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जदयू से जोड़े जा रहे मजबूत जमीन के नेता

By Edited By: Updated: Sun, 14 Jul 2013 07:39 PM (IST)
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पटना : किसी भी दल में या खुद के बनाए किसी मोर्चे पर सक्रिय, मजबूत जमीन के नेताओं को अपनी संपदा बना लेने की जदयू की रणनीति पर अमल शुरू हो चुका है। यह क्षेत्रीय मुद्दों को धार देते हुए भाजपा को आंचलिक आकांक्षा की राजनीतिक धारा से अलग-थलग कर देने और उसे घेरने की सोची-समझी कार्यनीति का हिस्सा है। सेंध तो भाजपा में भी लगा दी गई है और भाकपा (माले) या बसपा की लड़ाका कतार पर भी डोरे डाले जा रहे हैं।

हाल ही में भाकपा (माले) और बसपा से ताल्लुक रखने वाले कुछ ऐसे ही नेताओं की जदयू की सदस्यता लेना इसकी एक बानगी है। इनमें भाकपा (माले) के पूर्व विधायक एनके नंदा भी शामिल हैं।

बीते दिनों में सत्येंद्र सहनी, राजेश बिंद, रमेश ठाकुर, रणधीर दास आदि भाकपा (माले) से जुड़े नेताओं के अलावा बसपा के देवशंकर पाल, अशोक महतो, हृदय नारायण खरवार, मनोज खरवार सहित कई नेताओं को पार्टी में शामिल किया गया है। इनके अलावा तीन बार विधायक रह चुके विजय कुमार मंडल और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पिछला विधानसभा चुनाव लड़ चुकीं बुलबुल सिंह आदि की पिछले सप्ताह जदयू में ज्वाइनिंग भी जमीनी हकीकत की पहचान रखने वाले नेताओं को जदयू से जोड़े जाने की रणनीति का हिस्सा है।

कभी भाकपा(माले) में रह चुके जदयू नेता एवं अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल कहते हैं कि कई और माले नेता उनके संपर्क में हैं। उनकी मानें तो भाकपा एवं माकपा नेताओं से उनका संपर्क नहीं रहने के कारण इन दो वाम दलों के नेता जदयू की ओर मुखातिब नहीं हो रहे हैं। हालांकि, भाकपा(माले) जदयू के इस दावे को बेबुनियाद करार दे रही है। भाकपा (माले) के वरिष्ठ नेता संतोष सहर कहते हैं, 'जिन्हें माले नेता बताया जा रहा है, उन्हें बहुत पहले ही पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है। एक जाति विशेष की लाबी से संपर्क रखने के कारण नंदा को 2010 के चुनाव के बाद ही पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। नंदा ने जदयू से निलंबित नेता प्रेम कुमार मणि के साथ परिवर्तनकारी संघर्ष मोर्चा का गठन किया और फिर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट बनाया। मणि तो राजद में चले गए और नंदा ने अब जदयू का दामन थाम लिया।'

नंदा के जदयू में शामिल होने से माले पर भले ही कोई असर नहीं पड़ा हो, लेकिन जदयू के लिए यह ज्वाइनिंग इस कारण भी महत्वपूर्ण है कि वह कुशवाहा समाज से आते हैं। उपेंद्र कुशवाहा के अभियान को देख जदयू की नजर कुशवाहा समाज पर कुछ ज्यादा ही है।

देखा जाए तो जदयू ने राजद-लोजपा के नेताओं के लिए भी अपने दरवाजे हमेशा से खोल रखे हैं। भाजपा से सांसद रह चुके पूर्व मंत्री रामजी ऋषिदेव ने पिछले सप्ताह ही जदयू का दामन थामा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता रणवीर नंदन भी जल्द ही जदयू की सदस्यता ग्रहण करने वाले हैं।

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