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दरभंगा के करूआहा नदी में डूबे बच्चे का शव दूसरे दिन बरामद, स्वजनों में मचा कोहराम

Darbhanga News घटना स्थल से करीब तीन किमी दूर दरभंगा-जयनगर एनएच -527 बी स्थित मोहनी नदी से एनडीआरएफ की टीम ने काफी मशक्कत बाद शव को खोजने में कामयाब हुए। शव मिलते ही स्वजनों में कोहराम मच गया ।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Updated: Sun, 15 Aug 2021 03:58 PM (IST)
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दरभंगा के केवटी में डूबे बच्‍चेे का शव बरामद। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

दरभंगा (केवटी), जासं। केवटी थानाक्षेत्र के असराहा डीहटोला स्थित करूआहा नदी में नहाने के दौरान डूबे असराहा गांव निवासी संजय कुमार के सात वर्षीय पुत्र विजय कुमार का शव करीब 21 घंटे बाद बरामद किया गया। घटना स्थल से करीब तीन किमी दूर दरभंगा-जयनगर एनएच -527 बी स्थित मोहनी नदी से एनडीआरएफ की टीम ने काफी मशक्कत बाद शव को खोजने में कामयाब हुए। शव मिलते ही स्वजनों में कोहराम मच गया । सूचना पर सीओ गंगेश झा व थानाध्यक्ष शिव कुमार यादव मोहनीपुल पर पहुंचे। इसके बाद शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

बता दें कि विजय शुक्रवार की दोपहर करीब साढ़े बारह बजे गांव के ही तीन-चार बच्चों के साथ नदी में नहाने गया था । इसीक्रम में उसका पांव अचानक फिसल गया और वह अधिक पानी में चला गया । इसकी जानकारी मुखिया प्रतिनिधि खुशीॅद आलम एवं प्रखंड वार्ड सदस्य संध के अध्यक्ष मो.शाहिल अब्बासी ने जिला आपदा प्रबंधन एवं सीओ गंगेश झा को दी। इसी बीच सूचना पर एनडीआरएफ की टीम एएसआई लाल बहादुर कुमार के नेतृत्व में घटना स्थल पर पहुंचकर करीब तीन घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। लेकिन, कोई सफलता नहीं मिली। मुखिया प्रतिनिधि के आग्रह पर पुन: सीओ ने एनडीआरएफ की टीम को मंगवाया। एनडीआरएफ की टीम ने विजय के शव बहने की आशंका पर मुखिया प्रतिनिधि के साथ मोहनीपुल पर पहुंचकर पुल स्थित मोहनी नदी में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया । करीब आधा घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के बाद विजय के शव को बरामद करने में टीम ने सफलता हासिल की। सीओ ने आपदा प्रबंधन मद से मिलने वाले राशि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। वहीं मुखिया साजरा परवीन ने कबीर अंत्येष्टि योजना मद से तीन हजार रुपये आश्रित को उपलब्ध कराया।

कहां गेले रे हमर दुलरूआ बेटा...

केवटी। मोहनी नदी से शव बरामद के बाद गांव के लोग गमगीन हो गए । वहीं स्वजनों के चीत्कार से मातम छाया गया। शव से लिपट कर मां बूलो देवी अपनी छाती पीट रही थी। वह सिर्फ इतना ही कहे जा रही थी कि कहां गेले रे हमर दुलरूआ बेटा...। इतना कहते ही वे बेहोश हो जा रही थी। वहां मौजूद लोगों की भीड़ में किसी को यह हिम्मत नहीं हो रही थी कि अपने पुत्र को खोने वाली बूलो को कैसे ढांढस बंधाया जाए। लोग आंसू भरी आंखों से उसके दर्द को देख रहे थे। वहीं बहन एवं भाई शव को एक टक देख रहे थे। पिता संजय फिलहाल प्रदेस में है। मृतक विजय अपने माता-पिता के चार संतान दो भाई व दो बहन में सबसे छोटा था । स्वजनों के चीत्कार सुनकर हर कोई दुखी व मायूस थे।

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