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पश्चिम चंपारण में दिखेगा दुर्गा पूजा का सुंदर नजारा, बंगाल व यूपी के कारीगार बना रहे मां की प्रतिमा

Durga Puja 2022 दुर्गा पूजा की दिखेगी भव्‍य आयोजन। समितियों ने शुरू की तैयारी। एक पंडाल में दो लाख से अधिक का बजट। हर चौक चौराहाें पर लग रहा पंडाल। दुर्गा पूजा की तैयारी को लेकर हर पंडाल के लिए एक कमेटी की गई है गठित।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Updated: Sat, 10 Sep 2022 08:33 PM (IST)
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बगहा में पूजा-पंडाल के माडल हाे रहा तैयार, मूर्तियों का निर्माण भी चल रहा। प्रतीकात्‍मक फोटो

बगहा (पचं), जासं। दुर्गापूजा को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। एक तरफ जहां पूजा-पंडाल के माडल तैयार किए जा रहे हैं तो दूसरी ओर मूर्तियों का निर्माण भी हो रहा है। पूजा समितियाें के लिए पंडाल और मूर्तियों का निर्माण बड़ी तैयारी होती है। बंगाल व यूपी से कारीगर बुलाए जाते हैं। कुछ खर्च का आधा से अधिक हिस्सा इन्हीं पर खर्च होता है। इसको लेकर हर तरफ तैयारियां प्रारंभ हो गई है। हर चौक चौराहाें व नुक्कड़ पर पंडाल लगाकर मूर्ति निर्माण कार्य शुरू हो गया है।

एक सप्ताह से चल रहा मूर्ति निर्माण कार्य

पूजा की तैयारी को लेकर हर पंडाल के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। इसी कड़ी में बगहा रेलवे स्टेशन के समक्ष भी एक समिति की ओर से पूजा का आयोजन किया जाता है। जिसकी प्रारंभिक तैयारियां पूरी करते हुए मूर्ति निर्माण कार्य आरंभ हो गया है। यहां मूर्ति बनाने से लेकर साज-सज्जा व लाइट डेकोरेशन आदि में करीब दो लाख रुपया खर्च करने का बजट है। रेलवे स्टेशन दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष हरि प्रसाद ने बताया कि मुजफ्फरपुर से कारीगर बुलाया गया है। पांच सहयोगियों के साथ मूर्ति निर्माण कार्य एक सप्ताह से निरंतर चल रहा है।

अनुमंडल में कहां-कहां रखी जाती हैं मूर्तियां

नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर करीब पांच सौ से अधिक स्थानों पर मूर्ति निर्माण कर पंडाल सजाया जाता है। बड़ी धूमधाम से मेला का भी आयोजन होता है। जिसमें क्षेत्र के सैकड़ों महिला पुरुष आकर पूजा अर्चना भी करते हैं। मेले में बिकने वाला खिलौना बच्चों के आकर्षण का केंद्र होेते हैं।

कहां से मंगाई जाती मिट्टी व इससे जुड़ी अन्य सामग्री

अध्यक्ष ने बताया कि मूर्ति निर्माण के लिए मिट्टी तो स्थानीय कुम्हारो से लिया गया है। जो कम कीमत पर ही उपलब्ध हो गया है। बाहर से मंगाने पर कीमत चार गुना से भी अधिक हो रही थी। निर्माण में प्रयोग होने वाला पुआल ग्रामीण किसानों के सहयोग से मिल गया है तथा सुतली स्थानीय बाजार से खरीद लिया गया। इसके अलावे अन्य सामान की खरीदारी के लिए गोरखपुर बाजार से कम कीमत पर कर लिया जाता है।

मूर्तिकार विनोद कुमार ने बताया कि परिश्रम के अनुसार बजट का निर्धारण कर पारिश्रमिक लिया जाता है। बगहा शहर में ही उसकी टीम के द्वारा पांच स्थानों पर मूर्ति निर्माण हो रहा है। जिसमें हर जगह का अलग अलग पारिश्रमिक तय है।

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