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Bageshwar Baba: चार्टर्ड फ्लाइट से धीरेंद्र शास्त्री पटना से बागेश्वर धाम रवाना, साथ गए LJP नेता हुलास पांडेय

Bageshwar Baba बिहार में पांच दिन की कथा के बाद बागेश्वर बाबा बुधवार की रात पटना से रवाना हो गए। उनके साथ लोजपा नेता हुलास पांडेय भी साथ गए। पांडेय बाबा की बगल वाली सीट पर बैठकर गए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Roma RaginiUpdated: Thu, 18 May 2023 01:49 PM (IST)
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चार्टेड फ्लाइट से धीरेंद्र शास्त्री पटना से बागेश्वर धाम रवाना
पटना, जागरण संवाददाता। बिहार में पांच दिन और चार रात बिताकर बागेश्वर बालाजी धाम के पीठाधीश पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बुधवार की रात करीब 9.00 बजे चार्टर्ड फ्लाइट से वापस खुजराहो के लिए लौट गए, वहां से वे बागेश्वर धाम जाएंगे। इस दौरान बागेश्वर बाबा के साथ लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के कद्दावर नेता हुलास पांडेय भी साथ गए।

पूर्व विधान परिषद सदस्य और लोजपा नेता हुलास पांडेय चार्टर्ड फ्लाइट में बाबा के बगल वाली सीट पर बैठे। उनके पीछे की सीट पर बाबा के भंडारी और सेवादार के साथ सुरक्षाकर्मियों को जगह मिली।

बागेश्वर बाबा खुजराहों के लिए रवाना हुए। खजुराहो ही बागेश्वर धाम का नजदीकी एयरपोर्ट है। जिस प्लेन से वो गए हैं, वह प्लेन रेड बर्ड नामक एविएशन कंपनी की थी।

बता दें कि हुलास पांडेय की होर्डिंग सबसे अधिक देखी गई।13 मई को बाबा के पटना पहुंचने पर होटल में बाबा के साथ दोपहर में भोजन करते और प्रथम दिन के हनुमंत कथा में आरती के दौरान मंच पर तरेत पाली में देखे गए थे।

पंडित धीरेंद्र शास्त्री राजधानी से करीब 28 किलोमीटर दूर नौबतपुर के तरेत पाली वैष्णव पीठ प्रांगण में 13 मई से हनुमंत कथा वाचन का समापन कर पटना से वापस हो गए। अंतिम दिन विदाई के पहले भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह के साथ मोकामा से राजद विधायक नीलम देवी दरबार में देखी गई।

करोड़ों का कारोबार

बाबा के दर्शन और दिव्य दरबार के लिए सुदूर जिले और पड़ोसी प्रदेश से भारी संख्या में लोग पांच दिनों तक हनुमंत कथा में शामिल हुए। इस दौरान यहां करोड़ों का कारोबार भी हुआ। नारियल, चंदन से लेकर खानपान और सबसे अधिक परिवहन क्षेत्र को कमाई का अवसर मिला।

स्थानीय मिठाई, पकवान, धोती, साड़ी, गमछा से लेकर रेडीमेड कपड़े की खूब बिक्री जरूरत के अनुसार हुई। पटना, बनारस, कानपुर, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से कारोबारी यहां आए थे। शहर के गांधी मैदान के निकट जिस होटल में बाबा ठहरे, वहां भी लोग कमरा लेकर बाबा के दर्शन को ठहरे थे।

राजधानी के आवासीय होटलों में भारी संख्या में लोगों ने पड़ाव डाल रखा था। टैक्सी से लेकर आटो, बस और अन्य सवारी वाहनों को कमाई का मौका मिला।

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