मुख्यमंत्री ने कहा कि वह चाहते थे कि केंद्र सरकार जाति आधारित गणना कराए। आरंभ से ही इसके लिए हम लोग प्रयासरत थे, पर केंद्र सरकार द्वारा इस पर विचार नहीं किया गया। राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना करा ली है।
पूरे आंकड़े समझाए गृह मंत्री को
जाति आधारित गणना के आंकड़े बताने के क्रम में मुख्यमंत्री ने अमित शाह को बताया कि बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ सात लाख 25 हजार 310 है। इनमें से 53 लाख 72 हजार 22 लोग बिहार के बाहर रह रहे।जाति आधारित गणना की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि यहां 27.12 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग, 36.01 प्रतिशत अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति के 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के 1.68 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग की आबादी 15.52 प्रतिशत है।
इन आंकड़ों के आधार पर सभी पार्टियों की सहमति से समाज के सभी कमजोर वर्गों के सामाजिक उत्थान के लिए आरक्षण में इनकी भागीदारी बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
सभी जातियों में गरीब परिवार मिले
मुख्यमंत्री ने यह बताया कि जाति आधारित गणना के क्रम में हुए आर्थिक सर्वे के अनुसार सभी जातियों में गरीब परिवार मिले।आंकड़ों के अनुसार, सामान्य वर्ग में 25.09 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग में 33.16, अतिपिछड़ा वर्ग में 33.58, अनुसूचित जाति में 42.93 तथा अनुसूचित जन जाति में 42.70 प्रतिशत लोग गरीब हैं। सभी वर्गों में गरीब परिवारों की कुल संख्या 94 लाख है।
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बैठक में ये रहे मौजूद
उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, वित्त मंत्री विजय चौधरी, जल संसाधन व सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय झा. पश्चिम बंगाल सरकार की मंत्री चंद्रमा भट्टाचार्या, ओिडशा सरकार के मंत्री प्रदीप कुमार आस्त, तुषार कांति बेहरा, झारखंड सरकार में मंत्री रामेश्वर उरांव व चंपई सोरेन। इनके अतिरिक्त इन राज्यों के मुख्य सचिव व डीजीपी भी मौजूद थे।
कोसी हाई डैम के मामले को देखने का आश्वासन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में जल संसाधन मंत्री संजय झा को आश्वस्त किया कि वह नेपाल में प्रस्तावित कोसी हाई डैम के मामले को देखेंगे। मालूम हो कि इस बैठक में संजय झा ने इस मसले को उठाया था। इस पर केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आप हमें डिटेल्स उपलब्ध कराएं, वह इसे जरूर देखेंगे।
बैठक में इस मसले के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार संजय झा ने यह कहा कि कोसी हाई डैम का मामला उत्तर बिहार और विशेष रूप से मिथिलांचल को हर वर्ष नेपाल की वजह से आने वाले बाढ़ से बचाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस मसले को लगातार उठाते रहे हैं।वर्ष 2004 से कोसी डैम का डीपीआर तैयार कराया जा रहा। पर अभी तक इसमें किसी तरह की प्रगति नहीं हुई है। सूत्रों के अनुसार संजय झा ने यह भी कहा कि विदेश मंत्री ने बिहार के आग्रह पर इस संबंध में अपने अधिकारियों से पूछताछ भी की थी। तब यह बात सामने आयी थी कि नेपाल के साथ कुछ राशि की वजह से मामला अटका है। अभी तक यह मामला सुलझा नहीं है।
बिहार-झारखंड पेंशन विवाद पर गृह मंत्री से हुई बात
26वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने मयूराक्षी डैम और सोन कमांड के पानी का मुद्दा उठाया।मंत्री ने कहा कि मयूराक्षी डैम और सोन कमांड से झारखंड जैसे प्रदेश को अधिक पानी मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा प्रदेश इसकी मांग लगातार करता रहा है।बिहार-झारखंड पेंशन विवाद के मुद्दे पर उन्होंने झारखंड का पक्ष रखा और कहा कि तय फार्मूले के तहत पेंशन की राशि बिहार को दी जा चुकी है। इसके बाद भी बिहार पेंशन की राशि की मांग कर रहा है। अब महालेखाकार जो निर्णय देंगे उस पर अमल होगा।
बता दें कि राज्य बंटवारे के बाद से दोनों राज्यों के बीच पेंशन बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। मंत्री उरांव ने झारखंड द्वारा कोकिल कोल लिमिटेड (सीसीएल) को दी गई जमीन के बदले 78 हजार करोड़ की मांग भी उठाई।
बंगाल व झारखंड से जुड़े जल संसाधन के मामलों पर चर्चा
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में बंगाल व झारखंड से जुड़े जल संसाधन के मामलों पर चर्चा हुई। इनमें कई मामले ऐसे भी हैं जिनका दशकों में समाधान नहीं निकल सका है।
हालांकि, उन पर आज की बैठक में भी कोई निर्णय नहीं हो सका। तय किया गया कि इन पर संबंधित राज्यों के बीच समन्वय स्थापित कर समाधान का रास्ता निकाला जाए। अब तीनों राज्यों के बीच इन मुद्दों के समाधान के लिए बैठक होगी। केंद्र सरकार भी इसमें मदद करेगी।केंद्र सरकार से संबंधित मुद्दों पर अलग से बैठक होगी। बैठक में इन्द्रपुरी जलाशय, पश्चिम बंगाल और झारखंड के साथ जल संसाधन परियोजनाएं, जल बंटवारा और गाद प्रबंधन के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई।
बता दें कि बिहार-बंगाल के बीच ढाढ़र डायवर्सन योजना, अपर महानंदा सिंचाई परियोजना के अलावा झारखंड के साथ तिलैया-ढाढ़र डायवर्सन योजना, अपर सकरी जलाशय योजना, उत्तर कोयल जलाशय योजना, बटाने जलाशय योजना, चंदन जलाशय योजना, बरनार जलाशय योजना व सुंदर जलाशय योजना पर पेंच फंसा हुआ है। बिहार गाद प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नीति की पर भी बल दे रहा है। केंद्र से इसके लिए अनुरोध भी किया गया है।
अगली बैठक को लेकर भी हुई चर्चा
पटना में आयोजित 26वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में अगली बैठक पर भी विमर्श हुआ। इस दौरान प्रस्ताव आया कि बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक हो। जिस पर करीब-करीब सहमति भी बन गई है।रविवार की बैठक समाप्त होने के पूर्व अगली बैठक के लिए प्रस्तावित राज्यों के नाम पर भी चर्चा की गई। सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं प्रस्ताव दिया कि पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक झारखंड में हो।उन्होंने आज की बैठक में शामिल होने आए मंत्री रामेश्वर उरांव और चंपई सोरेन से कहा वे झारखंड में बैठक का प्रस्ताव स्वीकार करें। जिसे दोनों मंत्रियों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
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