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वाह रे बिहार! निर्माण में 80 की जगह खर्च कर डाले 100 करोड़ रुपये, फिर भी 3 दिन में आ गई दरार

मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में नवनिर्मित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का उद्घाटन होने के तीन दिन बाद ही दीवारों में दरार आने से निर्माण एजेंसी के कार्य पर सवाल उठने लगे हैं। 80 करोड़ की लागत से बनने वाला यह अस्पताल छह साल में 100 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ है। इस मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।

By Prem Shankar Mishra Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 13 Sep 2024 03:35 PM (IST)
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सुपर स्पेशियलिटी के भवन की दीवार में दरार आने पर मरम्मत करते कारीगर। जागरण

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में नवनिर्मित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का उद्घाटन होने के तीन दिन बाद ही दीवारों में दरार आने से निर्माण एजेंसी के कार्य पर सवाल उठने लगे हैं।

एक तो दो वर्ष में पूरी की जाने वाली योजना छह वर्ष में पूरी हुई। यही नहीं, इसमें 20 करोड़ रुपये भी अधिक खर्च हुए। बावजूद दीवार में दरार आने से गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं।

दरार की मरम्मत कराने का काम शुरू कर दिया गया है। इसका रंगरोगन भी किया जा रहा है। वर्तमान में मुंबई की महालासा कंस्ट्रक्शन ने अधूरे काम को पूरा किया है।

2018 की जगह 2024 में पूरा हुआ काम, 80 की जगह 100 करोड़ खर्च

मिली जानकारी के मुताबिक, सुपर स्पेशियलिटी भवन का निर्माण 80 करोड़ रुपये में पूरा करना था। 2016 में झारखंड की विजेता प्रोजेक्ट कंपनी को टेंडर मिला था।

2018 तक इसका निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। इस दौरान करीब 52 करोड़ रुपये एजेंसी को भुगतान भी कर दिए गए, लेकिन इतनी राशि में महज भवन ही बनाया गया था। प्लास्टर या अन्य कोई कार्य नहीं किया गया।

निर्माण कंपनी को बार-बार काम तेजी से करने को कहा गया, लेकिन उसने काम शुरू नहीं किया। करीब साल भर तक काम बाधित रहा। इसके बाद उक्त कंपनी को डिबार घोषित करते हुए काली सूची में विभाग ने डाल दिया।

वर्ष 2023 में मुंबई की महालासा कंस्ट्रक्शन को इसका टेंडर मिला, लेकिन काम पूरा करने के लिए 20 करोड़ रुपये अधिक की मांग की थी। पांच साल बीतने के कारण सामग्री का दाम बढ़ना इसकी वजह बताई गई।

इस एजेंसी को 48 करोड़ रुपये में टेंडर मिला। तब जाकर एक वर्ष में भवन का इंटीरियर डेकोरेशन से लेकर प्लास्टर और रंगरोगन का काम पूरा किया गया।

इसके अलावा, करीब 50 करोड़ रुपये के उपकरण खरीदकर इंस्टॉल किए गए है। यानि अस्पताल को चालू करने में विभाग को 150 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े।

पांच साल पहले हुआ था प्लास्टर

महालासा कंस्ट्रक्शन के मैनेजर पवन गुप्ता ने बताया कि दीवार, बीम या पिलर में दरार नहीं आई है। प्लास्टर टूटकर गिरा है। यह करीब पांच वर्ष पहले किया गया था। इसकी मरम्मत कराई जा रही है।

अस्पताल अधीक्षक डॉ. कुमारी विभा ने एजेंसी के मैनेजर को बुलाकर इसकी जानकारी ली थी, लेकिन जांच का आदेश नहीं दिया गया है।

मैनेजर का कहना है कि ईंट और कंक्रीट की जुड़ाई करने के बाद कभी-कभी प्लास्टर फटने की समस्या आती है। इसे मरम्मत कर दूर किया जा रहा है।

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