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खतरों के खिलाड़ी बन विषैले सांपों को बचाने की मुहिम में जुटे युवा राहुल, सर्पदंश को लेकर लोगों को कर रहे जागरूक

नालंदा के विभिन्न प्रखंडों में दर्जन भर से अधिक सर्पदंश की घटनाओं ने लोगों को डरा दिया है। बरसात में सर्पदंश की घटना आम होती है। फिर भी जो घटनाएं इन प्रखंडों में घटी है। उससे लोग डरे सहमे हैं। बिना समय गवाएं लोग उसे मार दे रहे हैं। इस सबके बीच युवा राहुल कुमार खतरों के बन विषैले सांपों को बचाने में जुटे हुए हैं।

By rajeev kumarEdited By: Mohit TripathiUpdated: Wed, 02 Aug 2023 12:27 AM (IST)
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लोगों को जागरूक करते विषैले सांपों को बचाने की मुहिम में जुटे युवा राहुल। (जागरण फोटो)
राकेश पांडेय, नालंदा: बरसात के मौसम में सर्पदंश की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। इस मामले में व्याप्त अंधविश्वास की जद में आकर कितने लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। नालंदा के नूरसराय निवासी राहुल कुमार इन दिनों सर्पदंश से बचाव व सांपों के बारे में जानकारी देने का अभियान चला रहे हैं।

बिहार पर्यावरण संरक्षण अभियान (बिप्सा) और वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के इमरजेंसी रिलीफ नेटवर्क के सर्पदंश से बचाव की मुहिम के अंर्तगत बिप्सा के सदस्यों द्वारा नालंदा के कई प्रखंडों के प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक विद्यालयों, प्रखंड कार्यालय, थाना, कॉलेज, पंचायत भवन, स्थानीय बाजार में जाकर सर्पदंश से बचने के उपाय, प्राथमिक उपचार और सांपों से जुड़ी भ्रांतियों को बताया जा रहा है।

कुछ इस तरह लोगों को कर रहे जागरूक

यह अभियान मई से अगस्त माह तक चलाया जाएगा। ताकि सांप और मानव के बीच टकराव को कम करके दोनों के जीवन को बचाया जा सके। इस अभियान के अंतर्गत पर्चियों और पोस्टर के माध्यम से लोगों को सांप से बचने व सांप को इंसानों से बचाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इस बीच लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है। उनके सवाल के जवाब एक्सपर्ट से मिल रहे हैं।

राहुल अपनी टीम के साथ गली-गली व मोहल्ले में दस्तक दे रहे हैं। आम से लेकर खास सभी को न केवल पर्चे के माध्यम से बल्कि फिजिकली भी सभी को बताने का काम कर रहे हैं।

राहुल खुद भी स्नेक रेस्क्यूअर हैं तथा पूरी तन्मयता से इस काम में जुटे हैं। लोग बाग इनकी भी मदद ले सकते हैं। इस काम में खतरा भी है। कई बार इनका सामना विषधर सर्पों से हो चुका है।

दर्जनों लोग हो चुके हैं शिकार

हाल के महीनों में नालंदा के विभिन्न प्रखंडों में दर्जन भर से अधिक सर्पदंश की घटनाओं ने लोगों को डरा दिया है। हालांकि, बरसात में सर्पदंश की घटना आम होती है। फिर भी जो घटनाएं इन प्रखंडों में घटी है। उसके बाद से लोग डरे सहमे हैं और जहां भी सांप निकलने की घटना हो रही है। बिना समय गवाएं लोग उसे मार दे रहे हैं। सर्पदंश के शिकार कई लोगों की जान भी जा चुकी है।

जानकारी के अनुसार, करायपरशुराय प्रखंड के पौने छह आना मोहल्ले, बेन गांव, हरनौत के मकुंदी पारी गांव, बिहारशरीफ का शिवपुरी मोहल्ला, सिलाव के दामन खंधा, बिहारशरीफ प्रखंड के नेवाजी बीघा गांव, नूरसराय प्रखंड के चरूई पर गांव तथा सिलाव के मितमा गांव में सर्पदंश की घटनाएं हुई। उनमें से कई की जाने चली गईं हैं। बहुत कम ही लोगों को बचाया जा सका। इन सभी घटनाओं में जहां भी सांप निकले वहां दंश के शिकार हुए लोगों के स्वजन ने उन सांपों को बिना समय गवाएं मारने का ही फैसला लिया।

सांप के विषय में क्या है भ्रांति

राहुल बताते हैं कि किसी सांप को देखते ही हमारे ज़ेहन में आता है कि उसे मार देना है। उसके बाद या शायद ही कभी यह विचार कर पाते हैं कि उस मूक सांप को उस जगह से कहीं और स्थानांतरित कर दिया जाय। जिससे हमलोग और सांप दोनों सुरक्षित रह सकेंगे।

डरे सहमे प्राणी अपने प्राण को बचाने के लिए यत्न करते हैं। जबकि हम उन्हें अपना दुश्मन मानकर दुर्भाग्यवश मार देते हैं। विषैला सर्प हो या विषहीन सामान्य सर्प दोनों जीव पारिस्थिति की तंत्र के महत्वपूर्ण अंग हैं। हमें प्राणियों के प्राणों की रक्षा करनी चाहिए ना कि उनका हनन क्योंकि उनकी संख्या घट रही है।

वन विभाग या सर्पमित्र का ले सकते हैं सहारा

राहुल का कहना है कि सांपों के स्थानांतरित करने हेतु वन विभाग या स्थानीय सर्प मित्र, बचावकर्ता (स्नेक रेस्क्यूर) से संपर्क किया जा सकता है। जो जिम्मेदारी पूर्वक सांप को उस स्थान से हटाकर उनके पर्यावास में आज़ाद कर देते हैं। जरूरत पड़ने पर विभाग द्वारा दिए गए संपर्क सूत्र पर लोग मदद मांग सकते हैं।

चाहे किसी सांप की पहचान करनी हो या घर में भूल वश आ गए सांप की रेस्क्यू करने की जरूरत आ पड़े। इनका मानना है कि जब भी कोई सांप भूलवश आपके दरवाजे पर दस्तक दे या कोई सर्प आपके घरों में अपना बसेरा बना ले तो उन्हें मारने से पहले एक बार अवश्य विचार करें।

पारितंत्र का अहम हिस्सा है सर्प

जीव विज्ञानियों का मानना है कि सांप पारितंत्र का अहम हिस्सा है। क्योंकि यह कई तरह के जीव जैसे चूहा, पक्षी, मेंढक, मछली, छिपकली आदि को खाकर और बाज, स्टोर्क जैसे पक्षियों का शिकार बनकर खाद्य जाल में संतुलन बनाये रखते हैं।

सांंप, चूहों और पक्षियों को खाकर किसानों के फसलों की रक्षा करते हैं, इसलिए इन्हें किसानों का मित्र भी कहा गया है। इस तरह से सांप परिस्थितक तंत्र में संतुलन बनाए रखते हैं, और हमे चूहों से फैलने वाले रोगों से भी बचाते हैं।

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