राजगीर के ब्रह्मकुंड का कायाकल्प: काशी धाम कॉरिडोर जैसा होगा स्वरूप, 46 करोड़ से होगा विकास
राजगीर के पौराणिक ब्रह्मकुंड का स्वरूप अब बदलने जा रहा है। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ने 46 करोड़ 42 लाख रुपये का टेंडर जारी किया है जिससे इस ऐतिहासिक स्थल को काशी धाम कॉरिडोर जैसा स्वरूप दिया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को 24 महीनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
संवाद सहयोगी राजगीर(नालंदा)। राजगीर के पौराणिक ब्रह्मकुंड का स्वरूप अब बदलने जा रहा है। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ने 46 करोड़ 42 लाख रुपये का टेंडर जारी किया है, जिससे इस ऐतिहासिक स्थल को काशी धाम कॉरिडोर जैसा स्वरूप दिया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को 24 महीनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
क्या होगा बदलाव?
- 22 कुंड और 52 धाराएं: ब्रह्मकुंड में 22 कुंड और 52 धाराएं होंगी, जो शीतल और गर्म जल झरनों से लैस होंगी। इससे श्रद्धालुओं को स्नान और पूजा-अर्चना करने में आसानी होगी।
- 33 कोटि देवी-देवताओं के आसन: कुंडों में 33 कोटि देवी-देवताओं के आसन होंगे, जिससे श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना करने में सुविधा होगी।
- उपनयन संस्कार भवन: एक अलग उपनयन संस्कार भवन बनाया जाएगा, जिससे मुख्य कुंड क्षेत्र साफ और खुला रह सके।
- सरस्वती नदी पर नया पुल: सरस्वती नदी पर एक नया और चौड़ा पुल बनाया जाएगा, जो वैकल्पिक निकास मार्ग के रूप में काम करेगा।
- पार्किंग और ट्रैफिक समाधान: गुरुद्वारा के सामने स्थित जंगल रेस्टोरेंट को हटाकर व्यवस्थित पार्किंग स्थल बनाया जाएगा, जिससे टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर दोनों के लिए पर्याप्त स्थान मिलेगा।
महत्व और लाभ
- धार्मिक और पौराणिक महत्व: ब्रह्मकुंड का धार्मिक और पौराणिक महत्व बहुत अधिक है। मान्यता है कि सतयुग में ब्रह्मा जी के मानस पुत्र राजा वसु ने यहां वाजपेय यज्ञ किया था, जिसमें 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान हुआ था।
- पर्यटन को बढ़ावा: इस परियोजना से राजगीर के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की सफलता के बाद उम्मीद है कि ब्रह्मकुंड का यह विकास बिहार की धार्मिक पर्यटन नीति में मील का पत्थर बनेगा और राजगीर को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान हासिल होगी।
क्या कहते हैं पंडा कमेटी के सचिव?
यह सीएम नीतीश कुमार की दूरदर्शी पहल है। इससे न केवल सदियों पुरानी समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि राजगीर की धार्मिक पर्यटन संभावनाओं में गुणात्मक बढ़ोतरी भी होगी। इससे पर्यटन रोजगार का सृजन और राजगीर की पौराणिक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक पहचान को चार चांद भी लगेगा।
विकास उपाध्याय, सचिव, श्री राजगृह तपोवन तीर्थ पुरोहित रक्षार्थ पंडा कमेटी
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।