क्यों तेजी से बढ़ रही है ठंड? जानें मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों के लिए क्या कहा?
Temperature Today Muzaffarpur अगले पांच दिनों तक तापमान में आएगी तेजी से गिरावट। पछिया हवा के प्रवाह की वजह से बढ़ेगी ठंड। पहाड़ों पर हो रही बर्फवारी के कारण मैदानी भागों में तेजी कम हो रहा है तापमान।
By Ajit KumarEdited By: Updated: Sun, 19 Dec 2021 07:25 AM (IST)
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। जिला समेत पूरे उत्तर बिहार में ठंड और कंपाने लगी है। न्यूनतम तापमान में तेजी से गिरावट होती जा रही है। पछिया हवा की वजह से कनकनी बढ़ने लगी है। मौसम विभाग ने सोमवार से ठंड और बढ़ने की भविष्यवाणी की है। दरअसल पहाड़ों पर होे रही बर्फवारी के कारण मैदानी भागों में तापमान कम होता जा रहा है। आलम यह है कि न्यूनतम तापमान सिकुड़ कर 7-8 डिग्री तक पहुंच गया है। मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, अगले पांच दिन में ठंड और बढ़ेगी। डा.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के नोडल पदाधिकारी डा.ए सत्तार ने बताया कि उत्तर बिहार के जिलों में आसमान प्राय: साफ तथा मौसम शुष्क रहेगा। सुबह में हल्का कुहासा देखे जा सकते हैं।
अधिकतम तापमान 22 से 24 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान सात से नौ डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है। 20 दिसंबर से तापमान में और गिरावट आ सकती है। इस बीच औसतन 10 से 12 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चलने की संभावना है। पूर्वानुमानित अवधि में सर्द वाली पछिया हवा चलने से ठंड व कनकनी बरकरार रहेगी। रात्रि एवं सुबह में हल्के से मध्यम कुहासे छा सकते हैं। सापेक्ष आद्र्रता सुबह में 75 से 85 प्रतिशत तथा दोपहर में 45 से 55 प्रतिशत रहने की संभावना है।
किसानों को दिए गए ये सुझाव
- गेहूं की 21-25 दिनों की फसल में प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नेत्रजन उर्वरक का व्यवहार करें। पहली ङ्क्षसचाई के बाद गेहूं की फसल में कई प्रकार के खर-पतवार उग आते हैं। इसके लिए उचित दवा का व्यवहार करना चाहिए। - गेहूं की जो फसल 21-25 दिनों की हो गई हो, उसमें ङ्क्षसचाई कर प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नेत्रजन उर्वरक का व्यवहार करें।
-गेहूं की पिछात किस्मों की बोआई 25 दिसंबर से पहले संपन्न कर लें। इसके बाद बोआई करने पर उपज में कमी आ सकती है।- आलू की फसल में प्रति हेक्टेयर 75 किलोग्राम नेत्रजन उर्वरक का उपरिवेषन कर मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें। आलू में नियमित रूप से झुलसा रोग की निगरानी करें। -ठंड के मौसम में दुधारू पशुओं के देख-भाल एवं पोषण का प्रबंधन सावधानी और उचित तरीके से करना चाहिए। खाने में तेलहन अनाज की मात्रा बढ़ा दें। पौष्टिक हरा चारा, जैसे जई एवं बरसीम पर्याप्त मात्रा में दें।
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