Bihar News: सिर्फ बेरोजगारों के ही नहीं..., इन युवाओं के भी आएंगे अच्छे दिन, पढ़ें पूरी जानकारी
बिहार में सभी राजनीतिक दलों का निष्कर्ष है कि उम्मीदवारों के चयन में थोड़ी सावधानी और बरती जाती तो अधिक सीटों पर जीत मिल सकती थी। बता दें कि नौकरी और चुनावी टिकट की आस में बैठे युवाओं के अच्छे दिन आ रहे हैं और राज्य सरकार लोगों को ज्यादा से ज्यादा नौकरियां देने का उपाय में लगी हुई हैं। पढ़े पूरी खबर।
राज्य ब्यूरो, पटना। नौकरी और चुनावी टिकट की आस में बैठे युवाओं के अच्छे दिन आ रहे हैं। राज्य सरकार अधिक से अधिक लोगों को नौकरियां देने का उपाय कर रही हैं।
उधर राजनीतिक दल उन युवाओं की तलाश में हैं, जो बिहार विधानसभा के अगले चुनाव में पार्टी के काम आ सकें। अभी लोकसभा चुनाव के परिणाम का विश्लेषण चल रहा है।
सभी दलों ने निकाला ये निष्कर्ष
सभी दलों का प्रारंभिक निष्कर्ष यह है कि उम्मीदवारों के चयन में बरती गई थोड़ी सावधानी अधिक सीटों पर जीत दिला सकती थी। इसी निष्कर्ष से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में नए लोगों को अवसर मिलेगा।
बड़े दलों में भाजपा, जदयू, राजद और कांग्रेस से नए लोगों को पहले की तुलना में अच्छी भागीदारी मिल सकती है। नए लोगों को टिकट देने का बड़ा आधार लोकसभा चुनाव का परिणाम है। वर्तमान विधायकों को टिकट देने से पहले यह देखा जाएगा कि लोकसभा चुनाव में उनके विधानसभा क्षेत्र से पार्टी को कितना वोट मिला।
यह अगर बहुत कम है, तो टिकट कटने की गारंटी हो जाएगी। दिलचस्प यह है कि इस आधार पर ऐसे छह विधायक भी बेटिक हो सकते हैं, जिन्हें उनकी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था।
गठबंधन के उम्मीदवारों को नहीं मिली बढ़त
राज्य सरकार के तीन मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र में भी उनके गठबंधन के लोस उम्मीदवारों को बढ़त नहीं मिली। हालांकि, कई विधायकों ने दलों के नेतृत्व से शिकायत की है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की हार उनकी नहीं, लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार की है।
सूत्रों के अनुसार बड़ी पार्टियां लोकसभा की तरह विधानसभा क्षेत्रों का भी सर्वे करा रही हैं। सर्वे की रिपोर्ट को भी टिकट देने या काटने का आधार बनाया जाएगा। वैसे, लोकसभा चुनाव में कई दलों ने सर्वे की अनुशंसा की अनदेखी की।
मुजफ्फपुर में नए उम्मीदवारों की जीत और सासाराम में हुई हार
जदयू के पांच सांसदों को बदलने की अनुंशंसा की गई थी। इनमें से तीन चुनाव हार गए। भाजपा ने सर्वे की अनुशंसा को आंशिक तौर पर स्वीकार किया। परिणाम भी आंशिक ही आया। मुजफ्फरपुर में नए उम्मीदवार की जीत और सासाराम में हार हो गई।
एक अन्य सीट पर भाजपा उम्मीदवार हारते-हारते जीते। विधानसभा चुनाव में पार्टियां अंतिम समय में उम्मीदवार घोषित करने से बचने का प्रयास करेंगी। इसका लाभ भी नए उम्मीदवारों को मिलेगा।
चुनाव से काफी पहले अगर उम्मीदवार का नाम घोषित हो जाता है, तो बेटिकट हुए विधायकों की प्रतिक्रिया चुनाव के दिन तक असरदार नहीं रह पाएंगी। उम्मीदवारों को क्षेत्र में जनसंपर्क और समस्याओं की पहचान का भी अवसर मिलेगा।
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