बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश का सरकारी विद्यालयों में असर दिखने लगा है। विद्यालयों में जहां विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है वहीं शिक्षक भी विद्यालयों में समय अनुसार आने लगे हैं। विद्यार्थियों ने कहा कि नहीं आने पर विद्यालय से नाम काट दिए जाने तथा रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने से वंचित कर दिए जाने के भय से उन लोगों को विद्यालय आना पड़ता है।
By rajeev kumarEdited By: Mukul KumarUpdated: Tue, 12 Dec 2023 03:08 PM (IST)
संवाद सूत्र, करायपरसुराय। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने जब से शिक्षा विभाग की कमान संभाली है तब से सरकारी विद्यालयों में अध्यनरत विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए काफी प्रयास किया जा रहा है।
इसका असर भी दिखने लगा है। विद्यालयों में जहां विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है, वहीं शिक्षक भी विद्यालयों में समय अनुसार आने लगे हैं, लेकिन उनके मातहत अधिकारियों के उपेक्षापूर्ण नीति के कारण प्रखंड मुख्यालय स्थित राजकीय कृत प्लस टू उच्च विद्यालय करायपरसुराय में शिक्षकों की कमी के कारण 11वीं तथा 12 वीं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है।
अभी भी शिक्षकों की कमी
प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार के द्वारा करायपरसुराय प्रखंड मुख्यालय में स्थित उच्च विद्यालय को प्लस टू का दर्जा दिया गया है। इस विद्यालय में कक्षा 9 तथा दसवीं में छात्र-छात्राओं की संख्या 341 है। वहीं, 11 वीं में 240 तथा 12 वीं में इतने ही विद्यार्थी विज्ञान एवं कला विषय में नामांकित हैं।
विद्यालय में नवमी एवं दसवीं के लिए उच्च स्तर पर 11 शिक्षकों की तैनाती की गई है। वहीं 11 वीं, 12 वीं में नामांकित विद्यार्थियों के लिए भूगोल विषय में एक, हिंदी विषय में एक शिक्षक तथा कंप्यूटर के लिए एक शिक्षक की तैनाती की गई है।
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि प्लस टू उच्च विद्यालय में विज्ञान, गणित विषयों के 11वीं तथा 12वीं में नामांकित बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। वहीं, कला विषय में मात्र एक हिंदी तथा एक भूगोल विषय के शिक्षक हैं, जबकि अन्य विषयों के शिक्षक नहीं है।
पढ़ाई हो रही बाधित
शिक्षकों की व्याप्त कमी के कारण विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल होने से वंचित होना पड़ रहा है। विद्यालय में विज्ञान विषय में नामांकित कुछ छात्रों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि संबंधित विषयों के शिक्षक के नहीं रहने के कारण उन लोगों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
विद्यार्थियों ने कहा कि नहीं आने पर विद्यालय से नाम काट दिए जाने तथा रजिस्ट्रेशन एवं परीक्षा फॉर्म भरने से वंचित कर दिए जाने के भय से उन लोगों को विद्यालय आना पड़ता है। उन्होंने कहा कि वे लोग विद्यालय में नामांकन कराने, रजिस्ट्रेशन कराने तथा परीक्षा फॉर्म भरने तक ही सीमित है।
शिक्षकों की कमी के कारण उन लोगों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है| विद्यालय अवधि के बाद निजी कोचिंग संस्थानों के सहारे अपनी पढ़ाई को रफ्तार दे पा रहे हैं।
स्कूलों पर और ध्यान देने की जरूरत
वहीं, निर्धन तबके से जुड़े कुछ छात्रों ने कहा कि पैसे के अभाव के कारण उन लोगों ने यह सोचकर विद्यालय में नामांकन कराया था कि यहां शिक्षकों के द्वारा पढ़ाया जाएगा। अपना भविष्य संवरने की उम्मीद लेकर यहां आए थे, लेकिन उन लोगों की पढ़ाई शिक्षकों की कमी के कारण बाधित है।
महकमे से जुड़े अधिकारियों को इस और ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है ताकि यहां के बच्चे अच्छे से पठन-पाठन कर सके। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उन्हें प्राप्त हो विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध है। हालांकि, विद्यालय में चहारदीवारी नहीं रहने के कारण असुरक्षा का माहौल बना रहता है।
इस संबंध में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक राजीव नयन ने कहा कि विद्यालय में 53 प्रतिशत विद्यार्थियों की उपस्थिति रहती है। उच्चाधिकारियों को वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए जिला से शिक्षक की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि विद्यालय मद की 14 लाख 50 हजार की राशि से विद्यालय के चहारदीवारी का निर्माण कराया जाएगा।
इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी जियाउल होदा खान ने कहा कि विधालय में साइंस विषय का शिक्षक नहीं होने की जानकारी उन्हें प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि उक्त विद्यालय में जनवरी माह तक शिक्षक की नियुक्ति कर दी जाएगी।
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