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'जेल में था, मरा नही हूं', राजनीतिक सफर के पार्ट-2 पर बोले आनंद मोहन; भाजपा में जाने के सवाल पर तोड़ी चुप्पी

आनंद मोहन अपने बेटे और विधायक चेतन आनंद की शादी को लेकर पैरोल पर बाहर निकले हैं। मंगलवार को उन्होंने कहा कि गुजरात में भी माला पहना कर लोगों को रिहा किया गया। नीतीश कुमार और राजद के दबाव में कुछ फैसले लिए गए।

By Jagran NewsEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Tue, 25 Apr 2023 12:44 PM (IST)
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राजनीतिक सफर के पार्ट-2 पर बोले आनंद मोहन; भाजपा में जाने के सवाल पर दिया ये जवाब
पटना, जागरण संवाददाता। डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) समेत 27 कैदियों को कारा नियमों में संशोधन के बाद रिहा करने का आदेश जारी कर दिया गया है।

कहा जा रहा है कि आनंद मोहन को जेल से निकालने के लिए ही बिहार सरकार ने जेल नियमों में संशोधन किया है। इसको लेकर पूर्व सांसद आनंद मोहन ने बिलकिस बानो (Bilkis Bano) के मामले का जिक्र करते हुए विरोधियों पर निशाना साधा।

बता दें कि आनंद मोहन अपने बेटे और विधायक चेतन आनंद की शादी को लेकर पैरोल पर बाहर निकले हैं। मंगलवार को उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान कहा कि गुजरात में भी माला पहना कर लोगों को रिहा किया गया। नीतीश कुमार और राजद के दबाव में कुछ फैसले लिए गए। 

भाजपा में शामिल होने पर क्या बोले आनंद मोहन

वहीं, जब पूर्व सांसद से पूछा गया कि भाजपा भी आपकी रिहाई की मांग करती रही है, तो ऐसे में किस पार्टी से राजनीतिक करियर का पार्ट-2 शुरू करेंगे। इसपर आनंद मोहन ने कहा कि बेटे की शादी के बाद फिर से जेल जाना है। फिर जब रिहाई पर ठप्पा लगेगा, तो लोगों को बुलाकर तय करेंगे कि क्या करना है। आनंद मोहन ने कहा कि मैं मरा नहीं हूं। जेल में ही था। इसलिए राजनीतिक सफर का अंत नहीं हुआ है।

मायावती को मैं नहीं जानता- आनंद मोहन

वहीं, उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) द्वारा रिहाई का विरोध करने पर आनंद मोहन ने कहा कि कौन मायावती। मैं नहीं जानता हूं। कलावती को जानता हूं। सत्यनारायण भगवान की कथा में नाम सुना है। मायावती कौन है, क्या बोली, यह जानने का मुझे वक्त भी नहीं है।

पीएम मोदी के खिलाफ नीतीश के अभियान पर बोले पूर्व सांसद

आनंद मोहन ने नीतीश कुमार द्वारा जारी विपक्षी एकजुटता की पहल पर कहा कि वे अपने मुहिम पर हैं। देश में एक सशक्त प्रतिपक्ष की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं होगा तो देश में तानाशाही का दौर आने की संभावना है। लोकतंत्र में व्यक्ति की नहीं, विचारधारा की पूजा हो। लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष का तकाजा है।  

बता दें कि पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। बिहार सरकार द्वारा जेल नियमों में संशोधन के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाएगा, जिसमें उनके सहित 27 दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी गई है।

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