आगरा के आलू का नालंदा के बाजारों पर कब्जा, स्थानीय किसानों का कलेजा फट रहा; इन दो कारणों ने तोड़ी कमर
Nalanda News बिहार में नालंदा जिले के बाजारों में आगरा के आलू ने कब्जा जमाया हुआ है जिसकी वजह से स्थानीय किसान काफी परेशान हैं। दरअसल आगरा के आलू के खरीदार हर जगह मिल जाते हैं लेकिन स्थानीय आलू के नहीं। स्थानीय आलू में मिठास होती है जिसे खरीददार पसंद नहीं करते हैं।
By rajeev kumarEdited By: Aysha SheikhUpdated: Fri, 27 Oct 2023 03:44 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ। नालंदा जिले के उत्पादित आलू के खरीददार नहीं मिल रहे हैं। किसान हताश है। फायदा तो दूर पूंजी लौटने पर भी आफत है। दाम नहीं मिलने के कारण कोल्ड स्टोरेज में रखा आलू ले जाने को किसान तैयार नहीं है।
उपर से आगरा का आलू नालंदा के बाजारों पर कब्जा जमाए बैठा है। किसान को दाम चढ़ने के आसार दिख रहे हैं तो कोल्ड स्टोरेज संचालक परेशान हैं। उनके सामने दो ही विकल्प बच गये हैं।
पहला 31 अक्टूबर तक किसानों के आने का इंतजार करें। दूसरा तय तिथि के बाद किसान आलू नहीं ले जाते हैं तो औन पौने दामों में व यवसायी के हाथ आलू बेचकर किराया निकाले। आलू उत्पादक किसानों का कलेजा फट रहा है।
आलू का भाव कितना?
पीक सीजन सितम्बर, अक्टूर, नालंदा में अच्छी कमाई दिखा रहा था। उलझन ऐसी की कई किसान स्टोरेज से आलू निकालना चाहते हैं परन्तु बाजार उन्हें इजाजत नहीं देता। लोकल आलू का भाव अभी प्रति पैकट 550 से 600 रुपया है।
इतने ही दाम में आगरा का आलू भी बाजार में बिक रहा है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आगरा के आलू के खरीदार हर जगह मिल जाते हैं, लेकिन स्थानीय आलू के नहीं। जुनेदी के किसान नरेश प्रसाद कहना है कि खेत से कोल्ड स्टोरेज तक आलू लाने में पहले प्रति पैकेट 20 से 25 रुपये खर्च हो चुके हैं।
आलू को निकालने में लगेगा इतना किराया
अब रखे आलू को निकालने में 140 रुपये प्रति पैकेट का किराया देना होगा। साथ छटाई और भाड़े के बाद मंडी तक ले जाने के लिए एक पैकेट पर करीब 50 रुपए खर्च आएगा यानी 190 रुपए खर्च हो जाएगा और बाजार में दाम मिलेगा 550 रुपया पैकेट।
उस हिसाब से बचेगा सर्फ 360 रुपया। जबकि हावेस्टिंग के समय ही खेत से व्यापारी 450 से 480 रुपया पैकेट खरीद ले जाते थे। इतने दिनों तक स्टोरेज में रखने का फायादा कम, नुकसान ज्यादा हो रहा है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।