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Bihar News: एएनएम के 10709 पदों की बहाली पर पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जानें अब किस आधार पर होगी नियुक्ति

Bihar News पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में स्पष्ट किया कि राज्य में 10709 रिक्त पड़े एएनएम पदों की भर्ती उसी सेवा शर्त नियमावली के तहत होगी जो इन रिक्तियों के विज्ञापन में प्रकाशित हुआ था। पटना हाईकोर्ट की एकलपीठ ने अर्चना कुमारी सहित 48 याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं को स्वीकृति देते हुए शुक्रवार को यह फैसला सुनाया।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sat, 02 Mar 2024 03:28 PM (IST)
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एएनएम के 10709 पदों पर भर्ती प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार ही होगी : हाई कोर्ट
राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले से यह स्पष्ट किया कि राज्य में 10709 रिक्त पड़े एएनएम पदों की भर्ती उसी सेवा शर्त नियमावली के तहत होगी, जो इन रिक्तियों के विज्ञापन में प्रकाशित हुआ था। न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने अर्चना कुमारी सहित 48 याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं को स्वीकृति देते हुए शुक्रवार को यह फैसला सुनाया।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने दलील दी थी कि उक्त रिक्तियों का विज्ञापन 28 जुलाई 2022 को प्रकाशित किया गया था, जिसमें यह स्पष्ट था कि चयन हेतु बिहार महिला स्वास्थ कार्यकर्ता (एएनएम) नियमावली 2018 की शर्तें लागू होंगी।

नियमावली के क्या थे नियम

इस नियमावली के तहत 100 अंकों की प्रतियोगिता में 60 प्रतिशत अधिभारित अंक एएनएम की पढ़ाई के प्राप्तांक से होगी। शेष अंक प्रैक्टिकल एवं उच्च शिक्षा पर आधारित मिलने थे।

याचिकाकर्ताओं ने चयन प्रक्रिया में भाग लिया और उपरोक्त 60 प्रतिशत अंक के आधार पर मेरिट अंक सभी अभ्यर्थियों का चयन करने वाली आयोग की वेबसाइट पर अपलोड भी हो चुका था

 2023 में सरकार ने लागू कर दिए थे बदले हुए प्रविधान

गौरतलब है कि सरकार द्वारा 29 सितंबर 2023 को नई सेवा शर्त नियमावली के तहत एएनएम के चयन हेतु बदले हुए प्रविधानों को लागू कर दिया था। नई सेवा नियमावली के तहत स्वस्थ विभाग ने एक चिट्ठी जारी कर सूचित किया कि उपरोक्त 60 प्रतिशत अंक को अब प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित के जरिए अर्जित करना होगा, जिसके लिए प्रतियोगिता परीक्षा ली जाएगी।

क्या थी याचिकाकर्ता की दलील

अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि खेल के बीच में खेल के नियम नहीं बदले जाते। ऐसा मनमाना रवैया संविधान के खिलाफ है। हाई कोर्ट ने तथ्यों का अवलोकन का याचिका को स्वीकृति दे दी।

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