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Madhubani News: इस साल अब तक नहीं हो सका राजकीय वाचस्पति स्मृति पर्व समारोह, आयोजन को लेकर संशय

कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा वर्ष 2019 में दो दिवसीय राजकीय वाचस्पति स्मृति पर्व समारोह मनाने की गई थी घोषणा। वर्ष 2020 व 2021 में कोरोना के कारण इस समारोह का आयोजन नहीं हो सका। वहीं वर्ष 2022 में अब तक प्रशासनिक पहल शुरू नहीं हो सकी है।

By Ajit KumarEdited By: Updated: Sun, 18 Sep 2022 01:01 PM (IST)
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पुस्तकालय के भवन का निर्माण वर्ष 2012 में किया गया था। फोटो: जागरण

मधुबनी, [कपिलेश्वर साह]। देश के प्रसिद्ध दार्शनिक व षड्दर्शन टीकाकार पं वाचस्पति मिश्र के जन्म स्थान अंधराठाढी प्रखंड के ठाढ़ी गांव में होने वाले दो दिवसीय राजकीय वाचस्पति स्मृति पर्व समारोह की तिथि इस साल अब तक तय नहीं होने से इसके आयोजन पर संशय बना है। बता दें कि पं. वाचस्पति मिश्र न्याय वेदांत, सांख्य योग एवं मीमांसा पर विश्व प्रसिद्ध भामती टीका सहित आठ पुस्तके लिखी थी। वर्षो पूर्व पूरी के शंकराचार्य ठाढ़ी स्थित उनके जन्मडीह पहुंचे थे। शंकराचार्य ने गांव के लोगों को वाचस्पति मिश्र के स्मरण को जागृत रखने के लिए यहां स्मारक निर्माण करने की प्रेरणा दी थी। शंकराचार्य के प्रेरणा से गांव के लोगों ने पं. वाचस्पति मिश्र की मूर्ति स्थापित किया।

बता दें कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा वर्ष 2019 में दो दिवसीय राजकीय वाचस्पति स्मृति पर्व समारोह मनाने की घोषणा की गई। ठाढ़ी के फुलदेवी कुशेश्वर झा महाविद्यालय परिसर में 16-17 मार्च को दो दिवसीय राजकीय वाचस्पति स्मृति पर्व समारोह मनाई गई। वर्ष 2020 व 2021 में कोरोना के कारण इस समारोह का आयोजन नहीं हो सका। वहीं वर्ष 2022 में अब तक इस समारोह के तैयारी की प्रशासनिक पहल शुरू नहीं हो सका है। वाचस्पति स्मारक निर्माण समिति के अध्यक्ष रत्नेश्वर झा ने बताया कि दो दिवसीय राजकीय वाचस्पति स्मृति पर्व समारोह के आयोजन के लिए एक शिष्टमंडल शीघ्र ही जिलाधिकारी से भेंटकर ज्ञापन सौंपेंगे।

एक दशक से नहीं हो रहा पुस्तकालय का उद्धाटन

भारत के प्रसिद्ध दार्शनिक वाचस्पति मिश्र के डीह ठाढी गांव स्थित निर्मित वाचस्पति स्मारक पुस्तकालय का उद्धाटन एक दशक से अधर में लटका है। इस पुस्तकालय के भवन का निर्माण वर्ष 2012 में की गई। मगर, एक दशक गुजर जाने के बाद भी पुस्तकालय भवन का उद्घाटन नहीं हो सका है। बता दें कि वाचस्पति मिश्र द्वारा रचित ग्रंथ, पुस्तकें की रखरखाव तथा उससे युवा पीढ़ी को अवगत कराने के के उद्देश्य से स्थापित पुस्तकालय का शासन-प्रशासन की उदासीनता से उद्घाटन नहीं होने से लोगों में निराशा व्याप्त है। विद्वानों के गांव के रूप में प्रसिद्ध है ठाढी में पुस्तकों की अहमियत को देखते हुए पुस्तकालय की स्थापना की गई है।

बता दें कि गांव के चंद्रधर झा, कामेश्वर झा, प्रो. जीवेश्वर झा, अपराजिता देवी सहित अन्य लोगों द्वारा करीब चार कट्ठा दान में दी गई जमीन पर पर्यटन विभाग द्वारा करीब 35 लाख की लागत से पुस्तकालय भवन का निर्माण कराया गया। मगर, अब तक इसका विधिवत उद्घाटन नहीं हो सका। पुस्तकालय में उपस्कर, फर्नीचर, टेबल-कुर्सी की कमी बनी है। बता दें कि पुस्तकालय की स्थापना के बाद स्थानीय कई लोगों द्वारा कुछ पुस्तकें पुस्तकालय को दिया गया। इन पुस्तकों का रखरखाव वाचस्पति स्मारक निर्माण समिति के सचिव व काशीनाथ झा द्वारा किया जा रहा है। पिछले वर्ष तत्कालीन विधान पार्षद सुमन कुमार महासेठ द्वारा पुस्तकालय को 50 हजार मूल्य की पुस्तके उपलब्ध कराई गई।

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