एनडीए में डैमेज कंट्रोल को ले अमित शाह पर टिकी नजर, बिहार में अपना रोडमैप बनाएगी बीजेपी ...INSIDE STORY
बिहार एनडीए में बीजेपी व जेडीयू कई मुद्दों पर एक-दूसरे को घेरते रहे हैं। ऐसे में रविवार को पटना पहुंच चुके अमित शाह डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर सकते हैं। बीजेपी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को खतरे में डाले बिना बिहार में अपना रोडमैप बनाएगी।
By Amit AlokEdited By: Updated: Sun, 31 Jul 2022 02:02 PM (IST)
पटना, आनलाइन डेस्क। देश में पहली बार सात मोर्चों की संयुक्त कार्यसमिति की बैठक कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) बिहार में नया प्रयोग कर रही है। बैठक का उद्घाटन शनिवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने किया तो इसका समापन गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) रविवार को करेंगे। बैठक में बीजेपी बिहार का अपना आगे का रोडमैप तैयार करेगी। साथ ही पटना पहुंचे बीजेपी के बड़े नेताओं के सामने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में डैमेज कंट्रोल करना भी अहम मसला है। इसे लेकर पार्टी के चाणक्त अमित शाह पर नजरें टिकी हैं।
एनडीए में तकरार के बीच आल इज वेल के दावे बिहार में एनडीए सरकार के दोनों घटक भारतीय जनता पार्टी (BJP) व जनता दल यूनाइटेड (JDU) आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर आमने-सामने दिख रहे हैं। इस तकरार के बीच दोनों दलों ने नेता आल इज वेल के दावे भी करते रहे हैं। हालांकि, अंदरखाने में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। खासकर हाल के दिनों में पटना में आतंकी माड्यूल (Patna Terror Module) के उद्भेदन के मामले में आरएसएस (RSS) पर किए गए सरकारी कमेंट से बीजेपी नाराज है। इस बीच सत्ता के गणित में एनडीए के करीब पहुंच रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को कंट्रोल करना भी अहम मसला है।
अहम मुद्दों पर एक राय नहीं हैं बीजेपी व जेडीयू बिहार में बीजेपी व जेडीयू के रिश्ते की बात करें तो कई अहम मुद्दों पर दोनों की अलग-अलग राय है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA), जाति आधारित गणना (Caste Based Census) आदि कई मुद्दों पर दोनों अलग-अलग ध्रुवों पर दिखते रहे हैं। जूडीयू कहता है कि बिहार में कानून का सुशासन है ताे बीजेपी कानून-व्यवस्था (Law and Order) को धवस्त बताकर अपनी ही नीतीश सरकार (CM Nitish Government) को घेरती रही है। दोनों दलों में वार-पलटवार राजनीतिक गलियारे में चर्चा में रहते आए हैं। हाल ही में पटना में आतंकी माड्यूल के उद्भेदन के बाद पटना के एसएसपी एमएस ढि़ल्लो ने पकड़े गए आतंकियों की ट्रेनिंग की तुलना आरएसएस की शाखाओं में दिए जाने वाले प्रशिक्षण से कर दिया। इसके बाद हमलावर बीजेपी ने एसएसपी पर कार्रवाई की मांग की, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है।
कहा: बिहार सरकार पूरा करेगी अपना कार्यकालसत्ताधारी एनडीए के दोनों घटक दलों के उलझाव के बीच दोनों दलों के नेता आल इज वेल के दावे करने में भी पीछे नहीं हैं। बिहार की कानून-व्यवस्था पर लगातार सवाल उठाते रहे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल हों या आरएसएस पर टिप्पणी करने वाले पटना के एसएसपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाले बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी, दोनों ने कहा है कि एनडीए में सबकुछ ठीक है और बिहार सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
स्पष्ट दिखती रही है गठबंधन में वैचारिक दरारबीजेपी सरकार में अपने सहयोगी जेडीयू को असहज करने वाले मुद्दों व प्रसंगों को सार्वजनिक रूप से उठाने से परहेज नहीं कर रही है तो जेडीयू भी जवाब देने में पीछे नहीं है। ऐसे में बीजेपी व जेडीयू नेताओं के सबकुछ ठीक होने के दावों के बीच गठबंधन में वैचारिक दरार स्पष्ट दिखती रही है। जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी कहते हैं कि पार्टी अपने मूल सिद्धांतों से कभी पीछे नहीं हटेगा।
जेडीयू से अलग होकर क्या है बीजेपी का भविष्य? बड़े सवाल ये हैं कि बीजेपी आखिर चाहती क्या है और जेडीयू से अलग होकर उसका भविष्य क्या है? बीजेपी बिहार में अपने पांव फैलाने में जरूर लगी है, लेकिन उसे पता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वोटों के बगैर आगामी लोकसभा चुनाव में उसे मुश्किल होगी। बिहार में बीजेपी के कथित अगड़े आधार वोटर केवल 11 प्रतिशत ही हैं, इसलिए उसके लिए नीतीश कुमार के वोट बैंक का साथ जरूरी है।
कोई रिस्क नहीं लेगी बीजेपी, करेगी डैमेज कंट्रोलउधर, एआइएमआइएम के चार विधायकों के शामिल होने के बाद विधानसभा में सीटों के गणित के लिहाज से आरजेडी मजबूत हुआ है। तेजस्वी यादव को (Tejashwi Yadav) मुख्यमंत्री बनाने के मिशन पर काम कर रहे आरजेडी का खतरा भी सामने है। सवाल यह भी है कि बीजेपी से नाराज होकर अगर नीतीश कुमार साल 2015 के विधानसभा चुनाव की तरह आरजेडी के साथ चले जाएं, तब क्या होगा? ऐसे में बीजेपी सरकार में दबाव की राजनीति भले करे, वह फिलहाल कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं दिखती। इसी में नीतीश सरकार के स्थायित्व का राज छिपा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार की मजबूती का यह बड़ा कारण है। ऐसे में माना जा रहा है अमित शाह व जेपी नड्डा जैसे बड़े नेता बिहार में बीजेपी व जेडीयू के बीच की दरार को पाटने व डैमेज कंट्रोल की कोशिश जरूर करेंगे।
सरकार के साथ-साथ बीजेपी बनाएगी रणनीति स्पष्ट है कि एनडीए सरकार के स्थायित्व को खतरे में डाले बिना बीजेपी आगे के अपने मिशन पर काम कर रही है। बीजेपी 200 सीटों पर अपना आधार मजबूत करने की दिशा में पूरे प्लान के साथ चल रही है। मकसद यह कि अगले चुनाव तक वह अपने बल पर अपनी सरकार बनाने की हैसियत में रहे। इसके लिए वह अत्यंत पिछड़ी जातियों पर नजर गड़ाए हुए है। स्पष्ट है कि बीजेपी की बैठक में एनडीए सरकार की वाहवाही के बीच अपने पांव मजबूत करने की रणनीति पर विमर्श होगा। रणनीति बनाने के लिए अमित शाह बिहार आ रहे हैं।
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