Mahashivratri 2024: 500 सीढ़ियां लांघकर शिवभक्त पहुंचते हैं सोमनाथ मंदिर, राजा बृहद्रथ से जुड़ी है बेहद रोचक मान्यता
राजगीर के पंच पहाड़ियों में शुमार वैभारगिरी पर्वत स्थित बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर का महत्व अद्वितीय है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर की स्थापना महाभारतकालीन सम्राट जरासंध के पिता राजा बृहद्रथ ने की थी। बृहद्रथ ने संतान की प्राप्ति के लिए इस पर्वत पर शिवलिंग की स्थापना की थी और फिर भगवान शिवकृपा से जरासंध के अनोखे जन्म की कहानी भी इसी मंदिर से जुड़ा है।
संवाद सहयोगी, राजगीर। विश्व सनातनी भूमि में परम धार्मिक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर के पंच पहाड़ियों में शुमार, वैभारगिरी पर्वत स्थित महाभारतकालीन बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर का महत्व अलौकिक हो जाता है।
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर इस मंदिर में भव्य तैयारियां की जाती है। जहां महारूद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप अनुष्ठान आदि का आयोजन किया जाता है। जिसके लिए शिवभक्त पूजा सामग्रियों के साथ कठिन चढ़ाई कर, महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या में हीं यहां पहुंच जाते हैं। और रतजगा भी करते हैं।
पूजा-अर्चना के दौरान भजन कीर्तन के साथ महाप्रसाद का भंडारा भी होता है। वहीं अनेक सिद्धि प्राप्त साधु-संत भी यहां अनुष्ठान करते हैं।
वहीं पर्यटक थाना सह पुलिस स्टेशन राजगीर महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रत्येक वर्ष की तरह शिव-पार्वती विवाह समारोह सह बारात और महाप्रसाद भंडारे के रूप में प्रीतिभोज का भी आयोजन होता है।
बैद्यनाथ धाम से कम नहीं है महात्म्य
मंदिर का महात्म्य बाबा नगरी देवघर से कम नहीं है। देवघर से लौटने वाले शिवभक्त एक बार इस मंदिर के शिवलिंग पर जलाभिषेक अवश्य करते हैं। मंदिर की अलौकिक महिमा शिवभक्तों को यहां खींच लाती है।मंदिर तक पांच सौ 61 सीढ़ियों को लांघकर पहुंचा जा सकता है। जो शिव के अनन्य भक्त रहे राजा जरासंध और शिव के बीच की भक्ति की अनेक गाथाओं को समेट रखा है।
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