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पश्चिम चंपारण में उफनाई मनियारी नदी, डूबे क‍िसानों के सैकड़ों एकड़ धान

West Champaran news नरकटियागंज के रखही और केसरिया पंचायत के आधा दर्जन गांवों के किसान तबाह किसानों ने कहा- तीसरी बार बिचड़ा गिराकर की थी धान की रोपनी सिकटा में बारिश के पानी से कई दिनों से डूबे हुए हैं धान।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Updated: Sun, 29 Aug 2021 04:05 PM (IST)
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पश्‍च‍ि‍म चंपारण में डूबे क‍िसानों के धान। जागरण
पश्चिम चंपारण, जासं। जिला में पिछले कई दिनों से हो रही बारिश से मनियारी नदी उफना गई है। नदी का पानी रखही, केसरिया पंचायत के आधा दर्जन से अधिक गांवों के सरेह को प्रभावित कर दिया है। सैकड़ों एकड़ धान की फसलें डूब गई हैं। किसानों में त्राहिमाम है। रखही गांव के किसान गुरलेज अख्तर, मोहम्मद आमिर, ताराचंद, नंदकिशोर साह, कुतुस अंसारी, मोहम्मद फिरोज अख्तर समेत गांव के 50 से अधिक किसानों की खेतों में लगी धान की फसलें पूरी तरह से डूब गई हैं।

पूर्व मुखिया गुलरेज अख्तर ने बताया कि तीसरी बार बिचड़ा तैयार कर धान की रोपनी की गई। लेकिन उपद्रवी मनियारी नदी का पानी खेतों में फैल गया है। जगह जगह खेतों में सिल्ट जमा हो गया है। विकराल हुई मनिहारी नदी केसरिया पुल के आसपास की फसलों को पूरी तरह अपनी आगोश में ले ली है। वहां पानी ही पानी दिख रहा है। किसानों का कहना है कि समय रहते कोई प्रबंध नहीं किया जाता और इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। छोटे-छोटे किसानों के समक्ष तो और भी विकट समस्या उत्पन्न हो गई है। कर्ज लेकर खेती किसानी की। ऊपर से मनियारी नदी की तबाही सैकड़ों एकड़ धान की फसलों को उठानी पड़ी है। किसानों का यह भी कहना है कि गन्ना का फसल तो पानी जमा होने से सुख ही रहा है। यदि ऐसे ही बारिश होती रही और मनियारी में पानी कम नहीं हुआ तो तबाही का दायरा बढ़ेगा।

सिकटा में भी बारिश से फसल तबाह

सिकटा प्रखंड क्षेत्र के गौचरी, धनकुटवा, सूर्यपुर, बलिरामपुर, मैनपुर समेत आधा दर्जन गांवों के किसान फसल डूबने से तबाह है। नदियां पूरी तरह से भरी हुई हैं और लगातार बारिश की वजह खेतों का पानी नहीं निकल रहा है। धान की फसलें पूरी तरह से डूब गई हैं। किसानों ने बताया कि दो दो बार धान का बीज गिराया। मगर बारिश के कारण वे सड़ गए। फिर महंगा बिचड़ा खरीद कर धान की रोपनी की। लेकिन लगातार छह दिनों से हो रही बारिश के कारण फसलें पानी में डूब गई है। उन खेतों में फसल के बजाय पानी ही पानी दिख रहा है। किसानों के समक्ष बड़ी चिंता है।

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