Raksha Bandhan 2020 : कोरोना संक्रमण के बीच बहनों ने भाइयों की कलाई पर बांधी स्नेह की डोर
Raksha Bandhan 2020 बहनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधे। बहनों ने राखी की थाली सजाईं। भाई की आरती उतारीं फिर मिठाई खिलाई। अपनी सुरक्षा और सम्मान की कामना की।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Raksha Bandhan 2020 : भाई-बहन के स्नेह का त्योहार रक्षाबंधन के अवसर पर बहनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधे। बहनों ने राखी की थाली सजाईं। उसमें रोली, कुमकुम, अक्षत, दीपक और राखी रखे थे। इसके बाद भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में राखी बांधी। भाई की आरती उतारीं, फिर मिठाई खिलाई। अपनी सुरक्षा और सम्मान की कामना की। भाइयों ने उनको रक्षा का वचन व उपहार दिए। पंडितों की मानें तो भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन इस बार बेहद खास रहा, क्योंकि इस साल रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि और दीर्घायु आयुष्मान का शुभ संयोग बन रहा। रक्षाबंधन पर ऐसा शुभ संयोग 29 साल बाद आया है। साथ ही इस साल भद्रा और ग्रहण का साया भी नहीं है।
कोरोना के कारण इसबार शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में बंदियों के हाथ पर बहनें राखी नहीं बांध सकीं। हालांकि कारा प्रशासन की ओर से गेट पर बाॅक्स रखा गया है, जिसमें बहनें अपने भाई का नाम व पता के साथ लिफाफे में राखी और मिठाई उसमें रख दे रही हैं। उसे सैनिटाइज कर संबंधित बंदी तक पहुंचा दिया जा रहा है।
सर्वसिद्धि और आयुष्मान योग ने बनाया खास
भाई बहन के अटूट स्नेह और विश्वास का पर्व सोमवार को श्रद्धा भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आखिरी सोमवार को पड़ने वाले इस पर्व में सर्वसिद्धि और आयुष्मान योग पर्व को और खास बना रहे हैं। ऐसा होने से इस बार बहनों को भाइयों की कलाई में राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त का इंतजार नहीं करना पड़ा। ज्योतिषी पं. रामाकांत ओझा के मुताबिक शुभ ग्रह व नक्षत्रों की मौजूदगी भाई-बहन के स्नेह की डोर को और मजबूत बनाएगी। सर्वार्थ सिद्धि योग होने से भाई और बहन दोनों की मनोकामनाएं पूरी होगी। आयुष्मान योग भाई की कलाई पर बंधने वाले रक्षा सूत्र को और मजबूत करेगा और उसे दीर्घायु बनाएगा। सावन के अंतिम सोमवारी को पूर्णिमा होने से भगवान शिव की कृपा रहेगी।
सुबह आठ से शुरू हो गया राखी का मुहूर्त
सुबह भद्रा काल में रक्षाबंधन का कार्य निषिद्ध था। इसलिए सुबह 8 बजे के बाद उत्तम मुहूर्त में राखी बांधने का पुनीत कार्य आरंभ हुआ। वैसे सुबह 8 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक सर्वाधिक शुभ मुहूर्त है। दोपहर एक बजे के बाद बारी-बारी से चर, लाभ, अमृत योग है।