Navratri Day 6 Puja Vidhi: मां कात्यायनी की पूजा कैसें करें? इस मंत्र और पूजा विधि से सारे दुख हो जाएंगे दूर
Maa Katyayani Puja Vidhi शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। मां कात्यायनी ऋषि कात्यायन की तपस्या के फलस्वरूप उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई थीं। मां कात्यायनी की पूजा विधि-विधान से करने से सहजता धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्तों को पूजा करते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
संवाद सूत्र, मेसकौर (नवादा): आज शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा विधि-विधान से होगी। पूजा कर रहे आचार्य धनंजय शास्त्री ने मां कात्यायनी के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि मां कात्यायनी ऋषि कात्यायन की तपस्या के फल स्वरुप उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई थी, इसी रूप में मां ने महिषासुर का वध किया था। देवी मां की उपासना करने से सहजता, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है।
नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। छठा दिन होने के कारण इस दिन की पूजा का विशेष महत्व है। कात्यायनी के इस स्वरूप की बात करें तो, सुनहरे और चमकीले वर्ण वाली, चार भुजाओं वाली और रत्नाभूषणों से अलंकृत कात्यायनी देवी खूंखार और झपट पड़ने वाली मुद्रा में रहने वाले सिंह पर सवार रहती हैं।माता कात्यायनी की दाहिनी ओर की ऊपर वाली भुजा अभय देने वाली मुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा वर देने वाली मुद्रा में रहती हैं। बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में वे चंद्रहास खड्ग धारण करती हैं जबकि नीचे वाली भुजा में कमल का फूल रहता है।
मां कात्यायनी की पूजा कैसे करें?
देवी कात्यायनी की पूजा करने के लिए सुबह स्नान के बाद भक्त लाल या पीले रंग का वस्त्र पहन कर मंदिर या पूजा की जगह को गंगाजल से शुद्ध कर लें। फिर इसके बाद कुमकुम का तिलक जरूर लगाएं। फिर पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण कर और हाथ में फूल लेकर संकल्प लें। इसके बाद वैदिक मंत्रों का जाप और प्रार्थना करें। कमल का फूल उपलब्ध हो तो मां को अवश्य चढ़ाएं। फिर उन्हें भोग के रूप में शहद और फल अर्पित करें। पाठ करने के बाद आरती से पूजा संपन्न करें और क्षमा प्रार्थना करें।
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