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अब मिटने लगा है अमावां स्टेट का अस्तित्व

देश के जितने राजा हुए उनके पीछे कुछ न उनका कुछ इतिहास जरूर रहा है।

By JagranEdited By: Updated: Tue, 10 Oct 2017 03:04 AM (IST)
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अब मिटने लगा है अमावां स्टेट का अस्तित्व

नालंदा। देश के जितने राजा हुए उनके पीछे कुछ न उनका कुछ इतिहास जरूर रहा है। अमावां स्टेट के राजा जिन्हें इग्लैंड की महारानी ने बहादुर की उपाधि से नवाजा था। वे थे छोटे जमींदार रहे बाबू वैद्यनाथ ¨सह के पुत्र राजा हरिहर प्रसाद नारायण ¨सह। अपनी प्रतिभा के बदौलत ये एक छोटे से जमींदार से अपनी रियासत का विस्तार कर राजा की श्रेणी में शामिल हुए थे। इनका राज वर्तमान नालंदा जिले से लेकर सहरसा, मधेपुरा नवगछिया व सिहेश्वर स्थान, भतरनथा से चींटी मौजा तथा गया जिले के टेकारी राज्य, सुंदरवन, वृंदावन एवं काशी तक फैला हुआ था। जो 1860 से 1952 तक फलता-फूलता रहा था। स्थानीय जानकारों की माने तो राजशाही के जमाने में अमावां स्टेट की मालगुजारी से प्रति माह 35 लाख रुपये राजस्व की वसूली आती थी। वे अपने महल व सिपहसलारों के घरों को रोशन करने के लिए खुद का पावर हाउस बनाए हुए थे। अमावां स्टेट के इस हवेली को लोग 52 कोठी 53 द्वार भी बोलते है।

उनके राज में ओहदेदार रहे एक परिवार के सदस्य ने बताया कि कोलकता के बाद अमावां में ही बिजली जगमगाती थी। इतना ही नहीं राजा हरिहर ¨सह ने अपने इलाके के किसानों के लिए खेती में ¨सचाई बगैर की दिक्कत न हो। इस लिए उन्होंने कुंभरी नदी की उड़ाही कराकर जगह-जगह नहरों का निर्माण कराया था। जो आज भी देखने को मिल जाता है। यहीं कारण था कि राजा हरिहर ¨सह के राज के अधीनस्थ ग्रामीण इनका उप नाम जलवंत राजा कहकर पुकारा करते थे। वहीं अपने राज में संचार व्यवस्था के लिए टेलीग्राम की व्यवस्था किए हुए थे। वहीं घर-घर के बच्चों को शिक्षित करने के लिए हरिरंभा संस्कृत महाविद्यालय एवं प्राइमरी तथा मिडिल स्कूल खोल रखे थे। इनके राज में स्त्री व पुरुष के लिए अलग-अलग अस्पताल व पुस्तकालय की व्यवस्था थी।

आज वर्तमान में रख-रखाव के अभाव में अमावां स्टेट की हवेली खण्डहर में तब्दील हो गई है। महल के भव्यता का राज महल के मुख्य द्वार पर की गई नक्काशी को देखने से जाहिर होता है। स्थापना काल में इस महल की क्या रुतबा रहा होगा। इसे देखने के बाद पता चलता है।

उस समय राजा हरिहर ¨सह के खासमखास रहे ठाकुर एदल ¨सह भी इनके पदचिह्न पर चलते हुए इनके प्रेरणा से जिले का सबसे बड़ा शिक्षण संस्थान नालंदा कॉलेज की स्थापना की थी। जो आज भी शिक्षा की ज्योति जगा रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि अगर सरकार पहल करे तो अमावां स्टेट की महल व उसके अंदर बने मां दुर्गा मंदिर तथा राजमहल परिसर में स्थित राम-जानकी तथा लक्ष्मण की मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है। राजगीर, नालंदा व पावापुरी आने वाले सैलानी निश्चित तौर पर इस महल की भव्यता देखने से अपने को रोक नहीं सकेंगे।

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