बिहार की राजनीति में शहाबुद्दीन-तस्लीमुद्दीन जैसे नेताओं की तलाश में AIMIM, इन सीटों पर है ओवैसी की नजर
Bihar असदुद्दीन ओवैसी की मुस्लिम बिरादरी के क्षत्रपों पर नजर है। छह से सात मुस्लिम बहुल सीटों पर पार्टी को उम्मीदवार के लिए परेशान भी नहीं होना पड़ेगा क्योंकि जिन मजबूत प्रत्याशियों को महागठबंधन में टिकट नहीं मिलेगा वो अपनी किस्मत ओवैसी की पतंग के सहारे चमकाने का प्रयास करेंगे।
रमण शुक्ला, पटनाः बिहार की राजनीति में कांग्रेसी दौर के बाद 90 के दशक में लालू यादव के मुस्लिम समीकरण को आगे बढ़ाने में तस्लीमुद्दीन और शहाबुद्दीन की बड़ी भूमिका रही। राज्य के पूर्वोत्तर व सीमांचल क्षेत्र में तस्लीमुद्दीन लालू यादव के झंडे को बुलंद करते रहे। वहीं, इस भूमिका को दक्षिण-पश्चिम बिहार में ईलियास हुसैन और शाहबुद्दीन ने बखूबी निभाया।
तीनों ने नेताओं ने लालू यादव को हर मोर्चे पर कामयाबी की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। लेकिन इन नेताओं के बाद लगभग पूरा बिहार मुस्लिम राजनीति के दोराहे पर खड़ा हैं।
AIMIM की मुस्लिम बिरादरी के क्षत्रपों पर नजर
अब (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की मुस्लिम बिरादरी के क्षत्रपों पर नजर है। बिहार की छह से सात मुस्लिम बहुल सीटों पर ओवैसी की पार्टी को उम्मीदवार के लिए परेशान भी नहीं होना पड़ेगा क्योंकि जिन मजबूत प्रत्याशियों को महागठबंधन में टिकट नहीं मिलेगा वो अपनी किस्मत ओवैसी की पतंग के सहारे चमकाने का प्रयास करेंगे।
ओवैसी की सक्रियता बढ़ने के पीछे राजनीतिक जानकारों का कहना है कि महागठबंधन में कांग्रेस ने पद के हिसाब से शकील अहमद खान को बिहार में बड़े चेहरे के तौर पर उभार कर बड़ा संदेश दिया हैं। यह सीधे तौर पर सीमांचल में ओवैसी के लिए चुनौती है।
2020 के विधानसभा चुनाव में सबको चौंकाते हुए पांच सीटे जीत कर एआईएमआईएम ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी। इतना ही नहीं वरन गोपालगंज में हुए उपचुनाव में भाजपा की जीत का रास्ता साफ करने में ओवैसी की पार्टी की अहम भूमिका रही थी। अगर शाहबुद्दीन होते तो उनकी अपील राजद के काम आती और शायद परिणाम अलग भी हो सकते थे।
मुस्लिम बहुल सीटों पर ओवैसी की नजर
वर्तमान में ओवैसी की नजर किशनगंज लोकसभा के अलावा पांच मुस्लिम बहुल सीटों पर टिकी हैं। इसमें अररिया, पूर्णिया कटिहार, दरभंगा और सिवान सीट हैं। जबकि ओवैसी के चार विधायकों के राजद में शामिल होने के बाद वर्तमान में इकलौते विधायक और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान हैं।
ऐसे में आने वाले दिनों में महागठबंधन में सीटों का बंटवारा तय होते ही कई मुस्लिम चेहरे को ओवैसी की पंतग के डोर नई ऊंचाई मिलने की उम्मीद है।