नवादा में 15 परिवार के लोग बन गए ईसाई
कभी हिदू धर्म और देवी-देवताओं में आस्था रखने वाले ताराटाड टोला में 15 परिवारों के 50 सदस्यों ने ईसाई धर्म अपना लिया है। अब वहां हिदू धर्म को मानने वाले महज तीन परिवार ही बचे हैं लेकिन उन पर भी धर्मातरण के लिए दबाव है।
By JagranEdited By: Updated: Sat, 08 Feb 2020 06:09 AM (IST)
राहुल कुमार, रजौली (नवादा)
कभी हिदू धर्म और देवी-देवताओं में आस्था रखने वाले ताराटाड टोला में 15 परिवारों के 50 सदस्यों ने ईसाई धर्म अपना लिया है। अब वहां हिदू धर्म को मानने वाले महज तीन परिवार ही बचे हैं, लेकिन उन पर भी धर्मातरण के लिए दबाव है। नवादा जिला में रजौली थाना से 80 किमी दूर ताराटाड चारों तरफ से जंगल से घिरा है। वहां की गैरकानूनी गतिविधियों की जानकारी पुलिस-प्रशासन को होने में काफी समय लग जाता है। पड़ोसी कोडरमा जिला के दो थाना क्षेत्रों से होकर चटकरी गांव तक पहुंचना होता है, जिसका एक टोला ताराटांड है, जिसके अधिसंख्य बाशिंदे अनुसूचित जनजाति के हैं। इलाके को आज तक नक्सलियों के चंगुल से मुक्ति नहीं मिली, जिसका नाजायज फायदा धर्मातरण कराने वाले वसूल रहे। सवैयाटांड़ पंचायत के मुखिया प्रदीप साव शिकायत कर रहे हैं। चटकरी गांव इसी पंचायत का हिस्सा है। बकौल प्रदीप, लोभ-लालच देकर भोले-भाले आदिवासियों को बहकाया जा रहा। पिछले छह माह में मैंने कई बार वरीय अधिकारियों को धर्मातरण कराए जाने की जानकारी दी, लेकिन मेरी मौखिक शिकायतों पर कोई पहल नहीं हुई। हालांकि ताराटांड के धनराज भुल्ला दूसरी बात कह रहे। उनके मुताबिक लोगों ने अपनी मर्जी से ईसाई धर्म को अपनाया है। अलबत्ता वे मानते हैं कि कुछ दिन पहले तक वे लोग हिदू थे और बाइबल पढ़कर उनकी आंख खुली। दरअसल, बाइबल पढ़ाने वाले पड़ोसी कोडरमा जिला में सक्रिय ईसाई मिशनरी के सदस्य हैं। चटकरी के युवा कहते हैं कि यह पोल तो सरस्वती पूजा के दौरान खुली, जब चंदा के लिए हम लोग ताराटांड टोले में गए। वहां के बाशिंदों ने खुद को ईसाई बताते हुए चंदा देने से मना कर दिया, जबकि पिछले साल तक वे लोग पूजा में सहभागी रहे हैं। बहरहाल ताराटांड टोले में दो खेमे साफ नजर आते हैं। हिदू धर्म में बचे तीन परिवारों के लोग दबी जुबान बहुत कुछ कह रहे, लेकिन कुछ भी लिखने-पढ़ने से साफ मना कर दे रहे। वे खौफ में हैं। धर्म परिवर्तन कर चुके कई लोग जो कहानी बता रहे उससे सच्चाई उजागर हो जाती है। कुछ माह पहले गाव की एक महिला की तबीयत काफी खराब हो गई थी। वह दर्द से कराह रही थी। बेचैनी इस कदर कि कब दम निकल जाए। उसी दौरान कुछ लोग पहुंचे और यीशु (ईसा मसीह) की प्रार्थना करने को बोले। वैसा करने पर महिला स्वस्थ हो गई। उसी प्रकार एक युवक पागलों की तरह व्यवहार किया करता था। यीशु से प्रार्थना करने पर वह भी ठीक हो गया। उसके बाद निरीह ग्रामीणों की आस्था यीशु के प्रति बढ़ गई और वे ईसाई धर्म को अपना लिए। धनराज भुल्ला यह कहानी बता रहे। हालांकि यीशु के स्मरण के साथ दवा आदि के सेवन की सच्चाई को वे छुपा ले रहे हैं। शुक्रवार को आते हैं गुमराह करने : नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ग्रामीण ने बताया कि हर शुक्रवार कुछ लोग ताराटांड आते हैं और ईसाई धर्म अपनाने के लिए लोगों को गुमराह (ब्रेन वाश) करते हैं। चटकरी गांव के बगल में सेवा सदन होली फैमिली अस्पताल और ज्ञानदीप विद्यालय का संचालन हो रहा। वहां बच्चों को ईसाई धर्म की किताबें पढ़ाई जाती हैं। रामायण-गीता की जगह बाइबल का पाठ: ग्राम ण बताते हैं कि कुछ महीने पहले तक ताराटांड के लोग दशहरा, दिवाली और होली पर उत्साह-उल्लास में मगन हो जाते थे। अब वे क्रिसमस और गुड फ्राइडे को ही अपना पर्व मानते हैं। रामायण-गीता की जगह बाइबल को पवित्र पुस्तक। गांव के सामुदायिक भवन में सामाजिक चेतना केंद्र का कार्यालय संचालित हो रहा। ::::::::::::::::::::::::::::::::: शिकायत और सफाई 'पिछले छह माह से मैं वरीय अधिकारियों को लोभ-लालच देकर धर्मातरण कराए जाने की जानकारी दे रहा। मेरी शिकायत पर कोई पहल ही नहीं हुई।'
- प्रदीप साव, मुखिया, सवैयाटांड़, रजौली
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'लिखित शिकायत मिलने पर मामले की पूरी जाच कराई जाएगी। जो तथ्य उजागर होगा उसके संदर्भ में कार्रवाई की जाएगी।' - चंद्रशेखर आजाद, एसडीओ, रजौली :::::::::::::::::::::::::::::::::
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