अक्षत व पर्चा वितरण होगा।

21 जनवरी से गांव में सुंदरकांड का पाठ शुरू होगा। 22 को दिन में दैनिक पूजा-पाठ व अयोध्या से सीधा प्रसारण दिखाया जाएगा। रात में दीपोत्सव और प्रसाद वितरण होगा।

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