Bihar News: न चीर-फाड़ के यंत्र, न फोरेंसिक डॉक्टर... कुछ इस तरह होता है सदर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम
बिहार के नवादा में स्थित सदर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम राम भरोसे ही किया जा रहा है। इस अस्पताल में न तो पोस्टमॉर्टम के लिए पर्याप्त यंत्र हैं और न ही फोरेंसिक डॉक्टर। सामान्य चिकित्सकों के भरोसे ही पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया को छोड़ दिया गया है। वो भी जब अपने काम से फुर्सत पाते हैं तो पोस्टमॉर्टम का कोरम पूरा करते हैं।
By Rajesh PrasadEdited By: Rajat MouryaUpdated: Tue, 10 Oct 2023 02:31 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नवादा। Bihar Government Hospital Postmortem सदर अस्पताल नवादा में पोस्टमॉर्टम करने के लिए किसी विशेषज्ञ डॉक्टर की नियुक्ति नहीं है। ओपीडी और इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात डॉक्टरों को फुर्सत मिलती है तो पोस्टमॉर्टम हाउस जाकर अपना कोरम पूरा कर देते हैं। वहीं, चीर-फाड़ से लेकर विसरा की पैकिंग करना व अन्य प्रक्रिया चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी जितेन्द्र कुमार करते हैं।
सदर अस्पताल नवादा में पोस्टमॉर्टम के लिए पैथोलॉजी और फोरेंसिक के जानकर चिकित्सक नहीं हैं। इसी के साथ, अस्पताल में चीर-फाड़ करने वाले यंत्रों की भी कमी है। विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ पोस्टमॉर्टम हाउस के कर्मचारियों का पद भी रिक्त है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देने के लिए किसी दूसरे विभाग से लॉगर लगाया गया है। रिपोर्ट से संबंधित सभी लेखा-जोखा इनके पास ही रहता है।
पोस्टमॉर्टम हाउस में AC तक की सुविधा नहीं
हालांकि, सदर अस्पताल के पोस्टमॉर्टम हाउस में एसी तो नहीं हैं परंतु 48 से 72 घंटा रखने के लिए फ्रिज की व्यवस्था है। फ्रिज में वैसे शव को रखा जाता है, जो पुलिस को लावारिस हालात में मिले और मृतक के स्वजन इसकी पहचान कर सकें।72 घंटे से पहले स्वजन शव की पहचान कर लेते हैं तो उन्हें कुछ कागजी प्रक्रिया के बाद सुपुर्द कर दिया जाता है। पहचान नहीं होने पर पुलिस ही लावारिस शव का अंतिम संस्कार करती है।
ये भी पढ़ें- ये बिहार है जनाब! पोस्टमॉर्टम के लिए यहां परिजनों से मांगा जाता है ब्लेड, ग्लव्स व जरूरी सामान; डॉक्टर भी...
ये भी पढ़ें- बदहाल सिस्टम... सदर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए लगता है 'चढ़ावा', गमजदा परिवारों का हो रहा आर्थिक शोषण
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।