Gayatri Devi: पति की मौत के बाद 'देवी जी' बनी थी विधायक, बेटे ने ही 35 साल के राजनीतिक करियर पर लगा दिया ब्रेक
नवादा जिले में तीन दशक तक विधायक रहीं गायत्री देवी का राजनीतिक घराना काफी मजबूत रहा है। गायत्री देवी के पति युगल किशोर यादव बिहार सरकार में मंत्री रहे थे। इनके बेटे कौशल यादव गोविंदपुर से कई बार विधायक रहे हैं। इनकी बहू पूर्णिमा यादव नवादा से विधायक रही हैं।
By Jagran NewsEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Sun, 09 Apr 2023 03:44 PM (IST)
नवादा, जागरण संवाददाता। बिहार सरकार में पूर्व मंत्री गायत्री देवी ने 80 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। रविवार अलसुबह पटना के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। नवादा में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा। सीएम नीतीश कुमार ने गायत्री देवी के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की है।
नवादा जिले में तीन दशक तक विधायक रहीं गायत्री देवी का राजनीतिक घराना काफी मजबूत रहा है। गायत्री देवी के पति युगल किशोर यादव भी बिहार सरकार में मंत्री रहे थे। इनके बेटे कौशल यादव गोविंदपुर से कई बार विधायक रहे हैं। इनकी बहू पूर्णिमा यादव नवादा से विधायक रही हैं।
पति के निधन के बाद पहली बार बनीं विधायक
राजनीतिक सफर की बात करें तो गायत्री देवी 27 वर्षों तक विधायक, बिहार सरकार में मंत्री और कांग्रेस की जिलाध्यक्ष रहीं। इनका राजनीतिक करियर 1970 से शुरू हुआ। तब नवादा गया जिला का हिस्सा हुआ करता था। गायत्री देवी के पति युगल किशोर सिंह यादव भी अपने वक्त के दिग्गज नेता थे। 1969 में लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर गोविंदपुर विधानसभा से एमएलए बने थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री दारोगा राय के मंत्रिमंडल में मंत्री भी बने थे।नवादा में कांग्रेस ने दिया था टिकट
हालांकि, असमय ही उनका निधन हो गया, जिसके बाद गायत्री देवी ने पति की राजनीतिक विरासत को संभाला। वह खुद विधानसभा का चुनाव लड़ीं और 1970 में पहली बार गोविंदपुर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव जीत गई। फिर 1972 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया और जीत दर्ज करने के बाद नवादा की विधायक बन गईं। फिर 1980 से लगातार तीन बार गोविंदपुर से कांग्रेस की विधायक रहीं। साल 2000 के चुनाव में राजद के टिकट पर गोविंदपुर विधानसभा से चुनाव जीतकर फिर विधायक बनीं। 2005 तक विधायक रहीं।
चुनाव में बेटे के साथ हुआ आमना-सामना
हालांकि, गायत्री देवी का 35 साल लंबा राजनीतिक करियर उस वक्त खत्म हो गया, जब उनके अपने बेटे ने ही चुनावी मैदान में उन्हें शिकस्त दे दी। 2005 के चुनाव से पहले कौशल यादव राजद में शामिल हो गए। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार राजद मां की जगह उन्हें टिकट देगा। तब कौशल यादव राजद के जिलाध्यक्ष भी थे।हालांकि, राजद ने गायत्री देवी को ही टिकट दिया। इसके बाद कौशल यादव ने बगावत कर गोविंदपुर से खुद और पत्नी पूर्णिमा यादव को नवादा से निर्दलीय मैदान में उतार दिया। परिणाम काफी चौंकाने वाला आया। पति-पत्नी दोनों चुनाव जीत गए थे। वर्तमान में कौशल यादव जदयू के बड़े नेता हैं और नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। बेटे से हार के बाद गायत्री देवी ने राजनीति से दूरी बना ली।
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