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Diarrhea: नालंदा में दो दिनों में डायरिया से तीन की मौत, सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम

Bihar Health News. बिहार के नालंदा जिले में डायरिया (Diarrhea) का कहर देखने को मिल रहा है। दो दिनों में डायरिया से तीन लोगों की मौत हो गई है। स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम सवालों के घेरे में हैं। हालांकि जिन लोगों की मौतें हुईं हैं उनका अब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आया है। प्रशासन को रिपोर्ट का इंतजार है।

By rajnikant sinha Edited By: Mukul Kumar Updated: Fri, 23 Aug 2024 06:01 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ। दीपनगर थाना क्षेत्र के काको बीघा गांव में डायरिया से तीन बच्चों की मौत हो गई। वही एक अन्य का इलाज चल रहा है। इससे साफ है कि डायरिया ने पैर पसार लिया है। ग्रामीणों का दावा है कि तीनों की मौत डायरिया से ही हुई है।

हालांकि प्रशासन पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। मरने वालों में रंजीत पांडेये की दो सगी बेटी पांच साल की परिधि और तीन साल की परी हैं। तीसरी बेटी भी बीमार है। इनके पड़ोस में रहने वाला कारू का 11 साल का पुत्र गोलू कुमार भी डायरिया से अपनी जान गंवा बैठा।

दो दिन में हुई तीन बच्चों की मौत के बाद प्रशासन को मुख्यालय से महज आधे किलोमीटर की दूरी पर स्थित काको बीघा गांव पहुंचने में पांच दिन का वक्त लग गया। डीएम शशांक शुभंकर ने कहा कि सूचना मिलते ही गांव में मेडिकल टीम व एंबुलेंस की टीम तैनात कर दी गई। गांव में ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव भी किया जा रहा है।

ग्रामीणों का आरोप है कि 16 अगस्त से ही गांव में डायरिया का प्रकोप था। दूषित पानी पीने के कारण गांव में डायरिया फैला है। नगर निगम से कई बार शिकायत की गई पर कोई सुनने वाला नहीं। मृतकों के पड़ोसी अरुणेश यादव ने बताया कि डायरिया का प्रकोप पूरे गांव में फैला हुआ है।

शुरुआत में ही सरकारी स्तर पर कोई सुविधा उपलब्ध कराई जाती तो यह घटना नहीं होती। यहां तक की सरकारी अस्पतालों में भी डायरिया पीड़ित मरीजों का इलाज बेहतर ढंग से नहीं हो रहा है। किसी प्रकार लोग अपने स्तर से निजी क्लीनिक में इलाज करा रहे हैं।

अगर पैसे होते तो बच जाती पोतियों की जान

बिहार शरीफ नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 47 में शुक्रवार को परिधि की मौत हो गई। जबकि गुरुवार को परिधि की बहन परी कुमारी और पड़ोसी कारू सिंह के बेटे गोलू कुमार की मौत हो गई थी। सभी का निजी अस्पताल में इलाज कराया जा रहा था।

परी और परिधि के दादा मोती लाल पांडेय ने बताया कि निजी क्लिनिक में इलाज करवा रहे थे। बेहतर इलाज के लिए पटना ले जाने की बात कही गई, लेकिन रुपये नहीं था। जिस कारण एक-एक कर दोनों बच्चियों ने दम तोड़ दिया। दोनों बच्चियों की बहन अंजली की भी तबीयत खराब है।

उसे इलाज के लिए शुक्रवार को भर्ती कराया है। गोलू के परिजन ने बताया कि अचानक से उल्टी और दस्त होने लगी। मेडिकल दुकान से दवा लाकर गोलू को खिलाया गया। तबीयत और बिगड़ गई। इसके बाद डाक्टर के यहां ले जाने लगे तब तक उसकी मौत हो गई।

नगर निगम की लापरवाही के कारण फैला डायरिया

वार्ड नंबर-47 के वार्ड प्रतिनिधि धनपत कुमार ने बताया कि पीने के पानी तक की कोई व्यवस्था नहीं है। निगम के अधिकारियों को कई बार इस बारे में कहा गया है। लेकिन कोई पहल नहीं की जा रही है।

वर्तमान समय में जो नल से जल लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। उसमें कई जगह लीकेज हो गया है। इसके कारण नाली का गंदा पानी भी पाइप में प्रवेश कर जाता है। वही पानी लोगों को पीना पड़ रहा है।

वहीं, नगर आयुक्त शेखर आनंद ने कहा कि इस बात की जानकारी नहीं थी। सूचना मिलते ही नगर निगम अधिकारी व कर्मी को भेज दिया गया है।

क्या कहते है बीडीओ

बिहारशरीफ प्रखंड के बीडीओ मनीष कुमार ने बताया कि सूचना मिलने के बाद मेडिकल टीम को तैनात किया गया है। ब्लीचिंग पाउडर का भी छिड़काव कराया जा रहा है।

दावों की सच्चाई और जागरूकता का अभाव

तीन बच्चों की मौत की खबर पर पहुंचे वार्ड पार्षद प्रतिनिधि को क्या पता नहीं था कि उनके इलाके की स्थिति क्या है। क्या वरीय पदाधिकारी को अवगत नहीं कराना चाहिए था। क्या स्वास्थ्य विभाग ने जागरूकता के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा किया।

क्या सदर अस्पताल में व्यवस्था की कमी है। आखिर निजी क्लिनिक में इलाज कराने की नौबत क्यों आई। बार बार सूचना के बाद भी सदर अस्पताल प्रशासन प्रबंधन ने संज्ञान क्यों नहीं लिया।

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