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बिहारः गांव से गुरबत में निकल 16 साल बाद 'किंग' बनकर लौटे महेंद्र, इस मामले में जया बच्चन भी पीछे

जहानाबाद के गांव गोविंदपुर (ओकरी) के रहने वाले किंग महेंद्र प्रसाद का निधन हो गया है। बचपन बेहद गरीबी में बीता लेकिन कुछ कर दिखाने की जिद ने उन्हें वहां पहुंचा दिया जिसकी कल्पना उन्होंने स्वयं भी कभी नहीं की थी।

By Akshay PandeyEdited By: Updated: Mon, 27 Dec 2021 09:18 PM (IST)
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अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और राज्यसभा सदस्य रहे महेंद्र प्रसाद किंग। जागरण आर्काइव।
अरविंद शर्मा, पटना : सात हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति और आरिस्टो फार्मास्युटिकल समेत कई कंपनियों के मालिक राज्यसभा सदस्य महेंद्र प्रसाद का सोमवार को निधन हो गया। महेंद्र की कहानी जहानाबाद के गांव गोविंदपुर (ओकरी) से शुरू होती है। बचपन बेहद गरीबी में बीता, लेकिन कुछ कर दिखाने की जिद ने उन्हें वहां पहुंचा दिया, जिसकी कल्पना उन्होंने स्वयं भी कभी नहीं की थी। किसी तरह पटना विश्वविद्यालय से बीकाम की पढ़ाई पूरी करने के बाद करीब 24-25 वर्ष की उम्र में वह 1964 में गरीबी और गांव के लोगों के ताने से ऊबकर घर से निकले थे। करीब डेढ़ दशक बाद लौटे तो नजारे बदल चुके थे। वह किंग महेंद्र बन चुके थे। एडीआर की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक राज्यसभा सदस्यों में किंग महेंद्र सबसे अमीर थे। महेंद्र के बाद अमिताभ बच्चन की पत्नी सांसद जया बच्चन का नंबर आता है। 

गांव से मुंबई जाने और फर्स से अर्श पर चढ़ने की कहानी के पन्ने अभी ज्यादा नहीं पलटे गए हैं, लेकिन 1980 में जब पहली बार कांग्रेस का टिकट लेकर जहानाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ने आए तो सबको अहसास हुआ कि उनका महेंद्र अब किंग बन गया है। तब उनके स्वजनों और आसपास के लोगों ने गाड़ियों का लंबा काफिला और महेंद्र का राजा जैसा रुतबा पहली बार देखा था। 

बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी

किंग महेंद्र के पिता वासुदेव सिंह अति साधारण किसान थे, लेकिन बच्चों को पढ़ाने में उन्होंने कोई कसर बाकी नहीं रखी। महेंद्र का पटना विश्वविद्यालय में नामांकन कराया, जहां से बीकाम किया। अच्छी नौकरी के लिए इधर-उधर भटकते रहे। कुछ दिन दवा की एक दुकान में काम भी किया। ब्लाक स्तर की राजनीति में भी हाथ आजमाए, लेकिन गरीबी के कारण उपेक्षा ही झेलनी पड़ी। महत्वाकांक्षा बड़ी थी। इसलिए छोटी नौकरी करना नहीं चाहते थे। उनके मित्रों ने शिक्षक बनने की सलाह दी, जिसे उन्होंने इनकार कर दिया। आखिरकार गांव से निकलकर मुंबई की ओर प्रस्थान किया। किसी को बताया भी नहीं। यह महेंद्र प्रसाद का अज्ञातवास था।

रखी आरिस्टो फार्मास्युटिकल लिमिटेड की नींव

मुंबई में वे अपने ही जिले के साथी संप्रदा सिंह के साथ दवा कंपनी में काम करने लगे। 1971 में उन्होंने अपनी कंपनी आरिस्टो फार्मास्युटिकल लिमिटेड की नींव रखी। तब उनकी उम्र 31 वर्ष थी। उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हजारों करोड़ कमाए और हजारों लोगों को रोजगार दिया। उनकी अन्य कंपनियों में माप्रा लेबोरेटरीज और इंडेमी हेल्थ स्पेशलिटीज शामिल हैं। किंग महेंद्र का कारोबार करीब 20 देशों तक फैला है। वियतनाम, श्रीलंका, म्यांमार और बांग्लादेश में भी उनकी कंपनी का कारोबार है। भोपाल के मंडीदीप, मुंबई, गोवा, हिमाचल प्रदेश, हैदराबाद, दमन और सिक्किम में उनकी फैक्ट्रियां चल रही हैं। 

राज्यसभा में सबसे अमीर सांसद 

एडीआर की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक राज्यसभा सदस्यों में किंग महेंद्र सबसे अमीर हैं। उनके पास चार हजार करोड़ से अधिक की चल संपत्ति है। दूसरे नंबर पर जया बच्चन हैं, जिनके पास एक हजार करोड़ रुपये हैं। 13 मार्च 2018 को राज्यसभा चुनाव के लिए पर्चा दाखिल करते समय किंग महेंद्र ने अपने शपथ पत्र में चार हजार 10 करोड़ की चल संपत्ति बताई थी। दिल्ली एवं मुंबई के विभिन्न बैंकों में 2239 करोड़ रुपये जमा होने का ब्योरा भी दिया था। 

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