मुजफ्फरपुर के लीची उत्पादक किसानों को अपने भरोसे छोड़ रखी है सरकार
मुजफ्फरपुर में करीब 12तो मोतिहारी में 10 हजार हेक्टेयर में होती है लीची की खेती। यदि उचित संसाधन और सही मार्गदर्शन मिले तो आएगी खुशहाली। मुजफ्फरपुर की लीची नेपाल के साथ गाजीपुर बलिया लखनऊ कानपुर आगरा दिल्ली जयपुर अमृतसर मुंबई अहमदाबाद बेंग्लुरु चेन्नई आदि जगहों पर भेजी जाती है।
By Jagran NewsEdited By: Ajit kumarUpdated: Sun, 13 Nov 2022 12:58 PM (IST)
मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट के रूप में जिले से लहठी के साथ लीची का चयन तो किया गया है, लेकिन जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए नहीं मिल रही हैं। इस कारण से लीची कारोबार में परेशानी हो रही है। लीची उत्पादक किसानों को सरकार ने अपने भरोसे छोड़ दिया है। अब तक किसानों को वातानुकूलित बाजार या बड़ी फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं मिल सकी है। मुजफ्फरपुर और मोतिहारी लीची उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। मुजफ्फरपुर में 12 हजार तो मोतिहारी में 10 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है। लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष किसान बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि मुजफ्फरपुर में 20 हजार और मोतिहारी में करीब 15 हजार किसान लीची उत्पादन से जुड़े हैं। दोनों जिले में कुल मिलाकर करीब एक लाख 70 हजार टन का उत्पादन होता है।
यहां भेजी जाती हैं लीचियां
मुजफ्फरपुर की लीची नेपाल के साथ गाजीपुर, बलिया, लखनऊ, कानपुर, आगरा, दिल्ली, जयपुर, अमृतसर, मुंबई, अहमदाबाद, बेंग्लुरु, चेन्नई आदि जगहों पर भेजी जाती हैं। संघ के अध्यक्ष ने बताया कि वैसे पिछले साल लंदन भी गई थी, लेकिन वह सांकेतिक बनकर रहा गया। बताया कि विदेश भेजने के लिए जो निर्यात लाइसेंस चाहिए, वह किसी के पास नहीं है।
कीट दे रहे चैलेंज
देश में सबसे अच्छी लीची का उत्पादन उत्तर बिहार में ही होता है। लीची के पौधों एवं फलों को विभिन्न प्रकार के कीट नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें लीची स्टिंग बग, दहिया कीट, लीची माइट तथा लीची फल एवं बीज छेदक प्रमुख हैं। इन कीटों से लीची की फसल को काफी नुकसान होता है। इसका असर सीधे उत्पादन और किसानों की आमदनी पर होता है। लीची में फल एवं बीज भेदक कीट का प्रकोप फल पकने के समय वातावरण में आद्रर्ता अधिक होने पर तीव्र हो जाता है। खासकर स्टिंग बग सबसे ज्यादा खतरनाक है। इसके नवजात और वयस्क दोनों ही, पौधों के ज्यादातर कोमल हिस्सों से रस चूसकर फसल को प्रभावित करते हैं। इसका प्रभाव विगत वर्षों में पूर्वी चंपारण के कुछ प्रखंडों में देखा गया। इधर, इसका प्रभाव मुजफरपुर जिले के पश्चिम इलाके में भी है। इससे बचाव की ठोस रणनीति नहीं बनी तो लीची के अस्तित्व पर संकट होगा।यह सुविधाएं मिलनी चाहिए
- लीची के लिए कामन सुविधा केंद्र व विशेष बाजार व रोडमैप बने- बाग से हाट तक ले जाने के लिए कोल्डचेन वैन की सुविधा
- सरकार की ओर से जिला स्तर पर वेयर हाउस बने- मुजफ्फरपुर से देश के हर कोने के लिए चलने वाली रेलगाड़ी में विशेष कोल्डचेन वाली बोगी- विशेष लीची के लिए हवाई जहाज का परिचालन सीजन में नियमित हो-लीची पैकेजिंग के लिए प्रशिक्षण के साथ सरकार के स्तर पर हो व्यवस्था
-कीट से बचाव के लिए अभी से सरकार बनाए विशेष प्लान-लीची किसानों को विशेष कर्ज ब्याज रहित दे बैंक
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