बिहार में बन रहा दुनिया का पहला रामायण विश्वविद्यालय, जानिए
बिहार के वैशाली में दुनिया का पहला रामायण विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है। यहां चार विषयों कर्मकांड, वाल्मीकि रामायण, प्रवचन एवं आयुर्वेद की पढ़ाई पर पर विशेष जोर रहेगा।
By Amit AlokEdited By: Updated: Wed, 05 Apr 2017 11:57 PM (IST)
पटना [नीरज कुमार]। बिहार में वैशाली जिला में अपनी तरह का अनोखा दुनिया का पहला रामायण विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है। पटना के महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा संचालित इस विश्वविद्यालय में रामायण, कर्मकांड, प्रवचन व आयुर्वेद की पढ़ाई होगी। यह मूलभूत सुविधाओं से युक्त उच्च शिक्षा व रिसर्च की सुविधा देने वाले किसी भी अन्य आधुनिक विश्वविद्यालय जैसा ही होगा।
वैशाली में हो रहा निर्माणबिहार की राजधानी पटना से 50 किलोमीटर दूर वैशाली जिले के कोनहरा घाट स्थित मठ में दुनिया का पहला और अपनी तरह का अकेला रामायण विश्वविद्यालय शुरू किया जा रहा है। इसके लिए 56 कमरे तैयार किए गए हैं। विश्वविद्यालय के लिए 25 एकड़ जमीन ली गई है।
इन विषयों की होगी पढ़ाई
महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि इस विवि में चार विषयों की पढ़ाई पर पर विशेष जोर रहेगा। ये हैं- कर्मकांड, वाल्मीकि रामायण, प्रवचन एवं आयुर्वेद। यहां वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस, वेद-उपनिषद एवं महाभास आदि की पढ़ाई की जाएगी। विश्वविद्यालय में खगोल भौतिकी व खगोल विद्या की भी पढ़ाई होगी। विभिन्न विषयों के पांच साल के विशेष पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे।
कुणाल ने बताया कि वे संस्कृत, हिंदी, स्थानीय भाषाओं और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों की भाषाओं में प्रचलित रामायण का संग्रह, संरक्षण व प्रचार-प्रसार करेंगे। उन्होंने बताया कि वाल्मीकि रचित रामायण पाठ्यक्रम का मूल आधार होगा, लेकिन रामायण के आधार पर रचित अन्य साहित्यिक कृतियों जैसे अध्यात्म, आनंद और कालिदास कृत 'रघुवंश' को भी पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे।
महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि इस विवि में चार विषयों की पढ़ाई पर पर विशेष जोर रहेगा। ये हैं- कर्मकांड, वाल्मीकि रामायण, प्रवचन एवं आयुर्वेद। यहां वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस, वेद-उपनिषद एवं महाभास आदि की पढ़ाई की जाएगी। विश्वविद्यालय में खगोल भौतिकी व खगोल विद्या की भी पढ़ाई होगी। विभिन्न विषयों के पांच साल के विशेष पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे।
कुणाल ने बताया कि वे संस्कृत, हिंदी, स्थानीय भाषाओं और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों की भाषाओं में प्रचलित रामायण का संग्रह, संरक्षण व प्रचार-प्रसार करेंगे। उन्होंने बताया कि वाल्मीकि रचित रामायण पाठ्यक्रम का मूल आधार होगा, लेकिन रामायण के आधार पर रचित अन्य साहित्यिक कृतियों जैसे अध्यात्म, आनंद और कालिदास कृत 'रघुवंश' को भी पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे।
कर्मकांड पर विशेष बल
आचार्य कुणाल ने कहा कि कर्मकांड हमारे जीवन के महत्वपूर्ण अंग हैं। उनको बढ़ावा देना हमारा कर्तव्य है। वैदिक ज्ञान हमारी धरोहर हैं। महावीर मंदिर कर्मकांड को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। विवि की कोशिश होगी कि वैदिक नियमों के अनुसार बच्चों को कर्मकांड, प्रवचन एवं आयुर्वेद की शिक्षा दी जाए।यह भी पढ़ें: श्रीरामनवमी पर राममय हुआ बिहार, पटना के महावीर मंदिर में उमड़े श्रद्धालुहोगा निजी विश्वविद्यालय
आचार्य कुणाल ने बताया कि यह एक निजी विवि होगा, जिसमें इसी साल से पढ़ार्इ आरंभ करने की योजना पर काम हो रहा है। लेकिन, क्या कोई धार्मिक संस्था निजी विवि खोल सकती है। आचार्य कुणाल ने स्वीकर किया कि राज्य सरकार के निजी विवि अधिनियम के तहत कोई भी धार्मिक संस्था निजी विश्वविद्यालय नहीं खोल सकती है। ऐसे में महावीर मंदिर न्यास समिति ने शिक्षा विभाग से अधिनियम में संशोधन का आग्रह किया है। इसी साल से पढ़ाई की उम्मीद आचार्य कुणाल के अनुसार उन्हें उम्मीद है कि राज्य सरकार जल्दी ही अधिनियम में संशोधन कर देगी। इसका आश्वासन शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने दिया है। शिक्षा विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई प्रारंभ कर दी जाएगी।यह भी पढ़ें: शराबबंदी पर बोले नीतीश, संविधान नहीं देता 'पीने' का मौलिक अधिकार
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।आचार्य कुणाल ने कहा कि कर्मकांड हमारे जीवन के महत्वपूर्ण अंग हैं। उनको बढ़ावा देना हमारा कर्तव्य है। वैदिक ज्ञान हमारी धरोहर हैं। महावीर मंदिर कर्मकांड को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। विवि की कोशिश होगी कि वैदिक नियमों के अनुसार बच्चों को कर्मकांड, प्रवचन एवं आयुर्वेद की शिक्षा दी जाए।यह भी पढ़ें: श्रीरामनवमी पर राममय हुआ बिहार, पटना के महावीर मंदिर में उमड़े श्रद्धालुहोगा निजी विश्वविद्यालय
आचार्य कुणाल ने बताया कि यह एक निजी विवि होगा, जिसमें इसी साल से पढ़ार्इ आरंभ करने की योजना पर काम हो रहा है। लेकिन, क्या कोई धार्मिक संस्था निजी विवि खोल सकती है। आचार्य कुणाल ने स्वीकर किया कि राज्य सरकार के निजी विवि अधिनियम के तहत कोई भी धार्मिक संस्था निजी विश्वविद्यालय नहीं खोल सकती है। ऐसे में महावीर मंदिर न्यास समिति ने शिक्षा विभाग से अधिनियम में संशोधन का आग्रह किया है। इसी साल से पढ़ाई की उम्मीद आचार्य कुणाल के अनुसार उन्हें उम्मीद है कि राज्य सरकार जल्दी ही अधिनियम में संशोधन कर देगी। इसका आश्वासन शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने दिया है। शिक्षा विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई प्रारंभ कर दी जाएगी।यह भी पढ़ें: शराबबंदी पर बोले नीतीश, संविधान नहीं देता 'पीने' का मौलिक अधिकार