तिरगें को सलामी देने के बाद होगा ज्ञान की देवी का पूजन, 19 वर्षों बाद एक साथ होगी गणतंत्र दिवस व सरस्वती पूजा
गणतंत्र दिवस व ज्ञान पर्व सरस्वती पूजा 19 वर्ष बाद देश में एक ही दिन मनायी जाएगी। इससे पहले वर्ष 2004 में ऐसा मौका आया था जब एक ही दिन गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी मनाया गया था। ऐसे लगभग हर 19 वर्ष बाद ऐसा मौका आता है।
By Manoj KumarEdited By: Yashodhan SharmaUpdated: Mon, 16 Jan 2023 07:38 PM (IST)
अकबरपुर (नवादा), संवाद सूत्र: गणतंत्र दिवस व ज्ञान पर्व सरस्वती पूजा 19 वर्ष बाद देश में एक ही दिन मनायी जाएगी। इस दिन सर्वप्रथम देश की आन, बान और शान राष्ट्रध्वज तिरंगे को सलामी दी जाएगी। इसके बाद ज्ञान, बुद्धि और विद्या की अधिष्ठात्री देवी भगवती सरस्वती की आराधना होगी। इससे पहले वर्ष 2004 में ऐसा मौका आया था जब एक ही दिन गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी मनाया गया था। ऐसे लगभग हर 19 वर्ष बाद ऐसा मौका आता है।
विद्या की देवी मां सरस्वती के पूजन की तैयारी शुरू हो गयी है। मूर्तिकारों ने प्रतिमा को अंतिम रूप देना प्रारंभ कर दिया है। बिहार के नवादा शहर के अकबरपुर आजाद मुहल्ला स्थित कुम्हार टोली, पांती, हाट पर, फतेहपुर, नेमदारगंज, माखर, बरेव, फरहा आदि स्थानों पर प्रतिमा के निर्माण में कलाकार पूरे मनोयोग से जुटे हैं। सरस्वती पूजा 26 जनवरी को है। महंगाई ने मूर्तिकारों की परेशानी को बढ़ा दिया है। ऐसे में विद्या की देवी की प्रतिमा खरीदने के लिये भक्तों को इस बार अधिक पैसा खर्च करने होंगे।
सबसे छोटी मूर्ति (डेढ़ से दो फीट तक) की कीमत 500-1000 रुपये के बीच है। वहीं 500 से 8 हजार रुपये के बीच में बड़ी मूर्ति मिलेगी। श्रृंगार सामग्री की कीमत अलग से है। यानी कि मूर्ति के आकार के अनुसार जितनी श्रृंगार की जायेगी, कीमत उतनी अधिक होगी।
अकबरपुर के मूर्तिकार जितेंद्र पंडित ने बताया कि इस बार निर्माण सामग्री के दाम में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। पुआल, बास, काटी, रंग, मिट्टी आदि के दाम बढ़ गये है। जितेंद्र पंडित ने बताया कि मिट्टी के दाम भी बढ़ गए है, घर तक मिट्टी पहुंचाने पर 3500 रुपये प्रति टेलर खर्च करना पड़ रहा है।
तीन देवियों में प्रधान हैं महासरस्वती
ज्योतिषाचार्य आलोक कुमार ने कहा कि देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। माघ महीने में पड़ने वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इसी नवरात्रि यानी माघ शुक्ल पंचमी को तीन महा देवियों में प्रधान मां सरखती का प्राकट्य हुआ था। इनके एक हाथ में पुस्तक, दूसरे हाथ में वीणा है। मां सरस्वती को वीणा वादिनी भी कहते हैं। ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी भगवती सरस्वती की संगीत के लिए भी आराधना की जाती है।
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