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बीड़ी के पत्तों की कालाबाजारी से तबाह हो रहे नवादा के जंगल, केंदुइ के पेड़ों को काटने से भी नहीं हिचक रहे माफिया

बिहार के नवादा में वन संसाधनों की अधिकता है। यहां कई प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं। इन्हीं में से एक पेड़ है केंदुइ का जिसके सूखे पत्तों से बीड़ी बनाई जाती है। केंदुइ के पत्ते के व्यापार से जुड़े लोग अधिक से अधिक सूखे पत्तों के लिए पेड़ों को काटने से पीछे नहीं हटते। माफियाओं की इस हरकत से नवादा के जंगल तबाह हो रहे हैं।

By mukeshp pandey Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 31 May 2024 04:57 PM (IST)
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नवादा में बीड़ी बनाने में प्रयोग होने वाले केंदुइ के पत्ते का व्यापार धड़ल्ले से जारी। (सांकेतिक फोटो)
संवाद सूत्र, रजौली (नवादा)। बिहार के नवादा में हरदिया पंचायत के डेलवा, चोरडीहा व परतौनिया, धमनी पंचायत के धमनी व बुढ़ियासाख एवं सवैयाटांड़ पंचायत में वन संसाधनों की अधिकता है। यहां विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं। इन्हीं में केंदुइ नामक पेड़ के सूखे पत्तों से बीड़ी बनाई जाती है।

केंदुइ के पत्ते का व्यापार में जुटे लोग अधिक से अधिक पेड़ के सूखे पत्तों के लिए पेड़ों को काटने से पीछे नहीं हटते हैं। साथ ही जंगल में ही इन पत्तों को सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। जब पेड़ के पत्ते सूख जाते हैं, तो इसे एकत्रित कर बंडल बनाकर बड़े-बड़े बोरे में भरकर ट्रैक्टर द्वारा बाजार में व्यापारियों के पास पहुंचा दिया जाता है।

पेड़ों को भारी नुकसान पहुंचा रहे तस्कर

चूंकि केंदुइ के पत्ते सूखे होते हैं, इसलिए ये विभागीय कार्रवाई से बच जाते हैं। किंतु केंदुइ के पत्ते को ज्यादा मात्रा में प्राप्त करने के लिए इससे जुड़े व्यापारी व तस्कर जंगल में मौजूद पेड़ को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

एक तरफ सरकार प्रत्येक 31 मई को तम्बाकू निषेध दिवस मनाकर लोगों को जागरूक कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर बीड़ी के पत्तों का व्यापार बेरोकटोक जारी है। जबकि, बीड़ी से ज़्यादा निकोटीन ,कार्बन मोनोऑक्साइड और टार निकलता है। जिससे पारंपरिक सिगरेट की तुलना में मौखिक कैंसर का ज़्यादा जोखिम होता है।

बीड़ी पीने से कैंसर से लेकर हार्ट अटैक तक का खतरा

धूम्रपान के कई अन्य प्रकारों की तरह, बीड़ी से कई प्रकार के कैंसर, हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है। तम्बाकू सेवन के अन्य रूपों की तुलना में अधिक हानिकारक भी हो सकते हैं। सिगरेट पीने वालों में वेंटिलेटरी असामान्यताओं की आवृत्ति सबसे अधिक थी।

सिगरेट पीने वालों की तुलना में बीड़ी पीने वालों में क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और असामान्य वेंटिलेटरी माप का कम प्रचलन मुख्य रूप से तम्बाकू की कम कुल खपत के कारण माना जाता है। रैपर पत्ती के जलने से उत्पन्न धुएं और बीड़ी में इस्तेमाल किए जाने वाले तम्बाकू के प्रकार के कुछ अतिरिक्त प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता।

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