National Medical Commission: मेडिकल कॉलेजों की AI से निगरानी, गलत डाटा अपलोड होने पर 1 करोड़ तक जुर्माना
एनएमसी के अधिकारियों के अनुसार मेडिकल कॉलेजों में आधार से लिंक बायोमेट्रिक उपस्थिति ली जा रही है। ऐसे में संस्थान के फैकेल्टी के कार्य व कमी की जानकारी एआइ के माध्यम से मिल जा रही है। इसके अतिरिक्त जानकारी संस्थान के पोर्टल पर देना होगा। पहले लोग एसेसमेंट के लिए जाते थे अब फीस के साथ डाटा ऑनलाइन सबमिट करेंगे।
नलिनी रंजन, पटना। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) अब स्मार्ट हो गया है। अब मेडिकल कॉलेजों का निरीक्षण नहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की मदद से निगरानी करेगी। इसी के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटों की मान्यता दी जाएगी। एनएमसी की ओर से सभी मेडिकल कॉलेजों की आनलाइन रूप से फैकेल्टी की कमी व अन्य चीजों की निगरानी की जा रही है।
इसी कड़ी में अब नए मेडिकल कॉलेज खोलने व पुराने संस्थानों को मान्यता देने के लिए ऑनलाइन फार्म भरने को कहा है। इसके लिए 31 मार्च तिथि निर्धारित थी, इसे अब 10 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है। एनएमसी के अधिकारियों के अनुसार, मेडिकल कॉलेजों में आधार से लिंक बायोमेट्रिक उपस्थिति ली जा रही है। ऐसे में संस्थान के फैकेल्टी के कार्य व कमी की जानकारी एआइ के माध्यम से मिल जा रही है।
इसके अतिरिक्त, जानकारी संस्थान के पोर्टल पर देना होगा। पहले लोग एसेसमेंट के लिए जाते थे, अब फीस के साथ डाटा ऑनलाइन सबमिट करेंगे। संस्थान में होने वाली परीक्षा की वीडियो बनाकर भेजेंगे। इसके अतिरिक्त परीक्षा के एक्सटर्नल व आंतरिक कौन थे। इसकी जानकारी आनलाइन देनी होगी। इसी के आधार पर मान्यता दी जाएगी।
आभा आइडी से लिंक होंगे मरीज
मेडिकल कॉलेजों में फैकेल्टी की निगरानी के लिए आधार आधारित उपस्थिति होगी। जबकि मरीजों की निगरानी के लिए आभा आइडी के माध्यम से निगरानी रखी जाएगी। इसके लिए सभी मेडिकल कालेजों में मरीजों को आभा आइडी के माध्यम से ओपीडी पर्चा बनेगा।
गलत डाटा देने पर एक करोड़ तक जुर्माना
एनएमसी ने इस वर्ष से गलत डाटा अपलोड करने पर दंडात्मक नीति का प्राविधान लाया है। इसके तहत सरकारी मेडिकल कॉलेजों से गलत डाटा भरने पर संबंधित संस्थान के प्राचार्य व डीन को पहली बार में पांच लाख रुपये जुर्माना व दूसरी बार गलती होने पर 10 लाख तक जुर्माना देना होगा। जबकि निजी संस्थान को पहली बार में एक करोड़ तक जुर्माना व दूसरी बार में दोगुना जुर्माना के प्राविधान किए गए है। इसके बाद भी गलती होने पर संस्थान को बंद करने की सिफारिश की जा सकती है।ऐसे होगी निगरानी
- मेडिकल कॉलेजों में लगे कैमरा, बायोमेट्रिक उपस्थिति
- कर्मचारियों व फैकेल्टी की अप-टू-मार्क डाटा
- परीक्षा के समय वीडियोग्राफी, ऑनलाइन डाटा अपलोड
- फैकेल्टी की दो-दो बार फेशियल सह बायोमेट्रिक एटेंडेंस
क्या कहते हैं अधिकारी?
अब मेडिकल कऑलेजों में भौतिक रूप से इंटरफेयर कम किया जा रहा है। एआइ की मदद से कालेजों की निगरानी होगी। निरीक्षण के बजाय मेडिकल क\लेजों के अपलोड किए गए डाटा व एआइ की निगरानी से ही संस्थान में सीटों का निर्धारण हो सकेगा। इसके लिए आवश्यक कई कदम उठाएं जा रहे है। - डॉ. विजयेंद्र कुमार, सदस्य, एनएमसी
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