राजगीर मलमास मेला आज से शुरू, गाय की पूंछ पकड़कर नदी पार करने की परंपरा; कल CM नीतीश करेंगे उद्घाटन
नालंदा के राजगीर में 33 कोटि देवी-देवताओं के आह्वान और ध्वजारोहण के साथ ही राजकीय राजगीर पुरुषोत्तम मास मेले की आज से शुरुआत हो गई है। 19 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मलमास मेले के विधिवत उद्घाटन को लेकर राजगीर आएंगे। राजगीर में 22 कुंड और 52 जल धाराओं में इस बार श्रद्धालु स्नान करेंगे। जिला प्रशासन के द्वारा एक महीने तक मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा।
By Jagran NewsEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Tue, 18 Jul 2023 01:35 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ (नालंदा)। नालंदा के राजगीर में 33 कोटि देवी-देवताओं के आह्वान और ध्वजारोहण के साथ ही राजकीय राजगीर पुरुषोत्तम मास मेले की शुरुआत हो गई। करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज फलाहारी बाबा ने ध्वजारोहण कर 18 जुलाई से 16 अगस्त तक चलने वाले पुरुषोत्तम मास मेला की शुरुआत की।
इसके पूर्व ब्रह्मकुंड द्वार के सामने पूरे विधि-विधान से संत-महात्माओं और भक्तजनों ने पूजा-अर्चना की। 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान किया गया। तीर्थ पूजन कार्यक्रम मंगलवार की सुबह ही शुरू हो गई थी, जो करीब तीन घंटे तक चली। इसके बाद ध्वजारोहण का कार्यक्रम हुआ और मौके पर आए श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया।
इस मौके पर पंडा समिति के अध्यक्ष नीरज उपाध्याय, सचिव विकास उपाध्याय, कोषाध्यक्ष ओमकार नाथ उपाध्याय समेत पंडा समिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे। बता दें कि 19 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मलमास मेले के विधिवत उद्घाटन को लेकर राजगीर आएंगे। इसके साथ ही सरस्वती कुंड का उद्घाटन करेंगे।
तीर्थ पूजन में पहुंचे ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार
तीर्थ पूजन में शामिल होने आए राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि जिस भूमि पर 33 कोटि देवी देवताओं का वास पूरे एक महीने तक रहता हो, उससे बड़ा तीर्थ स्थल दुनिया में सनातनियों के लिए हो नहीं सकता।
राज्य सरकार इसे राजकीय मेले का दर्जा दे चुकी है। अब राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने की बारी केंद्र सरकार की है। सीएम नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने का कार्य कर रहे हैं। हम सभी देवी-देवताओं से प्रार्थना करते है कि वे नीतीश कुमार को ताकत और आशीर्वाद दें।
क्या है मान्यता
ऐसी मान्यता है कि अधिक मास में 33 कोटि देवी-देवता एक महीने तक राजगीर में ही प्रवास करते हैं। प्राचीन वैभवशाली मगध साम्राज्य की हृदयाशाली समृद्ध धार्मिक विरासत के सृजन भूमि राजगृह में चार शाही स्नान होंगे।
राजगीर में 22 कुंड और 52 जल धाराओं में इस बार श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे।सभी कुंड और जल धाराओं का जीर्णोद्धार कराया गया है, जिसमें सबसे खास वैतरणी नदी है। इस नदी तट को लोग प्राचीन समय से ही गाय की पूंछ पकड़कर पार किया करते थे। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से उन्हें सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।