दिन भर रहता है शव का इंतजार ताकि रात में भूखा न सोए परिवार...पटना के शख्स का दुख, सरकार भी नहीं ले रही सुध
पटना के दानापुर में अनुमंडलीय अस्पताल में शवों काम करने वाले बबन राम का जीवन अस्पताल में आने वाले शवों के सहारे चलता है। अगर किसी दिन अस्पताल में शव न आए तो उनके दैनिक जीवन-यापन की जरूरतें भी अधूरी रह जाती है। बीते कई वर्षों से अस्पताल के लिए काम करने वाले बबन को न तो अस्पताल प्रबंधन ने स्थायी किया और न हीं उन्हें संविदा पर रखा।
संवाद सहयोगी दानापुर (पटना): जिले के अनुमंडलीय अस्पताल में लगभग हर रोज पोस्टमार्टम के लिए शव आते हैं। इन शवों के चीड़-फाड़ और पोस्टमार्टम की जिम्मेदारी यहां तैनात कर्मी की होती है, जो डॉक्टरों के निर्देश पर शव में चीर-फाड़ करता है फिर शव को टांके लगाकर व्यवस्थित तरीके परिजनों को सौंपता है।
लेकिन बीते कई वर्षों से जिले के अनुमंडलीय अस्पताल में पोस्टमार्टम करने वाले बबन राम को दैनिक मजूदरी भी नसीब नहीं हो रही।
अनुमंडल के विभिन्न इलाकों से आने वाले शवों का पोस्टमार्टम करने वाले बबन राम को प्रति शव के हिसाब से एक निर्धारित राशि मिलती है, जो 200 रूपये होता है। अगर किसी दिन अस्पताल में शव नहीं आए तो उस दिन उन्हें एक रूपये नहीं मिलते। उन्हें खाली हाथ ही अस्पताल से लौटना पड़ता है।
नहीं की गई बहाली
बबन राम वर्षों से अस्पताल प्रशासन रोगी कल्याण समिति के निर्देश पर हॉस्पिटल में आने वाले शवों का पोस्टमार्टम करते आ रहे हैं, लेकिन, अभी तक न तो उन्हें अस्पताल में बहाल किया गया और न ही संविदा पर रखा गया।
(शवों का पोस्टमार्टम करने वाले बबन राम)
वह अस्पताल परिसर के बाहर ही अपने परिवार के साथ रहते हैं और हर वक्त अस्पताल को अपनी सेवा देने के लिए तैयार रहते हैं। चाहे दिन हो या रात या फिर कोई त्योहार।
नहीं होता कोई पूछने वाला
बबन राम कहते है कि यह एक ऐसा काम है कि न तो यहां छुट्टी है और न ही कोई स्थायी तनख्वाह। कहीं आना जाना भी मुश्किल है। अगर अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए शव नहीं आया तो उन्हें कोई पूछने वाला नहीं होता लेकिन अगर कहीं से कोई शव आ गया तो वह कहीं भी हो उन्हें आना पड़ता है।
शव नहीं आने पर नहीं मिलता कुछ
बबन राम का कहना है कि पोस्टमार्टम करने पर प्रति शव अस्पताल द्वारा उन्हें 200 रूपये मिलते है। अगर शव जिस दिन नहीं आया तो कुछ नहीं मिलता। कोई निर्धारित वेतन नहीं है, जिससे काफी परेशानी आती है। अब तो जीवन ही शव के सहारे हो गया है।
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उनको इंतजार है कि कभी उनकी स्थायी नियुक्ति या संविदा पर बहाली हो जायेगी। अस्पताल से जुड़े लोगों का कहना है कि रोगी कल्याण समिति ने बबन राम को पोस्टमार्टम के लिए रखा है, जो उन्हें प्रति शव के हिसाब से पेमेंट करता है।