Nalanda: एक महीने तक राजगीर में होता है 33 कोटि देवी-देवताओं का वास, हर 3 साल में लगता है पुरुषोत्तम मास मेला
Purushottam Mas Mela राजगीर को यूं तो सर्वधर्म समभाव की धरती कहा जाता है लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यह विश्व की एक मात्र धरती है जो सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए सबसे पवित्र है। तीन साल में लगने वाले पुरुषोत्तम मास मेले में 33 कोटि देवी देवताओं का पूरे एक महीने तक राजगीर में वास होता है।
जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ: राजगीर को यूं तो सर्वधर्म समभाव की धरती कहा जाता है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यह विश्व की एक मात्र धरती है, जो सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए सबसे पवित्र है।
इसकी महत्ता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि तीन साल में लगने वाले पुरुषोत्तम मास मेले में 33 कोटि देवी देवताओं का पूरे एक महीने तक राजगीर में वास होता है।
इस दौरान कुंभ की तर्ज पर शाही स्नान का आयोजन होता है, जिसमें देश के कोने-कोने से आए साधु-संत अस्था की डुबकी लगाते हैं।
टेंट सिटी में होंगी ये व्यवस्थाएं
इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार, पर्यटन विभाग, कला संस्कृति विभाग व जिला प्रशासन इसे वैश्विक फलक पर धार्मिक पर्यटन के सबसे बड़े विकल्प के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही है।
मेले में अब तक सिर्फ थिएटर ही लोगों के मनोरंजन का साधन हुआ करता था, लेकिन पहली बार कला संस्कृति विभाग ने नौ दिनों तक सांसकृतिक कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक व स्थानीय कलाकारों के लिए अलग से मंच भी मुहैया कराया है।
डीएम शशांक शुभकर ने बताया कि इस बार सरकार की ओर से कई नए प्रयोग किए जा रहे है। चार शाही स्नना के समय उमड़ने वाले साधु-संतो व आम लोगों के भीड़ को देखते हुए जर्मन हैंगर टेंट सिटी को भी बसाने की व्यव्स्था की है, जिसमें दो हजार लोगों के रुकने की व्यवस्था है, जिसमें शौचालय, पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था की जाएगी।
टेंट सिटी में हेल्प डेस्क एवं पुलिस कंट्रोल रूम की व्यवस्था भी रहेगी। श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य के लिए अस्थाई अस्पताल भी टेंट सिटी में बनाया जाएगा। प्रचार-प्रसार में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। पीने के लिए पेय गंगा जल की भी व्यवस्था है।
क्या होता है पुरुषोत्तम मास
हिंदू पंचाग के अनुसार हर तीसरे वर्ष में एक मास अधिक हो जाता है। यह स्थिति 32 माह 16 दिन यानी लगभग हर तीसरे वर्ष बनती है। इस अधिक मास को पुरुषोत्तम मास कहा जाता है।
पुरुषोत्तम मास में एक माह तक मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। धार्मिक आस्था को लेकर हिन्दू धर्मावलंबी इस मास में शुभ कार्य नहीं करते हैं। इस मास में भगवान शिव और विष्णु की अराधना फलदाई मानी जाती है।
एक महीने तक नजर नहीं आते हैं काग
पूरे एक महीने तक चलने वाले इस मेले में राजगीर के आकाश में काग दिखाई नहीं देते हैं। इसके पीछे वजह यह बताई जाती है कि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र राजा वसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड में जो यज्ञ का आयोजन किया था तो उसमें सभी 33 कोटि देवी-देवताओं को तो उन्होंने निमंत्रण दिया था, लेकिन काग को निमंत्रण देना भूल गए थे। यही कारण है कि मलमास मेले के दौरान पूरे एक महीने राजगीर के आकाश में दिखाई नहीं देते हैं।
कुंड में स्नान का है विशेष महत्व
राजगीर में धार्मिक महत्ता के 22 कुंड व 52 धाराएं हैं, लेकिन ब्रह्मकुंड व सप्तधाराओं में स्नान की विशेष महत्ता है। देश व विदेश के श्रद्धालु यहां के कुंडों में स्नान व पूजा-पाठ करते हैं।
अधिकतर श्रद्धालु यहां के सभी कुंडों में पूरे विधि-विधान से स्नान व पूजा-पाठ करते हैं। शाही स्नान का मेले में विशेष महत्व है। शाही स्नान वह क्षण होता है, जिसमें साधु-संतों की टोलियों द्वारा विभिन्न कुंडों में स्नान किया जाता है।
राजगीर के 22 कुंड
ब्रह्मकुंड, सप्तधारा, व्यास, अनंत, मार्कण्डेय, गंगा-यमुना, काशी, सूर्य, चंद्रमा, सीता, राम-लक्ष्मण, गणेश, अहिल्या, नानक, मखदुम, सरस्वती, अग्निधारा, गोदावरी, वैतरणी, दुखहरनी, भरत और शालीग्राम कुंड।
ऐसे पहुंचें राजगीर
पटना से राजगीर की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। यह नालंदा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। राजगीर आवागमन के लिए दिल्ली, हावड़ा, पटना आदि स्थानों से ट्रेन की सुविधा है। पटना से नियमित बस सेवा भी है। राजगीर में ठहरने के लिए कई होटल भी हैं।